RSS चीफ़ मोहन भागवत बोले “हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों?”
नागपुर : ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। इतिहास तो है जिसे हम बदल नहीं सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा। हमलावरों के जरिए इस्लाम बाहर से आया था।
उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया,जहां हिंदुओं की भक्ति है, वहां मुद्दे उठाए गए। हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचते, मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे। यह उन्हें हमेशा के लिए स्वतंत्रता से दूर और मनोबल दबाने के लिए किया गया था, इसलिए हिंदुओं को लगता है कि (धार्मिक स्थल) को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए,मन में कोई मुद्दे हों तो उठ जाते हैं। यह किसी के खिलाफ नहीं है। इसे ऐसा नहीं माना जाना चाहिए।
मुसलमानों को ऐसा नहीं मानना चाहिए और हिंदुओं को भी ऐसा नहीं करना चाहिए। कुछ ऐसा है तो आपसी सहमति से रास्ता खोजें लेकिन हर बार रास्ता नहीं निकल सकता, जिसके कारण लोग अदालत जाते हैं और अगर ऐसा किया जाता है तो अदालत जो भी फैसला करे उसे स्वीकार करना चाहिए। हमें अपनी न्यायिक प्रणाली को पवित्र और सर्वोच्च मानते हुए फैसलों का पालन करना चाहिए। हमें इसके फैसलों पर सवाल नहीं उठाना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने ज्ञानवापी मुद्दे का जिक्र कर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि रोजाना एक नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए। विवाद को क्यों बढ़ाना? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसी के अनुसार कुछ करना ठीक है। लेकिन, हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों? भागवत यह भी बोले कि देश में इस्लाम बाहर से आया। इसे लाने वाले हमलावर थे। उन हमलों में देवस्थानों को तोड़ा गया। आरएसएस चीफ के अनुसार, भारत को विश्वविजेता नहीं बनना है। उसका मकसद सभी को जोड़ना होना चाहिए। भारत किसी को जीतने के लिए नहीं बल्कि सभी को जोड़ने के लिए अस्तित्व में है। गुरुवार को मोहन भागवत नागपुर में एक कार्यक्रम के समापन समारोह में पहुंचे थे।