ऋषिकेश : द्वाराचार्य श्रीमद् जगद्गुरु स्वामी योगानन्दाचार्य स्वामी दयाराम देवाचार्य महाराज का श्रीराम तप स्थल आश्रम लौटने पर हुआ भव्य स्वागत


ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) द्वाराचार्य श्रीमद् जगद्गुरु स्वामी योगानन्दाचार्य स्वामी दयाराम देवाचार्य महाराज श्री का दो माह के प्रवास के बाद ऋषिकेश श्रीराम तप स्थल आश्रम पहुंचने पर क्षेत्र में जगह-जगह हुआ भव्य स्वागत किया गया. मंगलवार को श्री राम तपस्थली आश्रम ब्रह्मपुरी में द्वाराचार्य श्रीमद् जगतगुरु योगानंदाचार्य स्वामी दयाराम देवाचार्य महाराज का भव्य स्वागत अभिनंदन किया गया. इस दौरान सभी संत महात्माओं के द्वारा स्वागत किया गया. तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि जगद्गुरु महाराज के ऋषिकेश आगमन पर उत्तराखंड में खुशी की लहर छा गई. महाराज श्री के जगतगुरु बनने के बाद पहली बार ऋषिकेश श्री राम तप स्थल आश्रम ब्रह्मपुरी पहुंचने पर सभी धार्मिक सामाजिक संगठनों ने मिलकर महाराज श्री का भव्य स्वागत अभिनंदन किया. महाराज श्री को पगड़ी, शाल, पुष्पहार पहनाकर वेद मन्त्रों के द्वारा पुष्पवर्षा की गई. जगद्गुरु का स्वागत ऋषिकेश में भगवान आश्रम हरिद्वार रोड, लक्ष्मण झूला रोड राजस्थानी मिष्ठान भंडार, मुनि की रेती, कैलाश गेट, तपोवन में क्षेत्रीय सामाजिक लोगों ने पुष्पाहार पहनाकर जगद्गुरु स्वामी दयाराम महाराज पर पुष्पवर्षा कर महाराज का भव्य स्वागत किया गया.

इस अवसर पर द्वाराचार्य श्रीमद् जगद्गुरु स्वामी योगानन्दाचार्य स्वामी दयाराम देवाचार्य महाराज ने कहा कि प्रयागराज कुंभ के बाद अपनी सनातन धर्म यात्रा दो माह के बाद लौटने पर महाराज श्री ने कहा कि यह सनातन धर्म की ताकत ही है जो हम सबको वसुदेव कुटुंबकम में जोड़ती है . उन्होंने कहा कि आपसी मतभेद को मिटाकर संपूर्ण उत्तराखंड में सद्भाव की बात करें. वसुदेव कुटुंबकम को लेकर सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है. जहां विश्व हमारी संस्कृति का पालन कर रहा है वही उत्तराखंड की तपोभूमि में हमें ऐसे ऋषि मुनि दिए हैं. जो आज पूरे विश्व में सनातन धर्म की ध्वजा को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक बनो नेक बन लड़ोगे तो काटोगे. कार्यक्रम में उपस्थित तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य, महामंडलेश्वर महावीर दास, महंत प्रमोद दास, आशीष मंमगाई, स्वामी आलोक हरि महाराज, स्वामी ब्रह्मानंद, अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष महंत गोपालाचार्य, महंत नारायण दास, महंत स्वामी श्याम दास, स्वामी नामदेव, महेंद्र निर्मल दास, महंत रामशरण दास त्यागी, महंत निर्मल दास, महंत कन्हैया दास, महंत रवींद्र दास, महंत करुणा शरण दास, महंत पवन दास, स्वामी बालक दास, स्वामी गोपाल दास आदि उपस्थित रहे.