परमार्थ निकेतन में विशेष भंडारे का आयोजन…स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने ऋषिकुमारों, संतों और निराश्रितों को कराया भोजन

- समाज में समरसता, समानता और मानवता की भावना को विकसित करना
- भंडारा न केवल भौतिक पोषण का माध्यम है, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति का भी साधन-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


भंडारों के माध्यम से समाज में सेवा, समर्पण और समरसता की भावना को बढ़ावा मिलता है। निराश्रितों को भोजन कराना न केवल एक धार्मिक और सामाजिक कार्य है, बल्कि यह एक मानवीय कर्तव्य भी था। जिससे न केवल किसी दिन बदलता है बल्कि भोजन कराने वालों का दिल भी बदलता है। स्वामी ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि अब समय आ गया कि हम सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भंडारों का आयोजन करे। भंडारों में प्लास्टिक और थर्माकोल के पत्तल, दोने और गिलासों का उपयोग न करे क्योंकि यह पर्यावरण के लिये अत्यंत घातक है।16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस है। पोषण, सामर्थ्य, पहुंच और सुरक्षा’ सभी का अधिकार है। दुनिया में 2.8 बिलियन से ज्यादा लोग स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। अस्वास्थ्यकर आहार से सभी प्रकार के कुपोषण – अल्पपोषण का शिकार हो सकते हैं। वैसे भी वर्तमान समय में मिट्टी, पानी और हवा प्रदूषित हो रही हैं। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन हो रहा है जिससे जैव विविधता के भी नुकसान हो रहा हैं और शरीर पर इसका विपरित असर हो रहा है।स्वामी ने कहा कि बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण और सभी के लिए बेहतर जीवन अत्यंत आवश्यक है। बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए खाद्य पदार्थों तक सभी की पहुंच भी जरूरी है। वायु और जल के बाद भोजन तीसरी सबसे बुनियादी मानवीय ज़रूरत है इसलिये सभी को पर्याप्त भोजन का अधिकार होना चाहिए।