ऋषिकेश : गोहरी रेंज के वन कर्मियों की टीम ने जंगलों में गहन गश्त कर की मानसून पेट्रोलिंग

मानसून सीजन को देखते हुए अहम होती है मानसून गश्त/ पेट्रोलिंग, वन्य जीव, वनस्पति को बचाना अहम कर्तव्य

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  • गोहरी रेंज के रेंजर राजेश जोशी के निर्देशन में डिप्टी रेंजर रमेश दत्त  कोठियाल के नेतृत्व में #मानसून #पेट्रोलिंग  की गई 
  • आपको बता दें, राजाजी पार्क के अन्दर कुल 9 रेंज हैं, उनमें गोहरी रेंज ऋषिकेश की सीमा से लगी हुई है. मोहन चट्टी, स्वर्गाश्रम प्रमुख क्षेत्र भी इसी रेंज के अंतर्गत  आता है.  
  • #गोहरी #रेंज, #राजाजी #नेशनल #पार्क का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो पूरे वर्ष खुला रहता है, जिससे पर्यटक कभी भी वन्यजीवों का अनुभव कर सकते हैं, ऋषिकेश से सटा हुआ इलाका है. 
  • गोहरी रेंज में, आप बाघ, हाथी, हिरण और विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देख सकते हैं
  • अनुभवी प्रकृतिवादी और वन गाइड, जो जीप में आपके साथ होते हैं, आपको क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र, वन्यजीवों और संरक्षण प्रयासों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं
रेंज की टीम रेंज परिसर से जंगल के लिए निकलती हुई

ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) मानसून को देखते हुए वन विभाग राजाजी नेशनल पार्क के  गौहरी रेंज ने  मानसून पेट्रोलिंग अभियान शुरू कर दिया है।इसी क्रम में, मंगलवार को, सुबह  7  बजे  रेंजर,  गोहरी रेंज  राजेश जोशी   ने जानकारी देते हुए बताया कि मानसून के चलते वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा हेतु विभाग द्वारा पूरे क्षेत्र के जंगलों में पैदल ही  गहन  पेट्रोलिंग की जा रही है । गोहरी रेंज, राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता  है.  मानसून जब तक रहेगा तब तक गश्त बीच-बीच में की जाती है.  इस दौरान  मानसून पेट्रोलिंग का विवरण कुछ इस तरह से रहा…अभियान की शुरुआत गोहरी रेंज कार्यालय  से शुरू होकर बीन‌ नदी क्षेत्र तक टीम द्वारा   गश्त   की जाएगी। इस दौरान अन्दर जंगलों में जा कर गश्त की जाती है टीम द्वारा.  पेट्रोलिंग के दौरान मंगलवार रात को बीन नदी पर ही विश्राम होगा। गौरतलब है कि मानसून के समय वन में पौधे और झाड़ियाँ  बड़ी होने के कारण  कई प्रकार के  खतरे बने रहते हैं.  ऐसे में वनों एवं वन्य जीवों की सुरक्षा अहम हो जाती है। वन कर्मियों के लिए उनको बचाना जरुरी है और चुनौती भी होती है.  क्यूंकि विकट हालात होते हैं. पैदल ही आपको गश्त करनी होती है.  शिकारी हमला या उनकी  योजना को बिफल करना भी  इस गश्त का अहम  हिस्सा है.  यह मानसून पेट्रोलिंग  अभियान की   दूसरी टीम है जो  1 जुलाई से 3 जुलाई तक गश्त करेगी.   जिसमें प्रमुख तौर पर रमेश दत्त कोठियाल टीम लीडर जो कि डिप्टी रेंजर गौहरी रेंज भी हैं। उनके साथ दीपक कुमार, वन आरक्षी निकिता गौतम, वन आरक्षी अर्जुन सिंह, वन  आरक्षी जवाहर सिंह, राहुल नौटियाल, सुजीत कुमार, जगदीश पयाल व् अन्य   मौजूद रहे। दिनांक 1 जुलाई से सुबह 7:00 बजे से यह अगस्त शुरू की गई.   गोहरी  रेंज परिसर  कुनाऊ  से पोखरी बीट नंबर 6, 7 और 8 होते हुए विश्राम वॉच टावर बींज बीट पर होगा। वॉच टावर से कुनाऊ में बंद गुर्जर क्षेत्र की गश्त  भी  करेंगे. मानसून पेट्रोलिंग का मुख्य उद्देश्य वनों की सुरक्षा करना, अवैध कटाई और शिकार जैसी गतिविधियों पर रोक लगाना और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत कार्यों में सहायता करना इत्यादि  है।

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हाथों में बन्दूक, दराती व् अन्य औजार साथ ले कर जाते हुए गश्त टीम
मानसून पेट्रोलिंग क्या है और  क्यों महत्वपूर्ण है?
  • डिप्टी रेंजर गोहरी रेंज  रमेश दत्त कोठियाल ने नेशनल वाणी हिंदी से बात करते हुए बताया,  वन्यजीवों की सुरक्षा सबसे अहम है हमारे लिए. 
    मानसून के दौरान, वन्यजीव अपने आवासों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की तलाश में रहते हैं। पेट्रोलिंग दल वन्यजीवों को खतरे से बचाने और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करने में मदद करते हैं।
  • अवैध गतिविधियों पर रोक:
    मानसून के दौरान, अवैध कटाई और शिकार जैसी गतिविधियां बढ़ सकती हैं। पेट्रोलिंग दल इन गतिविधियों पर रोक लगाने और वनों को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करते हैं।
  • आपदा प्रबंधन:
    मानसून के दौरान, बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं। पेट्रोलिंग दल इन आपदाओं के दौरान फंसे हुए लोगों को बचाने और राहत सामग्री पहुंचाने में मदद करते हैं।
  • वन्यजीवों के व्यवहार का अध्ययन:

    मानसून पेट्रोलिंग के दौरान, वन विभाग के अधिकारी वन्यजीवों के व्यवहार और उनके आवासों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जुटाते हैं, जो भविष्य में वनों के प्रबंधन के लिए उपयोगी होती है।

    गोहरी रेंज में मानसून पेट्रोलिंग के दौरान, निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाता है:
  • वन क्षेत्र में गश्त:
    नियमित रूप से वन क्षेत्र में गश्त की जाती है ताकि अवैध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
  • वन्यजीवों की निगरानी:
    वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है और उनके व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
  • आपदा संभावित क्षेत्रों की पहचान:
    उन क्षेत्रों की पहचान की जाती है जहां बाढ़ या भूस्खलन का खतरा हो सकता है।
  • आपदा राहत सामग्री का भंडारण:
    आपदा के दौरान उपयोग के लिए राहत सामग्री का भंडारण किया जाता है।
  • स्थानीय लोगों के साथ सहयोग:
    स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम किया जाता है ताकि वनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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