ऋषिकेश : मधुबन आश्रम से निकली पुष्प वर्षा के बीच भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा, भक्तों का उमड़ा सैलाब
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ऋषिकेश : परम श्रद्धेय गोलोक वासी श्री भक्ति योग स्वामी जी महाराज की सत्य प्रेरणा से प्रतिवर्ष निकलने वाली भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा इस वर्ष भी ऋषिकेश के समस्त वर्ग के लोगों के सहयोग से बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास से रविवार को निकाली गई।
इस वर्ष भगवान जगन्नाथ जी की या 25 वी रथ यात्रा थी भगवान जगन्नाथ अपनी विशेष कृपा समस्त जनमानस पर बरसाने के लिए प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के दिन अपने रथ पर बहन सुभद्रा एवं भाई बलभद्र के साथ शहर के विभिन्न मार्गों से निकलते हैं। इस रथ यात्रा को सफल बनाने में ऋषिकेश एवं उसके आसपास के क्षेत्र के सभी आश्रमों का सभी व्यापारिक संगठनों का सभी सामाजिक संगठनों का भरपूर सहयोग मिलता रहा है।इसके अलावा ऋषिकेश क्षेत्र का प्रशासन, मीडिया कर्मी इस रथ यात्रा को सफल बनाते हैं। आज की रथयात्रा में ऋषिकेश शहर के एवं उसके आसपास के असंख्य जनमानस सम्मिलित हुआ। इसके साथ ही ऋषिकेश क्षेत्र के आश्रमों के प्रमुख सामाजिक संगठनों के प्रमुख संत अन्य गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित हुए।
रथयात्रा के इस विशेष अवसर पर मधुबन आश्रम के प्रमुख श्री परमानंद दास प्रभु जी ने ऋषिकेश की समस्त जनता प्रशासन, मीडिया कर्मी सभी आश्रमों सभी व्यापारिक सामाजिक संगठनों एवं प्रत्येक उस व्यक्ति का जिसने किसी भी रूप में भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा को सफल बनाने में अपना योगदान दिया है। उन सभी का तहे दिल से आभार प्रकट किया है तथा आशा की है कि भविष्य में भी सभी लोग भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा को सफल बनाने में मधुबन आश्रम का इसी तरह सहयोग करते रहेंगे। भगवान जगन्नाथ जी की कृपा हमेशा सभी पर बरसती रहे।इसी कामना के साथ उन्होंने सभी लोगों की सुख शांति की कामना की एवं जगन्नाथ जी के चरणों में प्रार्थना की कि सभी लोग भगवान की सेवा में रत रहें। सभी लोगों को भगवान से प्रेम हो और सभी का जीवन सुख में हो।
शरद पूर्णिमा के दिन निकाली गई भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा, हरे कृष्णा भजन पर थिरके भक्तों का जनसैलाब-
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा मधुबन आश्रम से हर साल की तरह मधुबन आश्रम से निकाली गई। जिसमें भक्तों का उमड़ा जनसैलाब हरे कृष्णा हरे रामा भजन पर थिरके। रथ यात्रा इससे पूर्व आश्रम के परमाध्यक्ष परमानंद दास महाराज, कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल,मेयर अनिता ममगाई, कृष्णाचार्य महाराज, महंत वत्सल शर्मा, पंडित रवि शास्त्री, हरीश कुमार कौशल आदि ने भगवान जगन्नाथ की विधिवत पूजा-अर्चना की |
इस बार रथयात्रा के रूट में भी बदलाव हुआ।इस बार नगर पालिका में समापन नहीं बल्कि सिंह सभा गुरद्वारा पर समापन हुआ यात्रा का फिर भंडारा किया गया।इस बार खास तौर पर देखने को मिला केरल से एक स्पेशल बैंड लाया गया था जो रथ के आगे-आगे वह बैंड चल रहा था।उसके अलावा एक बैंड बंगाल से भी आया था जो यात्रा के प्रमुख आकर्षण के केंद्र रहे।
रविवार को मधुबन आश्रम से भगवान जगन्नाथ की 25 वीं भव्य शोभा रथयात्रा निकाली गई। सर्वप्रथम मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ जी की विधिवत पूजा अर्चना कर 56 भोग लगाने के साथ रथयात्रा प्रारंभ हुई। यह रथयात्रा कैलाश गेट ,पुरानी चुंगी, चंद्रभागा पुल ,त्रिवेणी घाट चौराहे ,रेलवे रोड से होते हुए गुरुद्वारा सिंह सभा पर जाकर समाप्त हुई।जहां-जहां जगन्नाथ रथ यात्रा का पड़ाव होता रहा भक्तों ने जगन्नाथ रथ यात्रा पर जमकर पुष्प वर्षा की। हरे कृष्णा हरे रामा भजन ढोल दमाऊ पर भक्तों का सैलाब जमकर थिरक रहे थे। नजारा ऐसा लग रहा था मानो भक्तजन भगवान में खो गए हों या उन्हें भगवान मिल गए हो ।
रथयात्रा में ऋषिकेश ही नहीं वृंदावन, केरल,कोलकाता से भक्तजन आए हुए थे और भगवान जगन्नाथ रथयात्रा में नाचते ,गाते,थिरकते हुए भक्ति में लीन होकर कितनों के आँखों से आँसू आ गए। यह कहते हुए की बहुत आनन्द आ रहा है। मानो हमें भगवान मिल गये। इस प्रकार से भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा पूर्ण हुई।
कहा जाता है कि रथयात्रा से भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। इस वजह से ओडिशा में पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर से 3 रथ रवाना होते हैं। इनमें सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथजी का रथ होता है। मान्यता है कि एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने उनसे नगर देखने की इच्छा जाहिर की तो वो उन्हें भाई बलभद्र के साथ रथ पर बैठाकर ये नगर दिखाने लाए थे। कहा जाता है कि इस दौरान वो भगवान जगन्नाथ की अपने मौसी के घर गुंडिचा भी पहुंचे और वहां पर सात दिन ठहरे थे।अब इसी पौराणिक कथा को लेकर रथ यात्रा निकाली जाती है।