सोनार तकनीकी से सर्च किया SDRF ने…लेकिन नहीं लगा सुराग गंगा नदी में डूबे ब्यक्ति/ब्यक्तियों का
मुनि की रेती /ऋषिकेश : दयानंद घाट में डूबे पर्यटकों की एस डी आर एफ टीम द्वारा सर्चिंग जारी रही सोमवार को भी. टीम द्वारा गंगा नदी में घटनास्थल से लेकर पशुलोक बैराज, भीम्मगोड़ा बैराज हरिद्वार तक सर्चिंग की गई. डूबे व्यक्तियों का अभी कुछ पता नही लगा है. SDRF इंस्पेक्टर कविन्द्र सजवाण के मुताबिक़, लगातार सर्च जारी है. लेकिन अभी कुछ सुराग नहीं लग पाया है. गुरुग्राम निवासी श्रीनिवासन गोपालन वर्द्नराजन के व् अन्य लोगों के जो डूबे हुए हैं उनकी खोजबीन के लिए टीम लगी रही. सोनार सिस्टम के साथ पहुंची थी SDRF टीम मोटर बोट /राफ्ट लेकर. लेकिन कुछ सुराग नहीं लग पाया.
क्या होता है सोनार सिस्टम /तकनीकी ?
आपको बता दें, सोनार पानी में ‘देखने’ के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है।सोनार के द्वारा पानी में हुई वस्तुओं का पता लगाया जाता हैं। सोनार में पराश्रव्य तरंगें प्रयोक्त की जाती हैं सोनार का आविष्कार पॉललेंग्विन ने किया था। सोनार (Sonar) एक तकनीक है जो नौचालन, जल के अन्दर संचार करने तथा जल के अन्दर या सतह पर वस्तुओं का पता करने के लिये ध्वनि संचरण का उपयोग करती है।सोनार, साउंड नेविगेशन और रेंजिंग का संक्षिप्त रूप है, जो समुद्र की खोज और मानचित्रण के लिए सहायक है क्योंकि ध्वनि तरंगें रडार और प्रकाश तरंगों की तुलना में पानी में अधिक दूर तक जाती हैं। NOAA के वैज्ञानिक मुख्य रूप से समुद्री चार्ट विकसित करने , नेविगेशन के लिए पानी के नीचे के खतरों का पता लगाने, समुद्र तल पर वस्तुओं की खोज करने और उनका मानचित्र बनाने, जैसे कि जहाज़ के मलबे, और समुद्र तल का मानचित्र बनाने के लिए सोनार का उपयोग करते हैं। सोनार दो प्रकार के होते हैं- सक्रिय और निष्क्रिय।