ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में श्री अयोध्या धाम श्री राम मन्दिर प्राण-प्रतिष्ठा महाउत्सव से पूर्व विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

श्रीराम के चरण, शरण और आचरण हमारे जीवन का पाथेय बने :स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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ऋषिकेश : अयोध्या धाम श्री राम मन्दिर के प्राण-प्रतिष्ठा के पूर्व परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती  के आशीर्वाद से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है ताकि पूरा वातावरण श्रीराममय हो। प्राणप्रतिष्ठा महाउत्वस की दिव्यता के लिये पूरे आश्रम में स्वच्छता, डेकोरेशन, विशेष पूजन और अनुष्ठान किये जा रहे हैं। प्रतिदिन परमार्थ गंगा आरती के माध्यम से प्रभु श्री राम जी के जीवन पर आधारित भजनों व कहानियों को सुनाया जा रहा है ताकि जनसमुदाय उन शिक्षाओं को आत्मसात कर सके। साथ जी उन कहानियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण व मिशन लाइफ के संदेशों को भी प्रसारित किया जा रहा है।
22 जनवरी को अयोध्या धाम में होने वाले श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर परमार्थ निकेतन में अत्यंत उत्साह और उल्लास का वातावरण है। पूरे आश्रम को  दीपावली की तरह लाइट व दीपों से सुसज्जित किया गया है। प्रतिदिन प्रातःकाल विशेष यज्ञ हो रहा है। पूरे आश्रम में, गंगा जी के घाट पर और आसपास के क्षेत्र में स्वच्छता अभियान व रैली, कलश यात्रा का भी आयोजन किया जा रहा है। परमार्थ परिवार के सदस्य, ऋषिकुमारों, आचार्यों के साथ आश्रम में आने वाले यात्री भी इन सभी कार्यक्रमों में श्रद्धा भाव से सहभाग कर रहे हैं। साथ ही प्रतिदिन भजन संध्या, श्री रामचरित मानस का पाठ और विशेष पूजन किया जा रहा है। श्रीराम कीर्तन, सुंदरकांड पाठ, रामायण पाठ व प्रतिदिन सायंकाल मिट्टी के दीपक जलाए जा रहे हैं। 22 जनवरी को एलईडी एवं साउंड सिस्टम के ज़रिए अयोध्या धाम का सीधा प्रसारण सभी को परमार्थ प्रांगण से दिखाया जाएगा। परमार्थ निकेतन का पूरा वातावरण श्री राम की धुन व भजनों से संगीतमय है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं श्रीराम जी के जीवन चरित्र पर झांकियां बनाकर परमार्थ आरती के दौरान प्रदर्शित की जायेगी। प्रतिदिन प्रातःकाल श्री राम नाम की फेरी लगायी जा रही है।विदेश की धरती से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि हम बहुत भाग्यशाली है कि हमारा जन्म भारत में हुआ और वह भी उस समय जब प्रभु श्री राम के मन्दिर का निर्माण व प्राण- प्रतिष्ठा हो रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि प्रभु श्री राम तो हमारे आराध्य ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा हैं और श्री राम मन्दिर केवल एक मन्दिर नहीं बल्कि राष्ट्र मन्दिर का प्रतीक है। 500 वर्षों की अथक तपस्या और हमारे पूर्वजों के बलिदान के बाद अब यह ऐतिहासिक अवसर आया है। श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या की दिव्य भूमि पर ऐतिहासिक श्री राम मन्दिर निर्माण व प्रभु श्री राम के बाल स्वरूप की मूर्ति की दिव्य एवं भव्य प्राण-प्रतिष्ठा के साक्षी बन रहे हैं। 22 जनवरी, 2024 का दिन भारत व भारतीयों के लिये ऐतिहासिक पर्व है। हम सौभाग्यशाली हैं कि प्रभु श्री राम हम सब के आराध्य हैं प्रभु श्री राम की शरण, उनके  पावन चरण एवं उनका आचरण हमारे जीवन का पाथेय बने, सम्बल बने।

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