कठिन परिश्रम से लक्ष्य प्राप्ति हो जाती है संभव : वैष्णवी लोहनी

- कुमाऊं की रहने वाली हैं वैष्णवी लोहनी, वर्तमान में देहरादून में रहती हैं
देहरादून : उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को सहेजने और प्रचारित करने में प्रदेश की बेटियाँ लगातार अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में, साईं सृजन पटल के संयोजक प्रो. के.एल. तलवाड़ ने उत्तराखंड की उभरती हुई माॅडल, वैष्णवी लोहनी को सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रो. तलवाड़ ने कहा, “उत्तराखंड की बेटियों ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। वैष्णवी ने माॅडलिंग के माध्यम से न केवल अपनी कला का प्रदर्शन किया, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और विरासत को जीवित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
वैष्णवी लोहनी, जो अभिनय और नृत्य में भी रुचि रखती हैं, का मानना है कि “कठिन परिश्रम से लक्ष्य प्राप्त करना आसान हो जाता है।” उनके अनुसार, यह केवल व्यक्तिगत सफलता की ओर नहीं बढ़ने का रास्ता है, बल्कि यह उत्तराखंडी परिधान, आभूषण, व्यंजन और पारंपरिक कलाओं को एक मंच पर लाकर उन्हें नए पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास भी है। विगत वर्ष, वैष्णवी और उनकी बहन सांम्भवी लोहनी को कुमाऊँ की पारंपरिक आनुष्ठानिक ऐपण कला के शानदार प्रदर्शन पर भी साईं सृजन पटल द्वारा सम्मानित किया गया था।साईं सृजन पटल, अपनी मासिक पत्रिका के माध्यम से, उत्तराखंड के कलाकारों और विशेष रूप से युवाओं को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रहा है। इसके साथ ही, पटल का उद्देश्य न केवल कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वालों को सम्मानित करना है, बल्कि इसे एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत करना है ताकि नए कलाकारों को प्रोत्साहन मिले।
पत्रिका के उप संपादक, अंकित तिवारी ने बताया कि 31 जुलाई को साईं सृजन पटल पत्रिका के प्रकाशन को एक वर्ष पूरा होने जा रहा है। इस विशेष अवसर पर बारहवां अंक एक विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। वहीं, सह संपादक अमन तलवाड़ ने बताया कि 9 अगस्त को साईं सृजन पटल का प्रथम स्थापना दिवस समारोहपूर्वक मनाया जाएगा, और इस दौरान पटल से जुड़े लेखकों को सम्मानित किया जाएगा।यह आयोजन केवल एक वर्ष की उपलब्धियों का उत्सव नहीं, बल्कि उन कलाकारों, लेखकों, और संस्कृति के संरक्षकों के लिए एक सराहना है जो समाज की धारा को आगे बढ़ा रहे हैं और उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रख रहे हैं।