मुंबई में 47वें जमनालाल बजाज पुरस्कार 2025 कार्यक्रम में स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज को मुख्य अतिथि के रूप में विशेष रूप से आंमत्रित किया गया

- 47वें जमनालाल बजाज पुरस्कार 2025, गांधीवादी ‘योद्धाओं’ के सम्मान हेतु समर्पित
- परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख, परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज को मुख्य अतिथि के रूप में विशेष रूप से आंमत्रित
- जमनालाल बजाज फाउंडेशन, मुंबई द्वारा आयोजित
मुंबई, ऋषिकेश, 13 नवम्बर। गांधीवादी मूल्यों, सेवा और मानवीय समर्पण को समर्पित प्रतिष्ठित 47वें जमनालाल बजाज पुरस्कार समारोह का भव्य आयोजन मुंबई में किया गया। इस वर्ष के समारोह में परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख, परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज को मुख्य अतिथि के रूप में विशेष रूप से आमंत्रित किया।जमनालाल बजाज फाउंडेशन द्वारा यह पुरस्कार हर वर्ष उन व्यक्तित्वों को प्रदान किए जाते हैं जिन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते हुए समाज और राष्ट्र के निर्माण में निःस्वार्थ योगदान दिया है। इस आयोजन का उद्देश्य जमनालाल बजाज की परोपकारी दृष्टि और गांधीवादी दर्शन को जन-जन तक पहुँचाना तथा ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवीय मूल्यों के प्रसार को प्रोत्साहित करना है।स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा, सेवा ही सच्ची साधना है। जो अपने जीवन को दूसरों के उत्थान के लिए समर्पित करते हैं, वही सच्चे गांधीवादी है। आज जिन विभूतियों को सम्मानित किया गया है, वे केवल पुरस्कार के नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा के पात्र हैं। इनका जीवन यह संदेश देता है कि करुणा, स्वच्छता, सादगी और सेवा से ही सशक्त भारत का निर्माण सम्भव है।स्वामी ने कहा कि जब देश ‘विकसित भारत 2047’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब हमें गांधीजी के मूल्यों को केवल स्मरण नहीं, बल्कि अपने जीवन में आत्मसात करना होगा। “गांधीजी ने जो स्वराज्य की बात कही थी, वह केवल राजनीतिक नहीं थी बल्कि वह आत्मनिर्भरता, स्वच्छता और नैतिकता की जीवनशैली है।जमनालाल बजाज फाउंडेशन ने इस अवसर पर चार प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किए, जो समाज में मौन क्रांति लाने वाले सच्चे कर्मयोगियों को समर्पित हैं।
ग्रामीण भारत में रचनात्मक कार्य हेतु पुरस्कार, उन व्यक्तियों को जो ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता सुधारने, टिकाऊ आजीविका, शिक्षा, जल-संरक्षण और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में कार्यरत हैं।ग्रामीण विकास हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग हेतु पुरस्कार, उन वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों को, जिन्होंने ग्रामीण भारत में विज्ञान को जन-कल्याण का माध्यम बनाया।महिलाओं और बाल कल्याण के विकास हेतु पुरस्कार, उन महिला समाजसेविकाओं को जिन्होंने समाज में महिलाओं और बच्चों के अधिकार, शिक्षा और सशक्तिकरण को नई दिशा दी।भारत के बाहर गांधीवादी मूल्यों के प्रचार हेतु अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, किसी विदेशी नागरिक को प्रदान किया जाने वाला यह सम्मान वैश्विक स्तर पर गांधीजी की विचारधारा को सशक्त करता है।जमनालाल बजाज , जो महात्मा गांधी के ‘पाँचवें पुत्र’ के रूप में प्रसिद्ध थे, ने जीवनभर भारतीय उद्योग, समाज और राष्ट्रीय आंदोलन में सत्य, अहिंसा और सेवा के मूल्यों को जीवित रखा। उनकी प्रेरणा से आज भी अनगिनत लोग सामाजिक परिवर्तन के लिए कार्यरत हैं।फाउंडेशन के अध्यक्ष और अतिथियों ने कहा कि यह पुरस्कार केवल सम्मान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को दिशा देने वाला दीपक है। इस वर्ष के विजेताओं के कार्य ग्रामीण शिक्षा, जल प्रबंधन, महिला स्वास्थ्य, जैविक खेती, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक नवाचार जैसे विविध क्षेत्रों में किए गए, गांधी के ‘सर्वोदय’ के सपने को साकार करने वाले हैं।
पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने सभी पुरस्कार विजेताओं को “भारत के वास्तविक रत्न” बताते हुए कहा जो दूसरों के दर्द को अपना मानकर काम करते हैं, वही सच्चे योगी, सच्चे गांधीवादी और सच्चा देशभक्त है।स्वामी ने आह्वान किया कि वे ‘क्लीन और ग्रीन भारत’, ‘सेहतमंद भारत’ और ‘संवेदनशील भारत’ के निर्माण के लिए संकल्प लें। उन्होंने कहा कि यदि हर व्यक्ति अपने ग्राम, अपने समाज और अपने कर्मक्षेत्र में निस्वार्थ सेवा का दीप जलाए, तो भारत विश्व का आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शक बन सकता है।कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आयोजकों ने कहा कि 47 वर्षों की यह यात्रा न केवल पुरस्कार वितरण की कहानी है, बल्कि यह उस सतत परंपरा का प्रतीक है जो मानवता, विनम्रता और राष्ट्रसेवा के मूल्यों को जीवित रखती है।जमनालाल बजाज पुरस्कार 2025 ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि गांधीजी के सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं कृ चाहे वह ग्रामीण भारत का पुनर्निर्माण हो, महिला सशक्तिकरण हो या वैश्विक शांति का संदेश।



