श्री हेमकुंड साहिब, पवित्र तीर्थ स्थल की पवित्र यात्रा का श्री हेमकुंड साहिब गुरूद्वारा ऋषिकेश से शुभारम्भ हुआ

श्री हेमकुंड साहिब यात्रा का पहला जत्थे की रवानगी हुई

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  • परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती , निर्मल आश्रम, ऋषिकेश, बाबा जोत सिंह, जयराम आश्रम के प्रमुख ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी  का पावन सान्निध्य और आशीर्वाद
  • राज्यपाल, उत्तराखंड  गुरमीत सिंह ,  मुख्यमंत्री  पुष्करसिंह धामी,  विधानसभा अध्यक्ष, उत्तराखंड  रितु खंडूरी , वन और पर्यावरण मंत्री  सुबोध उनियाल,  विधायक  प्रेमचंद अग्रवाल, यमकेश्वर विधायक रेणु बिष्ट,  नरेन्द्र सिंह बिन्द्रा  की गरिमामयी उपस्थिति
  • श्री हेमकुंड साहिब यात्रा श्रद्धा, सेवा और शौर्य की अद्वितीय गाथा
  • हिमालय की वादियों में गुरुवाणी की गूंज
ऋषिकेश :  हिमालय की गोद में बसा, बर्फ से आच्छादित और भक्तिभाव से ओतप्रोत, श्री हेमकुंड साहिब तीर्थस्थल आज एक बार फिर आस्था की ज्योति से आलोकित हो उठा। इस दिव्य स्थल की पावन यात्रा का शुभारम्भ अत्यंत भावपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण में श्री हेमकुंड साहिब गुरूद्वारा, ऋषिकेश से हुआ, जिसमें स्वामी चिदानन्द सरस्वती  का दिव्य सान्निध्य श्रद्धालुओं में एक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचारक बना।इस शुभ अवसर पर राज्यपाल, उत्तराखंड  गुरमीत सिंह ,  मुख्यमंत्री  पुष्करसिंह धामी, विधानसभा अध्यक्ष, उत्तराखंड  रितु खंडूरी , वन और पर्यावरण मंत्री  सुबोध उनियाल, विधायक  प्रेमचंद अग्रवाल, यमकेश्वर विधायक रेणु बिष्ट,  नरेन्द्र सिंह बिन्द्रा  की गरिमामयी उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक गौरवशाली बना दिया।
हिमालय की पहाड़ियों की ऊंचाई पर स्थित यह तीर्थ स्थल आध्यात्मिक ऊंचाई का प्रतीक है। यहां पहुँचते ही भक्तों को ऐसा अनुभव होता है जैसे वे स्वयं गुरु गोविन्द सिंह  महाराज की तपोभूमि में प्रवेश कर रहे हों। प्रकृति की विराटता और गुरुवाणी की मधुरता के साथ यह तीर्थ आध्यात्मिक उन्नति का दिव्य स्रोत है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा आस्था के साथ सेवा और सहकार की जीवंत मिसाल है। सरकार, प्रशासन, हजारों सेवादार, स्थानीय लोग, स्वयंसेवी संस्थाएँ और सुरक्षा बल मिलकर इस यात्रा को सफल बनाते हैं। यात्रा मार्ग की कठिनाइयाँ श्रद्धालुओं के हौसले को रोक नहीं पातीं, क्योंकि वहाँ सेवा का भाव हर मोड़ पर साथ चलता है।यह तीर्थस्थल हिमालय में है, और हिमालय केवल पर्वत नहीं, वह भारत की आत्मा है। हमें हेमकुंड साहिब की यात्रा करते समय पर्यावरण की शुचिता, जल स्रोतों की पवित्रता और वनों की रक्षा का विशेष ध्यान रखना होगा।आज जब श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा पुनः आरम्भ हुई है, यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक चेतना का पर्व है जो हमें यह स्मरण कराता है कि जब सेवा, श्रद्धा और साहस एक साथ चलते हैं, तो जीवन तीर्थ बन जाता है।स्वामी  ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस यात्रा को धार्मिक दृष्टि के साथ पर्यावरण, साहस और सेवा की पाठशाला के रूप में भी देखें। हेमकुंड साहिब एक तीर्थस्थल के साथ आत्मबल और आत्मशक्ति की चेतना है।
श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा मानवता की एकता, वीरता और सेवा का प्रतीक है। यह यात्रा दिव्य धार्मिक साधना है, एक मानवीय अनुभव है, जो सभी को जोड़ता है। राज्यपाल, उत्तराखंड  गुरमीत सिंह  ने उत्तराखंड की धरती पर सभी संगत का स्वागत करते हुये कहा कि ना जाने किस मोड़ पर नारायण मिल जाये। हेमकुंड साहिब की यात्रा आत्मा, आस्था और अध्यात्म की यात्रा है। पूरे उत्तराखंड़ व उत्तराखंड वासियों ने जो परिश्रम कर यात्रा को सहज बनाने में योगदान दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद दिया। हमारे गुरूओं ने जो सबक और संदेश दिये उसे सम्पूर्ण मानवता के साथ साझा करना ही हमारा कर्तव्य है। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी  ने श्रद्धालुओं को आश्वासन दिया कि इस वर्ष यात्रा को सुरक्षित, सुव्यवस्थित और श्रद्धामयी बनाने के लिए राज्य सरकार ने हर संभव तैयारी की है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का उद्देश्य तीर्थाटन को पर्यावरण के अनुकूल, तकनीकी रूप से सक्षम और भावनात्मक रूप से समृद्ध बनाना है। उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा व हेमकुंड साहिब यात्रा को प्लास्टिक मुक्त यात्रा बनाने का आह्वान किया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने श्री हेमकुंड साहिब प्रशासन और उपस्थित श्रद्धालुओं को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी को मंगलमयी यात्रा की शुभकामनायें दी।

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