बड़कोट रेंज में जंगल में वन कर्मियों को कैमरा लगाने से सम्बंधित विशेष ट्रेनिंग दी गयी

- बड़कोट रेंज में ऋषिकेश और बड़कोट रेंज के वन कर्मी रहे मौजूद कैमरा लगाने से सम्बंधित ट्रेनिंग में
- आईएफएस अधिकारी तरुण एस. और WWF एक्सपर्ट ने दी वन कर्मियों को अहम जानकारियाँ
- ऋषिकेश रेंज के रेंजर गंभीर सिंह धामंदा और बड़कोट रेंज के रेंजर धीरज रावत का रहा अहम योगदान
- लगभग 30 वन कर्मियों ने उत्सुकता से ट्रेनिंग सेशन में किया प्रतिभाग
- कैमरा लगाने से आने वाले समय में बड़कोट रेंज में अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं
ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) बडकोट रेंज में गुरूवार को वन विभाग द्वारा एक महत्वपूर्ण ट्रेनिंग वर्कशॉप आयोजित की गयी. जिसमें जंगल में कैसे कैमरा को लगाए जाये और क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए कैमरा इंस्टालेशन में. यह सब कुछ जानकारियाँ दी गयी. आईएफएस अधिकारी तरुण एस. की मौजूदगी में यह ट्रेनिंग वर्कशॉप आयोजित की गयी. साल में यह पहली आयोजित की गयी थी. इस दौरान बडकोट रेंज के रेंजर धीरज रावत और ऋषिकेश रेंज के रेंजर इसमें ऋषिकेश रेंज और बडकोट रेंज के वन कर्मियों ने प्रतिभाग किया. वर्तमान समय में बढ़ते मानव-वन्य जीव संघर्ष को कम करने के लिए और वन्य जीव संरक्षण के लिए इस तरह की तकनीकी काफी फायदेमंद साबित हो रही है. साथ ही वन्य जीव पर नजर रखने के लिए विभाग के पास एक मजबूत डाटा भी एकत्रित हो जाता है. ट्रेनिंग के दौरान WWF से आये हुए एक्सपर्ट में पूर्व फोरेस्टर और SDO पद से रिटायर हेम शंकर मैंदोला, प्रियंका और पल्लवी ने जंगल में कैमरा लगाने से सम्बंधित कई अहम जानकारी वन कर्मियों को दी गयी. इस दौरान वन कर्मियों में महिला और पुरुष दोनों उपस्थित रहे. विशेष तौर पर कैमरा लगाने से क्या फायदा है और इसकी उपयोगिता कितनी महत्वपूर्ण हो गयी है वर्तमान परिद्रश्य में यह बताया गया. साथ ही कैमरा को कैसे हैंडल करना है ? कितनी उंचाई पर लगाना है, कैसे लगाना है ?और कब- कब चेक करना है इत्यादि तकनीकी से रूबरू करवाया. साथ ही क्या क्या सावधानियां बरतनी है कैमरा को लगाने के लिए ताकि जंगली जानवर कैमरे में आ सकें और आपको मजबूत और प्रभावी डाटा मिल सके.
आईएफएस अधिकारी तरुण एस. ने नेशनल वाणी से बात करते हुए कहा, जहाँ तक कंजर्वेशन की बात है, हमने पहले प्रोटेक्टेड एरिया से बाहर देखना है, क्यूंकि हमो पता है, प्रोटेक्टेड एरिया में ख़ास तौर पर हमारा प्रोटेक्टेड एनिमल है उसकी संख्या बढ़ रही है. खासतौर पर मांसाहारी जानवरों/ कार्निवोर (Carnivore) एनिमल बढ़ते जा रहा है और एलेफैन्ट्स भी. अब इनकी बढती जनसँख्या को हमें उनके अनुसार विशेष प्रजाति के जीवों या पौधों के रहने के लिए उपयुक्त पारिस्थितिक या पर्यावरणीय क्षेत्र होना चाहिए हमारे पास. सिंक (टेक्नीकल टर्म) से तात्पर्य ऐसे वन से है जो वायुमंडल से जितना कार्बन उत्सर्जित करता है, उससे अधिक अवशोषित करता है. बडकोट में काफी संभावना है. जहाँ तक सिंक की बात है. इसलिए हम यह अभ्यास करवा रहे हैं. ताकि हम भविष्य में हम कम से कम संघर्ष की जहाँ तक बात है उसको कम से कम कर सकें न केवल देहरादून बल्कि राजाजी नेशनल पार्क और हरिद्वार इलाके में. बडकोट में क्या संभावना है ? कितनी संभवना है ? इसकी भी हम जानकारी जुटा रहे हैं. और संभावनाएं तलाश रहे हैं. ट्रेनिंग के दौरान वन कर्मियों ने कई प्रश्न भी किये एक्सपर्ट से जिसमें तकनीकी और सामान्य दोनों तरह के प्रश्न थे. इस अभ्यास /टेनिंग में बड़कोट और ऋषिकेश रेंज से लगभग 30 वन कर्मियों ने ट्रेनिंग में जानकारी प्राप्त की. कैसे कमरे इनस्टॉल किया जाए क्या क्या जैसी इसमें तकनीकी जानकारियाँ बताई गयी. WWF के एक्सपर्ट टीम पहुंची थी यहाँ. बडकोट कोरिडोर ख़ास तौर पर देखा जाये तो बड़ा क्रिटिकल कोरिडोर है राजाजी नेशनल पार्क और नरेन्द्र नगर के बीच का. इस दौरान ऋषिकेश रेंज के रेंजर गंभीर सिंह धामंदा और बडकोट रेंज के रेंजर धीरज रावत, वन बीट अधिकारी बड़कोट कपिल शर्मा, वन बीट अधिकारी वीरभद्र राजेश बहुगुणा, प्रकाश अंथवाल, अमन, अमृता, ज्योति व अन्य वन कर्मी मौजूद रहे.