देव भाषा संस्कृत पर आधारित “संस्कृत दिवस” इस बार ९ अगस्त को मनाया जायेगा : डॉ. जनार्दन प्रसाद कैरवान

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ऋषिकेश :  भारत में हर साल श्रावणी पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन  के पावन अवसर पर संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस बार 9 अगस्त को संस्कृत दिवस है. ,यह दिवस इसलिए मनाया जाता है. क्योंकि संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत वेदों और पुराणों की भाषा है। इसीलिए लोगों में संस्कृत भाषा के प्रति आदर का भाव है। हमारे धार्मिक ग्रंथ और मंत्र  इसी भाषा में वर्णित हैं। संस्कृत दिवस अपने आप में अनूठा है, क्योंकि किसी अन्य प्राचीन भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार नहीं मनाया जाता।
उत्तराखंड संस्कृत विद्यालय शिक्षक एवं कर्मचारी संगठन के प्रदेश महामंत्री डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवान ने बताया कि इस वर्ष 6 अगस्त से 12 अगस्त तक संस्कृत सप्ताह पूरे देश में बड़े ही  हर्षोल्लास से मनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का गौरव प्राप्त होने के कारण उत्तराखंड में विशेष रूप से संस्कृत सप्ताह मनाया जाता है. पहले केवल संस्कृत दिवस श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जाता था,परन्तु अब संस्कृत दिवस,संस्कृत सप्ताह और संस्कृत मास भी मनाया जाता है. इस अवसर पर संस्कृत गुरुकुलों में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।इस दिवस को मनाने का उद्देश्य यह है कि संस्कृत को भारतीय धर्म संस्कृति ने ‘ देव भाषा ‘ का दर्जा दिया है. फिर भी यह भाषा अब अपना अस्तित्व खोती जा रही थी. अब भारत में भी विदेशी भाषाओं और अंग्रेजी के बढ़ते महत्व के कारण संस्कृत पढ़ने, लिखने और समझने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही थी. इसलिए भारतीय समुदाय या समाज को संस्कृत की महत्ता और आवश्यकता का स्मरण कराने तथा जनमानस में इसकी महत्ता बढ़ाने के लिए संस्कृत दिवस और संस्कृत सप्ताह मनाया जाता है।
इस दिन श्रावणी पूर्णिमा या रक्षाबंधन के दिन ऋषियों का स्मरण और पूजन कर समर्पण की भावना रखी जाती है. हमारे ऋषिगण ही संस्कृत साहित्य के मूल स्रोत हैं. इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस और ऋषि पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।इसी दिन केंद्रीय और राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश वर्ष 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश द्वारा जारी किया गया था। तब से पूरे भारत में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इसके लिए श्रावण पूर्णिमा का दिन चुनने का कारण यह है कि इसी दिन हमारे प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र और वेद पाठ प्रारंभ होता था और विद्यार्थी भी इसी दिन से शास्त्रों का अध्ययन प्रारंभ करते थे।

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