MP : ओंकारेश्वर, मान्धाता पर्वत में स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने एकात्मता की मूर्ति के अनावरण समारोह में किया सहभाग
- ओंकारेश्वर (मान्धाता पर्वत) पर कार्यक्रम का शुभारम्भ…स्वामी चिदानन्द सरस्वती, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य पूज्य संतों ने एकात्मता की मूर्ति का अनावरण तथा अद्वैत लोक का भूमि पूजन एवं शिलापूजन
- 101 बटुकों द्वारा वेदोच्चार व शंखनाद के साथ पूजन, न्यास द्वारा प्रकाशित ‘‘अद्वैत युवा जागरण शिविर’’ एकात्म धाम, ’स्वप्न से शिल्प तक’ पुस्तकों का विमोचन
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती, मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश, शिवराज सिंह चौहान और अन्य पूज्य संतों ने वैदिक यज्ञ अनुष्ठान में अर्पित की आहुतियाँ
- भारत के शैव परम्पराओं के नृत्यों व प्रस्तुतियों का आयोजन
- जगद्गुरू शंकराचार्य, शारदापीठ, श्रृंगेरी श्री विधुशेखर भारती महास्वामी, जगद्गुरू शंकराचार्य शारदापीठ, द्वारिका स्वामी सदानन्द सरस्वती जी, जगद्गुरू शंकराचार्य, कांची कामकोटि पीठ, कांचीपुरम् स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती जी ने लाइव जुड़कर दिया उद्बोधन।
- इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि, स्वामी परमात्मानन्द गिरि, स्वामी चिदम्बरानन्द, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वर तीर्थ भारती, संस्कृति मंत्री ऊषा, साधना सिंह और पूज्य संतों व विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।
ऋषिकेश : अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर, मान्धाता पर्वत में आयोजित एकात्मता की मूर्ति के अनावरण समारोह में सहभाग कर भारतीय संस्कृति, शान्ति, समरसता, सद्भाव और एकता के दिव्य सूत्रों को जीवन में आत्मासात करने का संदेश दिया।
स्वामी ने कहा कि सनातन धर्म के ज्योर्तिधर भारत की महान विभूति हिन्दू धर्म को आध्यात्मिक ऊँचाई, सागर सी गहराई और गंगा सी पावनता प्रदान करने वाले जगद्गुरू शंकराचार्य जी ने एकात्म दर्शन व अद्वैत परम्परा के दिव्य मंत्र हमें प्रदान किये हैं। भारत के चारों दिशाओं में ज्योर्तिपीठ, शंृगेरी शारदा पीठ, द्वारिका पीठ, गोवर्धन पीठ आदि पीठों की गौरवमयी परम्परा को स्थापित कर सनातन संस्कृति को जीवंत बनाने हेतु श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ आदिगुरू शंकराचार्य ने अद्भुत योगदान दिया है। एकता न्यास, भोपाल, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में दिव्य व भव्य प्रतिमा उनकी ज्ञान और गुरु भूमि में स्थापित की जा रही है जो वास्तव में यह गौरव का विषय है और यह कार्य केवल एक संस्कारी सरकार ही कर सकती है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और शिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में यह अद्भुत कार्य सम्पन्न हो रहा है इस हेतु पूरे मध्यप्रदेश वासियों को साधुवाद दिया।
स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र मंे पिरोने हेतु शंकराचार्य ने चार पीठों की स्थापना की और ‘केसर’ कश्मीर से तो नारियल केरल से मंगाया, जल गंगोत्री से और पूजा रामेश्वर धाम में की जाती है यह क्या अद्भुत दृष्टि है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, दक्षिण से उत्तर तक, पूर्व से पश्चिम तक पूरे भारत का भ्रमण कर एकता का संदेश दिया। हमें विश्वास है एकात्म धाम भी एकता का दिव्य केन्द्र बन कर उभरेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिये आस्था का अलौकिक केन्द्र होगा।ज्ञात हो कि सनातन धर्म के पुनरुद्धारक, सांस्कृतिक एकता के देवदूत व अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रखर प्रवक्ता ‘आचार्य शंकर’ के जीवन और दर्शन के उद्देश्य के साथ मध्य प्रदेश शासन द्वारा ओंकारेश्वर को अद्वैत वेदांत के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस भव्य और दिव्य ‘एकात्म धाम‘ के अंतर्गत आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची ‘एकात्मता की प्रतिमा’, ‘अद्वैत लोक’ नाम का एक संग्रहालय तथा आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान की स्थापना अपने आप में अद्वितीय है।
ओंकारेश्वर आचार्य शंकर की ज्ञान भूमि और गुरु भूमि है, यही उनको अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद मिले और यहीं 4 वर्ष रहकर उन्होंने विद्या अध्ययन किया। 12 वर्ष की आयु में ओंकारेश्वर से ही अखंड भारत में वेदांत के लोक जागरण के लिए प्रस्थान किया इसलिए ओंकारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर 12 वर्ष के आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना की जा रही है। संपूर्ण मध्य प्रदेश में एकात्म यात्रा निकाली गई जिसके माध्यम से 27,000 ग्राम पंचायतों से मूर्ति निर्माण हेतु धातु संग्रहण व जनजागरण का अभियान चलाया गया जो वास्तव में एकता और सद्भाव का प्रतीक है।