ऋषिकेश : टीएचडीसीआईएल और आरआरईसीएल 10,000 मे.वा. नवीकरणीय ऊर्जा पार्क स्‍थापित करेंगे राजस्थान में, हुआ MoU साइन

अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में यह MoU का साइन होना अहम कदम माना जा रहा है

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मनोज रौतेला की रिपोर्ट :

ऋषिकेश: शुक्रवार का दिन THDCIL के लिए अहम दिन था. अपनी सफलता के क्रम में एक और कदम बढ़ते हुए विद्युत क्षेत्र में विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (टीएचडीसीआईएल) और राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड (RRECL) के मध्य राजस्‍थान में 10,000 मे.वा. अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पार्कों के विकास हेतु टीएचडीसीआईअल के कारपोरेट कार्यालय ऋषिकेश में एक समझौता पर हस्ताक्षर हुए. यानी की MoU साइन हुआ दोनों के मध्य. समझौता ज्ञापन पर टीएचडीसीआईएल की ओर से संजय खेर, महाप्रबंधक (हाइब्रिड एनर्जी बिजनेस) एवं आरआरईसीएल की ओर से सुनित माथुर, निदेशक (तकनीकी) द्वारा हस्ताक्षर किए गए. सम्बंधित समझौता ज्ञापन डॉ सुबोध अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा, तथा खान एवं पेट्रोलियम विभाग, राजस्थान तथा अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आरआरईसीएल, राजीव विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, टीएचडीसीआईएल, जे. बेहेरा, निदेशक (वित्त), टीएचडीसीआईएल की उपस्थिति में MoU पर हस्ताक्षर हुए. इस समझौता ज्ञापन के अनुसार नवीकरणीय ऊर्जा पार्कों का कार्यान्‍वयन Special Purpose Vehicle (SPV) के माध्‍यम से आरआरईसीएल के साथ संयुक्त उपक्रम कंपनी के रूप में किया जाएगा. डॉ. सुबोध अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा, तथा खान एवं पेट्रोलियम विभाग, राजस्थान तथा अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आरआरईसीएल ने टीएचडीसीआईएल द्वारा अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में लिए गए इस जरूरी कदम व अनूठी पहल की प्रशंसा की तथा हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया. इस कार्यक्रम के दौरान राजीव विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, टीएचडीसीआईएल ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निगम द्वारा यह महत्वपूर्ण कदम है तथा इससे देश के हरित ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान मिलेगा. विश्नोई ने इस समझौता ज्ञापन के सफलतापूर्वक हस्ताक्षरित होने के लिए टीएचडीसीआईएल एवं राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड के अधिकारियों को बधाई दी.

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साथ ही जे. बेहेरा, निदेशक (वित्त), टीएचडीसीआईएल ने कहा कि यह राजस्‍थान सरकार के साथ हमारे आपसी संबंधों की शुरूआत है और भविष्य में भी देश की ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अनेक परियोजनाओं पर टीएचडीसी और राजस्थान सरकार सहकार्यता और सहभागिता से काम करते रहेंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि टीएचडीसीआईएल देश के विभिन्‍न भागों में भी अपने व्‍यावसायिक प्रचालन का विस्‍तार कर रही है. उल्लेखनीय है कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में टीएचडीसीआईएल द्वारा इस ऐतिहासिक कदम से ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर शिखर सम्मेलन में भारत सरकार द्वारा 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा ज़रूरतें, रीन्यूएबल एनर्जी से पूरी करने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में भी योगदान मिलेगा. साथ ही राजस्थान राज्य में इन नवीकरणीय अक्षय सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास से सस्ती एवं पर्यावरण के अनुकूल सौर बिजली से राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी गति मिलेगी. इन नवीकरणीय ऊर्जा पार्क/परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी सृजित होने की उम्मीद है जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे और निगम द्वारा अपने कॉरपोरेट-सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करने में भी गति प्रदान होगी.

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शुक्रवार को, टीएचडीसीआईएल 1587मे.वा. की संस्‍थापित क्षमता के साथ देश में एक प्रमुख विद्युत उत्‍पादक है जिसका श्रेय उत्‍तराखण्‍ड में टिहरी बांध एवं एचपीपी (1000 मे.वा.), कोटेश्‍वर एचईपी (400 मे.वा.), गुजरात के पाटन में 50 मे.वा. एवं द्वारका में 63 मे.वा. की पवन विद्युत परियोजना, उत्‍तर प्रदेश के झांसी में 24 मे.वा. की ढुकुवां लघु जल विद्युत परियोजना एवं केरल के कारसगाड में 50 मे.वा. की सौर विद्युत परियोजना की सफलतापूर्वक कमीशनिंग को जाता है. नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की प्रमुख इकाई होने के कारण, टीएचडीसीआईएल उत्‍तर प्रदेश में यूपीनेडा के साथ मिलकर 2000 मे. वा. के अल्ट्रा मेगा सौर पार्कों का कार्यान्वयन भी कर रही है.

अक्षय ऊर्जा महत्वपूर्ण है ?
क्योंकि इसमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किए बिना बिजली की तैयार आपूर्ति प्रदान करने की क्षमता है. ईंधन के रिसाव और उत्सर्जन के साथ न्यूनतम मुद्दों जैसी पर्यावरणीय समस्याओं का भी कम जोखिम है, जबकि आयातित ईंधन की आवश्यकता को भी कम करता है. भारत स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर, सौर ऊर्जा में पांचवें और पवन ऊर्जा में चौथे स्थान पर पहुंच गया है.

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