ऋषिकेश :एम्स संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध कार्य भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगे : प्रो. राजबहादुर

ऋषिकेश : एम्स ऋषिकेश के ’एनुअल रिसर्च डे’ के अवसर पर अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य कर रहे फेकल्टी सदस्यों और मेडिकल के छात्रों को एक कार्यक्रम के तहत सम्मानित किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि संस्थान के प्रेजिडेन्ट प्रो. राजबहादुर ने अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा कि संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध कार्य भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगे।
एम्स ऋषिकेश के वार्षिक शोध दिवस के दौरान संस्थान ने शोध कार्यों को दुनिया के स्वास्थ्य सेवा समाधानों में बदलने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इस कार्यक्रम में विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 56 से अधिक शोधकर्ताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के अध्यक्ष प्रो. राजबहादुर ने प्रयोगशाला सफलताओं और नैदानिक अनुप्रयोगों के बीच की खाई को पाटने में अनुवाद संबंधी शोध के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि शोध के क्षेत्र में एम्स ऋषिकेश देश के टाॅप 10 संस्थानों के समकक्ष आने वाला है। कहा कि काम के बोझ के बावजूद हमारे डॉक्टरों ने शोध पर अधिक फोकस किया है। जिनमें कई महत्वपूर्ण शोध भी शामिल हैं। वार्षिक अनुसंधान दिवस पर विभिन्न शोधकर्ताओं को चिकित्सा, शल्य चिकित्सा और बुनियादी विज्ञान में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया, जिसमें नवाचार श्रेणी में अभूतपूर्व योगदान शामिल था।
डीन रिसर्च प्रो. शैलन्द्र हाण्डू ने संस्थान द्वारा जारी अनुसंधान कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की और विभिन्न प्रोजेक्टों, पब्लिकेशन्स और पेटेन्ट आदि के बारे में विभाग की उपलब्धियंा गिनायीं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों से संस्थान ने अनुसंधान कार्यों में विशेष उपलब्धि हासिल की है। बताया कि एनआईआरएफ रैंकिंग में हम 13वें नम्बर पर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि 3 सालों के दौरान संस्थान के प्रतिवर्ष लगभग 1000 पब्लिकेशंस हो चुके हैं। उन्होंने जनरल ऑफ मेडिकल एविडेंस (जे.एम.ई) को एम्स के पूर्व प्रेजिडेन्ट प्रो. नंदी के मार्गदर्शन का प्रतिफल बताया और कहा कि यह देश का एकमात्र जर्नल है जिसे बीएमजे ने पब्लिश किया है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि द्वारा रिसर्च क्षेत्र में कार्य कर रहे 8 अलग-अलग श्रेणी के कुल 21 संकाय सदस्यों और स्टूडेन्ट्स अवार्ड श्रेणी में 35 छात्र-छात्राओं को अवार्ड देकर नवाजा गया। इसके साथ ही कमेटी मेम्बर ऑफ रिसर्च रिव्यू बोर्ड के 8 सदस्यों के अलावा जेएमई के 7 सदस्यों को भी अवार्ड दिए गए। एनुअल रिसर्च डे’ के अवसर पर दिए गए अवार्डों में हाई इम्पैक्ट फैक्टर, नम्बर आॅफ पब्लिकेशंस, हाई ग्रान्ट, नम्बर ऑफ रिसर्च ग्रान्ट, पेटेंट और हाई-इम्पैक्ट इंटरनेशनल जर्नल्स में पब्लिकेशन के लिए पहचान हेतु दिए गए अवार्ड शामिल हैं। इसके साथ ही यूजी और एमबीबीएस के उन स्टूडेंट्स को स्पेशल एप्रिसिएशन अवॉर्ड भी दिए गए जिन्हें इस बार आइसीएमआर की एसटीएस ग्रान्ट मिली है। उल्लेखनीय है कि एम्स ऋषिकेश द्वारा वर्तमान में जीनोमिक्स, ओमिक्स, एआई, टेलिमेडिसिन, वीआरडीएल आदि में रिसर्च जारी है। इनके अलावा कई अन्य विभागों में अनुसंधान कार्य तेजी से आगे बढ़ाए जा रहे हैं। एसोसिएट डीन रिसर्च डाॅ. बेला गोयल के संचालन मे चले कार्यक्रम में एम्स के पूर्व प्रेजिडेन्ट्स प्रो. समीरन नंदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्या श्री, डीन रिसर्च प्रो. शैलन्द्र हाण्डू, डीन एग्जामिनेशन प्रो. प्रशांत पाटिल सहित विभिन्न विभागों के फेकल्टी सदस्य, प्रशासनिक अधिकारीगण, स्टाफ और मेडिकल के स्टूडेन्ट्स मौजूद रहे।
————————————————–
1- पब्लिकेशंस विद हाई इम्पेक्ट फैक्टर अवार्ड-
डाॅ. अनीसा आतिफ मिर्जा- बायोकेमिस्ट्री
डाॅ. इन्द्र कुंमार सहरावत- पिडियाट्रिक
डाॅ. प्रतीक कुमार पाण्डा- पिडियाट्रिक
डाॅ. सोनल सरन- रेडियोलाॅजी
2- मैक्जिमम नम्बर आॅफ पब्लिकेशंस अवार्ड-
डाॅ. प्रतीक कुमार पाण्डा, पिडियाट्रिक
डाॅ. इन्द्र कुमार सहरावत- पिडियाट्रिक
डाॅ. पंकज कुमार कंडवाल- आॅर्थोपेडिक्स
डाॅ. अनुपम बहादुर- गायनी
3- हाई अमाउंट फाईनेसिंयल रिसर्च ग्रान्ट अवार्ड-
प्रो. पूर्वी कुलश्रेष्ठ- फिजियोलाॅजी
डाॅ. मोनिका पठानिया- जनरल मेडिसिन
डाॅ. विनीता गुप्ता- नेत्र रोग विभाग
डाॅ. गौरव जैन- एनेस्थेसिया
4- मैक्जिमम नंबर आॅफ रिसर्च प्रोजेक्ट अवार्ड-
डाॅ. अमित सहरावत- मेडिकल ओंकोलाॅजी
डाॅ. प्रदीप अग्रवाल- कम्युनिटी मेडिसिन



