आज गुरू स्वयं को भगवान से ज्यादा समझने लगे हैं यह स्थिति धर्म व आध्यात्म के लिए खतरनाक है-जया किशोरी

अन्तराष्ट्रीय योग महोसव (IYF 2025) में पहुंची जया किशोरी योग साधकों के बीच

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मुनि की रेती /ऋषिकेश :  गुरू का काम व्यक्ति को भगवान से जोड़ने का है ना कि खुद से, लेकिन आज गुरू स्वयं को भगवान से ज्यादा समझने लगे हैं यह स्थिति धर्म व आध्यात्म के लिए खतरनाक है। गुरू कभी भी ईश्वर से बड़ा नहीं हो सकता यह बात अलग है कि ईश्वर से मिलने की राह वही दिखाता है। उक्त विचार गढ़वाल मण्डल विकास निगम व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के चौथे दिन कथा वाचक जय किशोरी ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि दुनियां में कोई भी बात नई नहीं है केवल उन बातों को बताने का तरीका अलग-अलग व नया हो सकता है। गुरू केवल उस ज्ञान पर धूल की परत हटाने का काम करता है बात केवल इतनी सी है जो जल्दी समझ गया वह दूसरों को समझने में मद्द करे। महिला व पुरूष की समानता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि दोनों की सोच में अन्तर उन की परवरिश के कारण होता है। यदि बचपन में ही लड़के व लड़कियों को समान शिक्षा व संस्कार दिये जाये तो दोनों की सोच एक जैसी हो सकती है। जिस प्रकार लड़की को विन्रमता ओढ़नें की सलाह दी जाती है उसी प्रकार लड़कों को भी बचपन से विन्रम व दूसरे के प्रति सहिष्णु होने के संस्कार दिये जायें तो समाज में महिलाओं के प्रति आये दिन हो रहे अपराधों में कमी आ सकती है।

जया किशोरी, कथावाचक

दूसरी ओर सुबह के सत्र में उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ0 लक्ष्मी नारायण जोशी ने योग प्रतिभागियों को योग चिकित्सा के बारे में बताया कि प्राचीन काल से ही योग को चिकित्सा के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा शरीर वात, पित व कफ तीन दोषों से निर्मित है। यदि यह दोष विकृत हो जाते हैं तो शरीर रोग से ग्रस्त हो जाता है। वात कि विकृति से 80 प्रकार के रोग, पित की विकृति से 40 प्रकार के रोग, व कफ की विकृत से 20 प्रकार के रोग होते हैं।उन्होनंे कहा कि हमारा शरीर पंच महाभूत तत्वों से निर्मित है, अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल यदि इन पंच महाभूतों की मात्रा शरीर में असन्तुलित हो जाती है तो शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है। योग चिकित्सा के माध्यम से हम शरीर में पंचमहाभूतों को सन्तुलित कर शरीर के अन्दर की कमियों को दूर करने में सफल होते हैं।योगा हॉल में योगिनी उषा माता द्वारा योग साधकों को आयंगर रोग का प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने योग प्रशिक्षार्थियों को स्वस्थ बने रहने के कठिन योगाभ्यास कराये। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के जीवन में योग का अहम स्थान है। योग क्रियाओं का अभ्यास करने से हम कई असाध्य रोगों से मुक्त हो जाते हैं। शरीर की स्वस्थता को बरकरार करने में योग साधना संजीवनी का काम करती है।

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उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ0 लक्ष्मी नारायण जोशी

आरोग्यधाम रिट्रीट वेलनेस ऋषिकेश के योगी डॉ0 अमृत राज ने कहा कि बीमारियों का मुख्य कारण गलत खान-पान व व्यवहार है।उन्होंने कहा कि गलत खान-पान व व्यवहार के कारण कैन्सर जैसी घातक बीमारी लोगों के अमूल्य जीवन को नष्ट कर रही है। हमें खाना बनाने के लिए एल्यूमिनियम के बर्तनों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए।मिट्टी व ताबें के बर्तन स्वास्थ के लिए लाभदायक हैं। खान-पान में चाय व फ्रिज का पानीस्वास्थ के लिए सबसे अधिक घातक है। रात्रि का भोजन शाम सात बजे से पहले कर लेना चाहिए तथा अलसी, कलोन्जी को सुबह-शाम प्रयोग में लाना चाहिए यह हमारी इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर साबित होता है।दूसरी ओर गुरू राम राय विश्वविद्यालय की डॉ0सरस्वती काला ने आयुर्वेदिक एक्वाप्रेसर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सुई की नोक के समान सूक्ष्म बिन्दु पर दबाव देकर उपचार करना ही एक्वाप्रेसर है। एक्वाप्रेसर की विभिन्न विधिया हैं जैसे अंगूठे से दबाव देकर, सुई या नुकीली वस्तु द्वारा, बीज द्वारा, चुम्बक द्वारा, रंग द्वारा दबाव बनाकर एक्वाप्रेसर विधि से उपचार किया जाता है। एक्वाप्रेसर से उपचार की विधि स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभदायक है क्योंकि इस उपचार के कोई साइड इफेक्ट नहीं है।अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में अब तक 410 पंजीकरण हो चुके हैं जिसमें 38 विदेशी प्रतिभागी हैं।

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दूसरी ओर अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आँचल डेरी,योगदा सत्संग सोसाईटी दिल्ली,स्पर्श हिमालय, नालंदा पुस्ताकालय एवं अनुसंधान केन्द्र, आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा टि0ग0,हिमालय वनस्पति स्वायत सहकारिता,सदगुरू देव सियाग सिद्ध योग,ग्लोबल योगा एलाइन्स,उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय, वेदावी हर्बल टी,उद्योग विभाग उत्तराखण्ड,आदि के स्टाल लगाए गये हैं।योग महोत्सव के चौथे दिन कार्यक्रम में गढ़वाल मण्डल विकास निगम के प्रबंध निदेशक  विशाल मिश्रा, महाप्रबंधक प्रशासन विप्रा त्रिवेदी, महाप्रबंधक पर्यटन  दयानन्द सरस्वती, सहायक प्रधान प्रबंधक  एस.पी.एस. रावत, वरिष्ठ प्रबंधक कार्मिक  विश्वनाथ बेंजवाल, वित्त एवं लेखाधिकारी  चिंतामंणी भट्ट,  रघुवीर सिंह राणा,  दीपक रावत,  गिरवीर सिंह रावत, विमला रावत, अनिता मेवाड, भी भारत भूषण कुकरेती,  कैलाश कोठारी,  आर0पी0 ढौंडियाल,  मुकेश उनियाल,  विजय नेगी,  विनोद राणा,  मेहरबान सिंह रांगड़,  आशुतोष नेगी,  मुकेश बेनीवाल,  अजयकांत शर्मा,  ओमप्रकाश भट्ट, विरेन्द्र सिंह रावत समेत अनेक अधिकारी/कर्मचारी मौजूद रहे।

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