तंदूर शेफ छवाण सिंह पहाड़ से गिरने के बाद हो गए थे दिव्यांग, फिर नीरजा ने बढ़ाया हाथ कुछ इस तरह….जानें
- उत्तराखंड में पहली बार ऐसी व्हील चेयर मोटर बाइक दी गयी किसी ट्रस्ट के द्वारा
- “नीरजा देव ह्भूमि ट्रस्ट” ने बढ़ाया हाथ, छवाण सिंह को सौंपी motorised wheelchair
- ऋषिकेश के ३० किलोमीटर दूर दोगी पट्टी के रहने वाले हैं छवाण सिंह
ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) ये हैं छवाण सिंह पुत्र स्वर्गीय चंदन सिंह उम्र 30 वर्ष. रहने वाले ऋषिकेश से ३० किलोमीटर की दूरी पर टिहरी जिले के अंतर्गत दोगी पट्टी इलाके के मिण्दास गाँव के हैं. 2020 में 19 जून का दिन इनके लिए जिंदगी का सबसे बुरा दिन आया. जब वे पहाड़ से गिर गए और गहरी खाई में गिर गए…घटना में स्पाइनल कोर्ड इंजरी हो गयी. जिंदगी भर के लिए चलने फिरने के नाकाबिल हो गए. पांच भाई बहनों में दूसरे नंबर के हैं छवाण. उपचार चला और और अब व्हील चेयर पर हैं. उनके साथ आई छोटी बहन अंजलि सिंह ने बताया जब भी जरुरत होती है हम आते हैं. भाई की मदद के लिए. मैं चाहती हूँ भाई अपने पैरों पर खड़ा हो जाए. कुछ काम करे…लेकिन इस हालात में आप समझ सकते हैं कैसे करेंगे, हमेशा चिंता रहती है. अंजलि हरिद्वार में पार्लर का काम करती है. बीच-बीच में घर जाती रहती है. आज भाई के साथ आयी थी.
बुधवार को ऋषिकेश में मायाकुंड में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. नीरजा देवभूमि चेरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा. पैरा ओलिम्पियन नीरजा गोयल इसकी अध्यक्ष हैं. दिव्यान्गों की मदद के लिए जब भी हो सकता है वह मदद के लिए आगे आती रहती हैं. उनके ट्रस्ट ने उत्तराखंड में पहली बार ऐसी मोटर बाइक मंगाई जो छवाण को सौंपी गयी. ताकि वह आसानी से आ जा सके. यह मोटर बाइक की कीमत १ लाख १० हजार लगभग है. इस व्हील चेयर बाइक को नीरजा ने बेंगलुरु से मंगाई है. नीरजा का कहना है, मुझे ख़ुशी है मैं कर पा रही हैं किसी के लिए.कोई तो चले, कोई तो जिंदगी में आगे बढे, दिव्यांग को कोई तो सहारा दे…यही सोच कर मैं काम करती हूँ. छवाण को यह मोटर साइकिल देकर मुझे ख़ुशी हुई. इसको अंग्रेजी में हम motorised wheelchair Neobolt भी सकते हैं. देश की पहली स्वदेशी मोटर चालित व्हीलचेयर को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), मद्रास द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है. व्हीलचेयर का इस्तेमाल सड़कों के साथ-साथ असमान इलाकों में भी किया जा सकता है. नियोबोल्ट नाम की व्हीलचेयर एक बैटरी से चलने वाली गाड़ी है जो अधिकतम 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से यात्रा करने में सक्षम है. यह लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित है जो इसे हर चार्ज पर 25 किलोमीटर तक ले जाती है. स्वदेशी मोटर चालित व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित, सुविधाजनक और कम लागत वाली आउटडोर गतिशीलता का साधन प्रदान करती है. छवाण ने जब इसे चलायी तो उसके चेहरे पर काफी ख़ुशी महसूस हो रही थी. साथ ही साथ उसके छोटी बहन अंजलि भी खुश थी. इस दौरान छवाण ने बताया वह दुकान खोलने की सोच रहे हैं. साथ ही नौकरी के लिए भी कोशिश जारी रहेगी. छवाण तंदूर बनाने के एक्सपर्ट है. मुंबई में काम सीखा और फिर नौकरी की. चाईनीज (फ़ूड) का काम भी किया. पांच साल काम किया. ड्राइविंग की, दूध का काम किया…पिता के निधन के बाद परिवार पर जिम्मेदारी आ गयी तो काम में लग गए. फिर इंजरी हो गयी. छवाण ने नीरजा को धन्यबाद कहा मदद के लिए. प्रतिष्ठित ब्यवसाई बचन पोखरियाल ने कहा, यह ख़ुशी की बात है इस तरह नीरजा आगे आई है मदद के लिए. कहीं न कहीं समाज में इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. ऐसे मदद होनी चाहिए. ख़ास तौर पर ऐसे लोगों की. मानवता यही कहती है. इस दौरान ज्योति स्पेशल स्कूल के प्रबंधक हर्षवर्धन शर्मा, प्रतिष्ठित ब्यवसाई वचन पोखरियाल, नुपुर गोयल व अन्य लोग मौजूद रहे.