पूर्णानंद घाट पर पर्यावरणविद व पद्म विभूषण से सम्मानित स्व. सुंदरलाल बहुगुणा की 100वीं जयंती मनाई गयी,महिला गंगा आरती में दी श्रद्धांजलि

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  • जल, जंगल व जीवों की रक्षा कर प्रकृति को बचाना हम सबकी सामूहिक जवाबदेह-हरिओम शर्मा 
  • पद्म विभूषण से सम्मानित सुंदरलाल बहुगुणा को समर्पित की गंगा आरती
  • सुंदर लाल बहुगुणा ने अपने जीवनकाल में सदियों पुरानी प्रकृति के साथ रहने की रीति को जिंदा रखा
मुनि की रेती : ऋषिकेश के पास  पूर्णानंद घाट जानकी सेतू गंगा तट पर महिलाओं द्वारा होने वाली माँ गंगा की आरती पर्यावरण के पद्म विभूषण चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा को समर्पित की। चिपको आंदोलन के नेता पद्म विभूषण सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उन्हें याद करते हुए ट्वीट कर उन्हें नमन किया है। सुंदर लाल बहुगुणा ने अपने जीवनकाल में सदियों पुरानी प्रकृति के साथ रहने की रीति को जिंदा रखा। उनकी सादगी और दया भाव भुलाए नहीं जा सकते हैं। यही कारण है कि उन्हें पर्यावरण का गांधी भी कहा जाता है। उन्होंने टिहरी के आसपास के इलाके में शराब के खिलाफ मोर्चा खोला। 1960 के दशक में उन्होंने अपना ध्यान वन और पेड़ की सुरक्षा पर केंद्रित किया। विश्वविख्यात पर्यावरणविद स्व. सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पूर्णानंद घाट जानकी सेतू गंगा तट पर महिलाओं के द्वारा मनाई गयी. उनके कामों को किया गया याद.
ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिओम शर्मा ज्ञानी  ने कहा जल, जंगल व जीवों की रक्षा करना हर किसी की जवाबदेही होनी चाहिए। जब जंगल में जंगली जानवर नहीं रहेंगे, पेड़ नहीं रहेंगे, पहाड़ व झरने नहीं रहेंगे तो फिर प्रकृति की गोद में रहने, बैठने का आनंद कहां मिलेगा। प्रकृति को बचाने के लिए केवल वनकर्मी व अधिकारियों की जवाबदेही ही नहीं है, बल्कि आम लोगों के सहयोग के बिना प्रकृति को संरक्षित नहीं किया जा सकता। जंगल को बचाने के लिए इको टूरिज्म को विकसित करना होगा।मुख्य रूप से गंगा आरती में ऋषिकेश गंगा आरती ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिओम शर्मा ज्ञानी जी, ट्रस्ट की सदस्य डॉ. ज्योति शर्मा, एस.आर. एस्ट्रो वर्ल्ड संस्थापक ज्योतिषाचार्य आचार्य सोनिया राज, पुष्पा शर्मा, आशा डंग, बंदना नेगी, प्रमिला, गायत्री देवी आदि ने गंगा आरती की।

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