(लेख) श्री ज्वालपाधाम आदर्श स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय, उपलब्धियों का धाम

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श्री ज्वालपाधाम आदर्श स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय, उपलब्धियों का घाम-
-पार्थसारथि थपलियाल-

श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति ज्वालपा धाम, पौड़ी गढ़वाल विगत 50 वर्षों से देवभूमि गढ़वाल में संस्कृत और संस्कृति संवर्धन के लिए कार्य कर रही है। छट्ठी से बारहवीं तक (मध्यमा तक) विद्यालयी स्तर और 1997 से शास्त्री स्तर तक की पढ़ाई को विस्तार देते हुए समिति के प्रयासों से मई 2022 में मंदिर समिति को केंद्रीय संस्कृत विद्यालय द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम तक शिक्षा प्रदान करने की मान्यता प्राप्त करने के बाद नया शिक्षा सत्र आरम्भ हो चुका है। महाविद्यालय के प्रबंधक  शिवदयाल बौंठियाल ने बताया कि ज्वालपा धाम में इस सत्र में संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 81 हो चुकी है। इन सभी छात्रों को निशुल्क शिक्षा, भोजन और आवास की सुविधाएं समिति द्वारा उपलब्ध कराई जा रही हैं।

समिति के अध्यक्ष कर्नल शांति प्रसाद थपलियाल (से नि) ने बताया कि इन व्यवस्थाओं को मूर्त रूप देने में श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति के दानदाताओं का बहुत बड़ा योगदान है। संस्कृत अध्ययनरत छात्रों के लिए यह धाम गुरुकुल की तरह है। छात्रों की दिन चर्या सुबह 5 बजे से शुरू हो जाती है। स्नान, प्रातः 7 बजे से 9 बजे तक प्राणायाम, गुरु वंदना, रुद्रीपाठ का अभ्यास। उसके बाद अल्पाहार व विद्यालयी/ महाविद्यालयी पाठ्यक्रम। छुट्टी के बाद खेलकूद, कम्प्यूटर, योगाभ्यास व अन्य गतिविधियां शाम को एक घंटा संध्यावंदन व पूजा पाठ का अभ्यास, शाम की मंदिर आरती में सभी छत्रों की सहभागिता, रात्रि भोजन, अध्ययन और रात 10 बजे शयन। ये गतिविधियां दैनिक हैं। ज्वालपा धाम में विद्यार्थियों के शारीरिक सौष्ठव पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। खेलकूद गतिविधियों के लिए एक बड़ा मैदान है। विद्यार्थी खाई समय में इस मैदान में क्रिकेट, फुटबाल, वॉलीबाल व एथिलेटिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। 1 से 3 दिसंबर तक उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा संस्कृत शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों के लिए एथिलेटिक प्रतियोगिताओं का आयोजन हरिद्वार में किय्या गया।

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श्री ज्वालपा धाम स्नातकोत्तर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, ज्वालपा धाम की विदुषी प्राचार्य डॉ. ममता मेहरा ने बताया कि इस एथिलेटिक प्रतियोगिता में कुल 35 प्रतिभागी संस्थाओं की विभिन्न दौड़ों में “ज्वालपा धाम” महाविद्यालय उप विजेता रहा। ध्वज वाहक दलों के मूल्यांकन में प्रथम स्थान, 400 मीटर दौड़ में 32 प्रतियोगियों में स्वर्णपदक, 800 मीटर दौड़ में 42 प्रतियोगियों में रजत पदक, 1500 मीटर दौड़ में 103 धावकों में से कांस्य पदक, गोला फेंक प्रतियोगिता में 32 प्रतियोगियों में से कांस्य पदक और प्रतिभागी संस्थाओं के विद्यार्थियों की गणवेश में प्रतियोगिता में ज्वालपा धाम प्रथम स्थान पर रहा। स्पर्धा समापन अवसर पर आयोजित समारोह में “ज्वालपा धाम” की उपलब्धियों पर खूब तालियां बजी। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति डॉ. दिनेश चंद्र शास्त्री ने भी श्री ज्वालपा धाम स्नातकोत्तर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों के प्रदर्शन पर प्राचार्य डॉ. ममता मेहरा और प्रतिभागी छत्रों की सराहना की। उन्होंने जिज्ञासा भाव रखा कि अवसर मिलते ही मैं ज्वालपा धाम जाना चाहूंगा जहाँ अनुशासन, अध्ययन, सर्वांगीण विकास और उपलब्धियां एक साथ हैं।

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श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति और स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्वालपा धाम नें हरिद्वार में आयोजित एथिलिटिक प्रतियोगिताओं में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाले छात्रों का 5 दिसंबर को ज्वालपा धाम में समारोहपूर्वक अभिनंदन किया। इस आयोजन में संस्कृत विद्यालय- महाविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों, पुरहान वेलफेयर सोसायटी की अध्यक्ष श्रीमती सुधा मालकोटी सहित अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। महाविद्यालय के प्रबंधक व उपाध्यक्ष  शिव दयाल बौंठियाल और मंदिर समिति के मुख्य सचिव सहित रमेश थपलियाल ने उपलब्धि प्राप्त छात्रों का अभिनन्दन किया और प्रधानाचार्य डॉ. ममता मेहरा को उपलब्धियों के लिए बधाई दी।

समिति के जनसंपर्क अधिकारी पार्थसारथि थपलियाल ने प्राचार्य को फोन के माध्यम से बधाई दी। अध्यक्ष कर्नल शांति प्रसाद थपलियाल (से. नि.) ने उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रधानाचार्य सहित, प्रतिभागी छात्रों को बधाई दी तथा इस कार्य मे सहयोगी बने अन्य लोगों की भी प्रशंसा की और धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा अभी हम अपने संघर्ष की दुर्गम चढ़ाई से समतल पर आ रहे हैं हमें जीवन के विविध क्षेत्रों में उपलब्धियां प्राप्त करनी हैं। अभी और दौड़ने की भूख पैदा करनी है चाहे वह पढ़ाई की भूख हो, प्रतियोगिता में प्रथम आने की भूख हो या प्रतिष्ठित पद पाने की भूख हो। यह शुरुआत है अंतिम लक्ष्य नही। समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ विजय चंद्रा सहित समिति के सभी सदस्यों ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की है और बधाई दी है।

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