ऋषिकेश : विश्वशांति के लिए 9वां  पंचांगनी साधना का विधि विधान के  साथ हुआ समापन, स्वामी समर्पणानंद सरस्वती महाराज कर रहे थे तपस्या

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  • तपोवन में विश्वशांति के लिए 9वां  पंचांगनी साधना का विधि विधान के  साथ हुआ समापन
  • 14 जनवरी 2025 से गुरुजी परमहंस अबधूत द्वारा पंचाग्नि  साधना की जा रही थी, जिसका समापन  आज (रविवार) 11 मई 2025 को आश्रम मे किया गया 
मुनि की रेती : (मनोज रौतेला)  संत देश दुनिया के लिए जीते हैं….लेकिन ऐसे  तपस्वी संत  बहुत कम होते हैं दुनिया में.  जो विश्व शांति के लिए अपने को तपा कर साधना कर रहा हो…वो भी चार चार धुनियों (अग्निकुंडों) के   बीच. चिलचिलाती गर्मी के तपन में. हम बात कर रहे हैं परमहंस अबधूत स्वामी समर्पणानंद सरस्वती महाराज  की. इतनी कठिन तपस्या करना आज के समय में हर किसी की बात नहीं है.  नहीं कर सकता वह….हर वर्ष की तरह  इस वर्ष भी स्वामी समर्पण आश्रम घुगतानी तपोवन मे १४ जनवरी २०२५  से गुरुजी परमहंस अबधूत स्वामी समर्पणानंद सरस्वती महाराज  द्वारा पंचाग्नि  साधना की जा रही थी. जिसका समापन आज ११ मई 202५  को आश्रम मे किया गया  |  इस  साधना  को   साधक  4 अग्नि कुंड के  बीच  मे  बैठ  कर  कठिनाइयों के साथ  निरंतर और  नियंत्रण  के साथ करता है.  समाधि  तपस्या  में  शिव   तत्त्व  में  मिल  जाता  है | गुरु जी के अनुसार  यह  तपस्या  माँ  भैरवी पार्वती   ने  शुरू   की  थी.  भगवान  भैरव शिव तत्व में मिल जाने के  लिए और  इससे  ब्रह्म ज्ञान का   साक्षातकार  होता है. जीवात्मा की  संसार से  मुक्ति  हो जाती  है | यह  साधना  छान्दोग्य  उपनिषद, शैव दर्शन, अग्नि  पुराण,  तंत्र  शास्त्र ,अघोरी  विद्या में  पायी गयी है  |इस तरह की    साधना  दस  महाविद्या  की तंत्र गुप्त साधना  में  गिनी जाती   है | यह  साधना  अघोर विद्या  भी  मानी जाती   है |पांच  अग्नि  को  काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद्य के  रुप  में  माना  जाता  है | इस   साधना  में    पांच अग्नि  को, साधना करते  हुए, साधक अपने को  संयम कर के वशीभूत  करता  है  और  सारे  इन्द्रियों  को  अपने वश में    करता   है |यह  साधना  विश्व की  कल्याणार्थ  का   मार्ग पुरुषार्थ  कराता  है |  महराज श्री ने मौन व्रत होने की वजह से बात नहीं के पाए लेकिन संकेतों में उन्हूने बताया विश्व कल्याण के लिए यह साधना की गयी है. जो ईश्वर को मानेगा उसका कल्न्याण जरुर है. सब खुश रहें हम यहीं चाहते हैं.
रविवार  को समापन दिवस पर सैकड़ों भक्तजन इस पुनीत  कार्य  में शामिल हुए.  घुग्तानी स्थित  आश्रम में  विशाल  साधु भंडारा का आयोजन किया गया | इस अवसर पर  कैलाश  आश्रम, राजस्थान  आश्रम,  स्वर्ग आश्रम ,हरहर  कैलाश पीठ , आनंद आश्रम, राम आश्रम के  साधु संतों  ने गुरुजी स्वामी समर्पण आनंद महाराज   को  आशीर्वाद दिया और  मौन  ब्रत  को  पान और मधु  खिला कर  समाप्त  किया. इस दौरान   बिदेशी भक्तों ने भी प्रतिभाग किया. जिसमें  सोफी, विलु, पेट्रा रही मौजूद. इस अवसर पर   संत  जो मौजूद रहे उनमें स्वामी गोपलालंद, स्वामी आत्मा ननन्दा, स्वामी विश्व  रुपानंद,स्वामी सनायासानंद, स्वामी शंक्रचार्यनानद, पुरुशानंद, भावना, डा प्रदीप, योगाचार्य  कपिल, महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज, डा चन्द्र किशोर, प्यारे, राज किशोरे गीता सैकड़ों संत रहे मौजूद.  आदि लोग मौजूद रहे.

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