छात्रों को आत्महत्या की कोचिंग !

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-राजेश बैरागी-
कोटा (राजस्थान) में इस वर्ष अब तक 20 छात्रों ने आत्महत्या की है। पिछले वर्ष यह संख्या 15 थी। क्या पिछला वर्ष इस मामले में किफायती था? इस प्रश्न पर विचार करने से पहले मैं वहां के उपायुक्त ओ पी बुनकर के उस आदेश पर विचार कर रहा हूं जिसमें उन्होनें छात्रों की आत्महत्याओं पर नियंत्रण पाने के लिए छात्रावासों में लगे पंखों में स्प्रिंग जैसी डिवाइस लगाने को कहा है। यह डिवाइस 20 किलोग्राम से अधिक वजन पंखे पर लटकने से खुल जाएगी और आत्महत्या का प्रयास विफल हो जाएगा। इस डिवाइस को न लगाने वाले छात्रावास संचालकों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

क्या इससे विभिन्न पेशेवर परीक्षाओं की कोचिंग लेने कोटा जाने वाले छात्रों की आत्महत्या प्रवृत्ति पर रोक लग सकती है? मैं सुमेरी सभ्यता के नायक गिलगमेश की आज भी प्रतीक्षा कर रहा हूं। उसने समुद्र की अतल गहराइयों में उतरते हुए मृत्यु से छुटकारा पाने वाली औषधि लाने का दावा किया था। उसने लौटकर आने तक मृत्यु को रोके रखने की अपील की थी। उसके मृत्यु से छुटकारा पाने की औषधि लेकर आने के आश्वासन पर यह दुनिया आज तक जिंदा चली आ रही है। क्या कोटा प्रशासन के पंखों में स्प्रिंग जैसी डिवाइस लगाने का फरमान गिलगमेश के आश्वासन से प्रेरित है।

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क्या पेशेवर परीक्षाओं में घोर प्रतिस्पर्धा से पार पाने को पुस्तकों और गूगल जैसे साधनों से प्राप्त परीक्षा सामग्री को घोट कर पी जाने में असमर्थ छात्रों के पास इस संघर्ष से पार पाने का एकमात्र उपाय छात्रावासों के कमरों की छतों से लटके पंखे ही हैं। आत्महत्या के एक साधन को निष्प्रभावी कर देने से क्या छात्रों की आत्महत्या की प्रवृत्ति पर भी रोक लगाई जा सकती है? दरअसल शिक्षा और योग्यता को उत्पाद की वस्तु बना देने से उत्पन्न निराशा से ग्रस्त छात्रों को आत्महत्या से रोकने का यह कोई उपाय नहीं है। कोचिंग सेंटरों के लिए कुख्यात कोटा में सफलता के शिखर पर पहुंचने की इच्छा लेकर आने वाले छात्रों को निराशा की खाई में गिरने से बचाने का एक उपाय यह हो सकता है कि उनकी वास्तविक चेतना को जागृत किया जाए।

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हालांकि प्रशासन और सरकार इस फालतू के झमेले में क्यों पड़ें। इसलिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में अधिकारियों से एक समिति बनाने और एक रिपोर्ट बनाकर 15 दिनों में सौंपने का आदेश दिया है। मेरी जानकारी के अनुसार इस समिति में मानव व्यवहार और निराशाजनक परिस्थितियों से पार पाने की विशेषज्ञता रखने वाला कोई व्यक्ति शामिल नहीं है।

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