भारत के आदित्य L1 की सफल लॉन्चिंग हुई तो अमेरिका में यज्ञ कर परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने दी वैज्ञानिकों को बधाई

चाँद पर चमत्कार और अब सूर्य नमस्कार : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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  • पीएसएलवी-सी57 द्वारा आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
  • स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विदेश की धरती से भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स को इस अद्भुत सफलता के लिये दी बधाईयाँ

ऋषिकेश :  परमार्थ निकेतन ने जानकारी देते हुए बताया आज आश्रम के परमाध्यक्ष  स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने पीएसएलवी-सी57 द्वारा आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण हेतु भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स को बधाईयाँ देते हुये कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने पहले चाँद पर चमत्कार किया और अब सूर्य नमस्कार। यह भारत की नई यात्रा है। यह यात्रा 15 लाख किमी नहीं बल्कि लाखांे-लाखों वर्षों की जो संस्कृति हैः इतिहास है उसके दर्शन हो रहे हैं।

पीएसएलवी-सी57 द्वारा आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण से पूर्व परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी और प्रवासी भारतीयों ने अमेरिका की धरती पर एक विशेष यज्ञ किया। स्वामी जी ने कहा कि जब चन्द्रयान की लांचिग हो रही थी तब मैं माँ गंगा के पावन तट पर था और हमने भारत की सफलता को मनाया और आज अमेरिका की धरती पर यज्ञ के माध्यम से प्रार्थना की। यह सफलता केवल भारत की नहीं बल्कि पूरे विश्व की होगी क्योंकि भारत केवल अपने लिये नहीं बल्कि वैश्विक परिवार के लिये जीता है। भारत पूरे विश्व के लिये खोज करता है और शोध करता है। यह शोध की यात्रा है, प्रतिशोध की यात्रा नहीं। यह केवल अपने लिये नहीं अपनों के लिये ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ पूरा विश्व एक परिवार है के लिये यात्रा है।

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उन्होंने कहा कि हमारे ऋषियों ने अपनी साधना से अनेक खोज की है और वर्तमान समय में हमारे ऊर्जावान प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के नेतृत्व में हमारे वैज्ञानिक सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और मानवता के लिये अद्भूत योगदान प्रदान कर रहे हैं। यह भारत के विश्वगुरू होने के स्पष्ट प्रमाण है। स्वामी  ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक आउटर स्पेस में जाकर भारत का तिरंगा लहरा रहे हैं ऐसे में हमें इनर स्पेस का भी ध्यान रखना होगा। हमें इनटरनेट से भी जुड़ना है लेकिन इनरनेट का भी ध्यान रखना होगा क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है।

मैं अमेरिका में बैठकर देखा रहा था जब राकेट लांच हो रहा था तब इसरो के अध्यक्ष श्री एस सोमनाथ जी ने अपनी आँखें बंद की हुई थी वे ध्यान में चले गये थे, यह ध्यान वही है सूर्य ध्यान, यह ध्यान वही है उस ईश्वर का जिसके कारण सभी सफलतायें प्राप्त होती है। अद्भुत क्षण था वह। आज नई पीढ़ी को यही देखना है कि इसरो के अध्यक्ष, महान वैज्ञानिक किस तरह भीतर से जुड़कर प्रार्थना के वे क्षण जो सफलता प्रदान करते हैंः प्रसन्नता प्रदान करते हैं, जीवन को स्थायित्व और शान्ति प्रदान करते हैं उनसे जुड़ रहे हैं, यह देखना भी अपने आप में अद्भुत दृश्य था।

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स्वामी  ने कहा कि कुछ दिन पहले भारत ने चाँद पर किया अभिनन्दन अब सूर्य पर कर रहे अभिनन्दन। यह प्रकाश से महाप्रकाश की यात्रा है। यह चमत्कार से सूर्य नमस्कार की यात्रा है। आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती इस अद्भुत सफलता को समर्पित की गयी।
ज्ञात हो कि आज ध्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

आदित्य-एल1 पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है जो पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करती है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है। आदित्य-एल1 इसरो और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए), बेंगलुरु और इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए), पुणे सहित राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित सात वैज्ञानिक पेलोड ले जाता है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने अपने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ को प्रक्षेपित किया। पीएसएलवी-सी57 द्वारा आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। पीएसएलवी ने सैटेलाइट को ठीक उसकी इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया है और अब भारत की पहली सौर वेधशाला ने सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन (एल1) बिंदु के गंतव्य के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है।

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