असम और बंगाल के दो युवक 1800 किलोमीटर की साइकिल यात्रा कर पहुंचे पूर्णानंद घाट हुआ स्वागत
- पर्यावरण और स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश लेकर पूर्णानंद घाट पहुंची साइकिल यात्रा
- युवा वर्ग को नशे से कैसे दूर रखा जा सकता है संदेश लेकर पूर्णानंद घाट पहुंची साइकिल यात्र
- प्रदूषण मुक्त वातावरण और सेहत के लिए साइकिलिंग का संदेश
- अनुपम दास वेस्ट बंगाल से और अमित किसको असम से चारधाम शीतकालीन यात्रा के लिए रवाना
- प्रदूषण मुक्त वातावरण और सेहत के लिए साइकिलिंग का संदेश
- गंगा आरती में स्वच्छता और जल संरक्षण का संकल्प भी दिलाया गया
मुनि की रेती : शनिवार को ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट, पूर्णानंद घाट में महिलाओं द्वारा की जा रही विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में अनुपम दास वेस्ट बंगाल से और अमित किसको असम से साइकिल यात्रा से अगस्त 2023 से आरंभ होकर असम, वेस्ट बंगाल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरला, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट,ª छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, पंजाब, लेह लद्दाख, और हिमाचल प्रदेश से होकर सेव अर्थ, पर्यावरण और स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश लेकर पूर्णानंद घाट पहुंची साइकिल यात्रा पहुंची। साइकिल चालकों का महिलाओं ने माला पहनाकर जोरदार स्वागत किया। 10 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किए हैं और अभी तक 18000 किलो मीटर साइकलिंग की है।
सेव अर्थ के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। इसके तहत कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को सामने लाने का काम किया है। सेव अर्थ मिशन के पीछे मजबूत समुदाय के माध्यम से वे धरती पर फैले पर्यावरणीय संकट को खत्म करने के लिए साइकिल चालक अनुपम दास और अमित किसको लगातार काम कर रहे हैं। साइकिल चालक अनुपम दास और अमित किसको उन्होंने बताया कि इस साइकिल यात्रा का उद्देश्य लोगों को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए साइकिल का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है। खासकर कम दूरी के सफर के लिए. उन्होंने बताया कि साइकिलिंग से न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी लाभकारी है और आर्थिक बचत भी होती है। साथ ही सांसों की डोर के लिए पौधों का होना जरूरी है।युवा वर्ग को नशे से कैसे दूर रखा जा सकता है इस का भी संदेश दे रहे है। एक बार किसी को नशे की आदत पड़ जाए तो उससे मुक्ति मुश्किल होती है । चाह कर भी बहुत से युवा नशे की गिरफ्त से नहीं निकल पा रहे। ऐसे में अभिभावकों और अध्यापकों के साथ-साथ मित्रों का भी यह कर्तव्य बनता है कि वे नशेड़ी को नशे के दलदल से निकालने के प्रयास करें। नशे की लत के शिकार लोगों की काउंसलिंग भी होनी चाहिए।
केदारनाथ, बदरीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के शीतकालीन प्रवास स्थलों के लिए दर्शन करने रवाना हो गये।ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिओम शर्मा ज्ञानी सभी श्रद्धालुओं को स्वच्छता और जल संरक्षण का संकल्प भी दिलाया गया। और कहा कि हम धरती को माता कहते हैं। कारण है कि इंसान को जन्म भले ही एक महिला देती है, लेकिन उसका पालन पोषण इस पृथ्वी पर होता है। पृथ्वी द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक चीजों से वह जीवित रहता है। इंसान जन्म के बाद अपनी माता के बिना रह सकता है लेकिन पृथ्वी और प्राकृतिक चीजों के बिना वह क्षण भर भी जीवित नहीं रह सकता। लेकिन क्या किसी ने कभी सोचा है कि इन सब के बदले में इंसान पृथ्वी को क्या देता है? देना तो दूर की बात वह अपनी जरूरतों के लिए प्राकृतिक चीजों को नष्ट कर देता है।मुख्य रूप से गंगा आरती में ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिओम शर्मा ज्ञानी, ट्रस्ट की सदस्य डॉ. ज्योति शर्मा, पुष्पा शर्मा, आशा डंग, थान सिंह, अशोक जांगड़े, प्रमिला, गायत्री देवी आदि ने गंगा आरती की।