स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने महाकुम्भ, प्रयागराज के लिये किया प्रस्थान, राज्यपाल, उत्तरप्रदेश, आनंदीबेन पटेल से हुई भेंटवार्ता
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- स्वामी चिदानन्द सरस्वती और राज्यपाल, उत्तरप्रदेश, आनंदीबेन पटेल से हुई दिव्य भेंटवार्ता
- कीवा कुम्भ और पूज्य मोरारी बापू की दिव्य कथा में मुख्य अतिथि के रूप में सहभाग हेतु किया आमंत्रित
- कीवा महाकुम्भ विश्व की पुरातन संस्कृतियों का महासंगम
- परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में 15 से 20 फरवरी को मनाये जाने वाला कीवा कुम्भ ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की थीम पर मनाया जायेगा
- सुरक्षित, स्वच्छ, समृद्ध और हरित महाकुम्भ का दिव्य प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट
- राज्यपाल, उत्तरप्रदेश आनंदीबेन पटेल ने स्वीकार किया आमंत्रण
- नवनिर्मित परमार्थ त्रिवेणी पुष्प भारत दर्शनम् की दिव्यता व भव्यता पर हुई चर्चा
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स्वामी ने बताया कि महाकुंभ के दौरान भारतीय संस्कृति, परंपराओं और विशेषकर सनातन धर्म के महत्व को उजागर करने के लिए कीवा कुम्भ का आयोजन किया है। इसका मुख्य उद्देश्य न केवल भारत, बल्कि विश्वभर से आने वाले श्रद्धालुओं और साधकों के बीच पुरातन संस्कृति संवाद स्थापित करना है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के उत्कृष्ट मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में कुम्भ सुरक्षित, स्वच्छ, समृद्ध और हरित होने जा रहा है। कुम्भ में पर्यावरण सुरक्षा का भी विशेष ध्यान दिया गया है।इस अवसर पर स्वामी ने परमार्थ निकेतन के नवनिर्मित ‘परमार्थ त्रिवेणी पुष्प भारत दर्शनम् की भी विशेष चर्चा करते हुये कहा कि यह स्थल भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन कर उभरेगा। परमार्थ त्रिवेणी पुष्प ’’भारत दर्शनम्’’ स्थल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसे भारत के गौरवमयी इतिहास के साथ विरासत और विकास की खूबसूरत इबारत के रूप में निर्मित किया गया है।राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती का आमंत्रण स्वीकार करते हुए महाकुंभ की महिमा की सराहना की और कुम्भ के आयोजन को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता को एकजुट करने का भी एक अद्वितीय माध्यम है।स्वामी द्वारा भेंट किए गए रूद्राक्ष के पौधे को स्वीकार करते हुए आनंदीबेन पटेल ने इस पौधे को हरित महाकुंभ के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया और कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह पहल महत्वपूर्ण है।महाकुंभ, प्रयागराज हर बार एक दिव्य उत्सव का रूप धारण करता है, और इस वर्ष का महाकुम्भ 144 वर्षों के बाद विशेष संयोग लेकर आ रहा है जो सम्पूर्ण समाज के लिए एक जागरूकता और समृद्धि का मंच बनेगा।