स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती एवं माधवी लता ने गंगा के प्रति जागरूकता एवं आरती कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर किया उद्घाटन


- परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय गंगा जागरूकता एवं आरती कार्यशाला का शुभारम्भ
- उत्तराखंड़, उत्तरप्रदेश और बिहार के 10 से अधिक घाटों के 26 पंडितों ने किया सहभाग
- परमार्थ निकेतन और नमामि गंगे के प्रशिक्षकों द्वारा तैयार प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से गंगा तट पर स्थित भारत के पांच राज्यों के
- घाटों पर आरती करने वाले पंडितों को आस्था के साथ गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूकता, प्रेरणा, प्रोत्साहन और सक्रियता जगाने के साथ उन्हें जिम्मेदार बनाने हेतु प्रशिक्षण
- भारत की सभ्यता व संस्कृति, आस्था व आध्यात्मिकता, विरासत व विकास का प्रतीक माँ गंगा
- हमें गंगा के पैरोकार, पहरेदार व पत्रकार बनना होगा-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

स्वामी ने सभी आचार्यों और पंड़ितों का आह्वान करते हुये कहा कि भारत को महान भारत बनाने के लिये, भारत की संस्कृति व संस्कारों की रक्षा के लिये तथा समाज में आस्था व व्यवस्था के बनाये रखने के लिये सभी को मशाल जलाना होगा और मिसाल कायम करना होगा।डा साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि जल ही जीवन है, परन्तु गंगा जल तो अमृत है। हम अमृत को कैसे प्रदूषित कर सकते हैं? गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। हम जिस मां की पूजा करते हैं, उन्हें गंदा नहीं कर सकते। गंगा मां का जल पवित्र और अमृततुल्य है। हमें गंगा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। गंगा जी को स्वच्छ रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है और इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए।माधवी लता ने कहा कि जिस प्रकार हमें लगता है कि हमारे फेफड़ों की सेहत हमारी सेहत है। हम श्वास लेने के लिये जल्दीबाजी नहीं करते, हम अपनी प्यास बुझाने के लिये तब तक पानी पीते हैं जब तक प्यास बुझती नही, जब तक भोजन पूर्ण रूप से पकता नहीं हम तब तक अग्नि का उपयोग करते हैं अर्थात जीवित रहने के लिये हम जो साधन एकत्र करते है उसके लिये हमारे पास समय है, तो हमें जीवित रखने वाली गंगा माँ के लिये भी हमारे पास समय होना चाहिये; उनके लिये भी हमें समय निकालना होगा।उन्होंने कहा कि गंगा माँ की सेवा कर हम उन पर कोई मेहरबानी नहीं कर रहे हैं। जब कोविड आया था तो हम सभी डर गये थे, खुले में श्वास लेने से डर रहे थे परन्तु वही हम गंगा माँ में कचरा डालते हैं तो तकलिफ उन्हें भी होती होगी, उन्हें व उनके अन्दर रहने वाले जीवों को श्वास लेने में डर लगता होगा फिर भी गंगा जी हमें अपना प्यार और आशीर्वाद देती ही रहती है। जिस प्रकार हवा में कोविड़ का वायरस था उसी प्रकार गंगा जी में प्लास्टिक एक वायरस के समान है।गंगा माँ की सेवा करना ही तो हमारी संस्कृति व धर्म है। प्राकृतिक संसाधनों की सेवा करना हमारा धर्म व संस्कार है और यही शिक्षा हमें भारत माता देती है। भगीरथ की घोर तपस्या के पश्चात माँ गंगा धरती पर आयी तब से लेकरअब तक वह हमारी सेवा कर रही है, अब हमारी बारी है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जागरूकता एवं आरती कार्यशाला हेतु भारत सरकार प्रधानमंत्री, भारत नरेन्द्र मोदी, भारत के जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल , डायरेक्टर जनरल, नमामि गंगे ब्रजेश स्वरूप और नमामि गंगे के सभी पदाधिकारियों को धन्यवाद दिया।ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की परियोजना निदेशक, गंगा नंदिनी, वंदना शर्मा , आचार्य दीपक शर्मा , आचार्य दीलिप , आयुष बडोनी, स्वामी सेवानन्द , प्रीति पंधेर, कृष्णप्रिया, वर्षा शर्मा, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और नमामि गंगे के प्रशिक्षक, प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।