शुगर के मरीजों के लिए कितने इंच की भोजन की थाली होनी चाहिए, एम्स के डॉक्टर प्रो रविकांत से, जानिये

एम्स ऋषिकेश जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष एवं जानेमाने मधुमेह रोग विशेषज्ञ प्रो. रविकांत ने मधुमेह की बीमारी से ग्रसित लोगों के खानपान को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं

ख़बर शेयर करें -

ऋषिकेश : एम्स,ऋषिकेश जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष एवं जानेमाने मधुमेह रोग विशेषज्ञ प्रो. रविकांत ने मधुमेह की बीमारी से ग्रसित लोगों के खानपान को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। विशेषज्ञ का कहना है कि मधुमेह में आहार के बारे में जानकारी शुरू करने से पहले हमें यह जानना चाहिए कि आदर्श शरीर का वजन क्या है और हम कैलोरी की आवश्यकता की गणना किस तरह से कर सकते हैं।

Pro. Ravikant, AIIMS

Ideal body weight = height(cm) – 100
आदर्श शारीरिक वजन = ऊंचाई(cm) – 100

कैलोरी गिनती

कैलोरी की आवश्यकता की गणना में उम्र, लिंग, वजन, ऊंचाई, गतिविधि स्तर और समग्र स्वास्थ्य जैसे कारकों पर विचार करना शामिल है। आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एक विधि हैरिस-बेनेडिक्ट (Harris-Benedict equation) समीकरण है। हैरिस बेनेडिक्ट समीकरण कैलोरी आवश्यकता की गणना करने के लिए वजन, ऊंचाई और उम्र का उपयोग करता है।आमतौर पर, अनुशंसित दैनिक कैलोरी सेवन महिलाओं के लिए प्रति दिन 2,000 कैलोरी और पुरुषों के लिए 2,500 कैलोरी है।कम बीएमआई वाले लोगों को उच्च कैलोरी आहार की आवश्यकता होती है और उच्च बीएमआई वाले लोगों को कम कैलोरी वाले आहार की आवश्यकता होती है।

चिकित्सीय पोषण उपचार (एम.एन.टी)-
मेडिकल न्यूट्रीशन थेरेपी (एम.एन.टी) मधुमेह रोग प्रबंधन तथा स्वयं प्रबंधन शिक्षा का एक आवश्यक घटक है। एम.एन.टी में पोषण, आंकलन तथा रोगी का साक्षात्कार लिया जाता है ताकि उसका चिकित्सकीय इतिहास, रोग के लक्षण आंकड़े, रक्त ग्लूकोस रिकॉर्ड, आहार इतिहास तथा व्यायाम पैटर्न, मानसिक तथा आर्थिक अवस्थाओं का पता किया जाता है, ताकि उसकी आहार योजना विकसित की जा सके। एम.एन.टी के क्लीनिकल परीक्षण में यह पाया गया है कि लघु अवधि के टाईप 2 मधुमेह में 3 से 6 माह के भीतर 0.25 से 1 तक ग्लाईकेटिड़ हिमोग्लोबिन कम हो जाती है।

ALSO READ:  मंदिर का पुजारी गिरफ्तार युवती का यौन शोषण करने के आरोप में

चिकित्सा पोषण उपचार (MNT) जोकि इन्सुलिन प्रतिरोधकता तथा मधुमेह के लिए होता है, को पोषणीय चिकित्सा तथा व्यवहारिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसे चार आयामी दृष्टिकोण का उपयोग करके पूरा किया जा सकता है ।
1. प्रथम चरण में वृहद पोषण आंकलन जैसे चयापचयी पोषण तथा जीवन शैली मधुमेह पैरामीटरों का आंकलन करना होता है।
2. दूसरे चरण में रोगी के लिए पोषण लक्ष्य निर्धारित करने होते हैं तथा यह लक्ष्य रोगी द्वारा स्वीकार्य होने चाहिंए।
3. तीसरे चरण में पोषण के लिए विभिन्न प्रकार की खाद्य योजना बनानी चाहिए। जिसे रोगी आसानी से समझ सके और उपयोग में ला सके ।
4. चतुर्थ चरण में मूल्यांकन करना है कि किस प्रकार लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके तथा स्वयं प्रबंधन शिक्षण के लिए कार्यक्षेत्र का संकेत मिल सके ।

क्या और कितना खाएं ?
अमरीकी मधुमेह संघ (American diabetes association) अनुसंशा करता है कि-
• कैलोरी की आवश्यकता, आयु, लिंग, भार, लम्बाई तथा शारीरिक गतिविधियों पर निर्भर करती है।
• एक दिन में कुल ऊर्जा का 45-65 प्रतिशत भाग कार्बोहाइड्रेट से मिलना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट का प्रकार तथा मात्रा दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। रोगियों को अपने कार्बोहाइड्रेट को कार्बोहाइड्रेट काउंटिंग तथा आहार योजना सूची से आंकलित करना चाहिए ।

एक दिन के कार्बोहाइड्रेट को निम्न प्रकार से बांटा जा सकता है-
• नाश्ता – 1/7
• दोपहर का भोजन – 2/7
• सायं का भोजन – 1/7
• रात का भोजन – 2/7
• मध्य प्रातः/सोते समय – 1/7

ALSO READ:  दिल्ली में हुई बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में ऋषिकेश के सूरज, शुभम और सार्थक (SSS) ने जीते गोल्ड मैडल, नगर आयुक्त ने किया सम्मानित 

आदर्श थाली-
आम तौर पर बाजार में मिलने वाली थाली 12 इंच की होती है जिससे न चाहते हुए भी मरीज अधिक खाना खा लेता है। मधुमेह के मरीज को 9 इंच की थाली को प्रयोग में लेना चाहिए, थाली को वैकल्पिक तौर पर चार भागों में बांट दें और प्रत्येक भाग में निम्न वस्तुओं को रखें।

कार्बोहाइड्रेट (रोटी/चावल) – 1/4
प्रोटीन (आदि) – 1/4
हरी सब्जियां – 1/4
सलाद/फल – 1/4

खाने में जहां तक संभव हो, दही का प्रयोग करें और दही का पानी कभी भी नहीं फेंकें क्योंकि अधिकतर प्रोटीन इसी में होता है।

कैलोरीज का वितरण-
प्रतिदिन की आवश्कता के अनुसार कैलोरीज का निर्धारण निम्न प्रकार से है –

कार्बोहाइड्रेट – 50-60 प्रतिशत
प्रोटीन – 15-20 प्रतिशत
वसा – 25-30 प्रतिशत

ग्लाइसीमिक इंडेक्स क्या है ?
ग्लाइसीमिक इंडेक्स किसी खाने के द्वारा (प्रति 100 ग्राम) रक्त में बढ़ाए गए शुगर का मापदंड है, यह 100 ग्राम ग्लूकोस के द्वारा बढ़ाए गए रक्त में शुगर की तुलना में मापा जाता है।ग्लाइसीमिक इंडेक्स के आधार पर भोजन को तीन भागों में विभाजित किया गया है।उच्च जी.आई. (70 से ऊपर): व्हाईट राईस, ब्राउन राईस, कुचला हुआ आलु, तरबूज तथा कार्नफ्लैक्स मध्यम जी.आई. (59-69): आम, केला, पपिता, अनानास, बासमती चावल,कम जी.आई. (55 तथा उससे कम): सेब, अंगूर, संतरा, कीवी, स्ट्रोबेरी, चेरी, आडू, मसरूम तथा दूध ।मधुमेह के रोगियों को कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला भोजन लेना चाहिए।

Related Articles

हिन्दी English