ऋषिकेश :  पद्मश्री कैलाश खेर पधारे परमार्थ निकेतन…स्वामी चिदानन्द सरस्वती  का आशीर्वाद लेकर गंगा की आरती में किया सहभाग

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  • राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डाॅ केशव बलिराम हेडगेवार  जयंती पर उनकी राष्ट्रभक्ति व साधना को नमन
  • परमार्थ निकेतन में आज डाॅ हेडगेवार  की जयंती पर किया विशेष हवन और आज की गंगा आरती की समर्पित
  • अप्रैल फूल डे नहीं बल्कि अप्रैल कूल डे मनायें
  • स्वामी  ने किया आह्वान अप्रैल कूल डे हेतु पौधों का रोपण जरूरी
ऋषिकेश : स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डाॅ केशव बलिराम हेडगेवार  की जयंती पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि वे ऐसे महापुरूष थे जिन्होंने एक संकल्प लिया और पूरे राष्ट्र को एक दिशा प्रदान की।स्वामी  ने कहा कि लोग 1 अप्रैल को ’’अप्रैल फूल डे’’ के रूप में मनाते हैं और एक-दूसरे के साथ प्रैंक करते हैं परन्तु अब समय आ गया है कि हम अप्रैल फूल नहीं बल्कि पौधों का रोपण कर ‘‘अप्रैल कूल’’ (शीतल) डे मनायंे। स्वामी  और पद्मश्री कैलाश खेर  ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि आज के दिन को अप्रैल कूल डे के रूप में मनायें और पौधों का रोपण करे तथा पांच वर्षो तक उन पौधों का संरक्षण करे ताकि पौधे लगे रहे तभी हमारी यह धरती कूल-कूल (शीतल-शीतल) बनी रहेगी।
स्वामी  ने कहा कि जीवन में स्वयं के कार्यो, व्यवहार और चिंतन पर दृष्टि रखना बहुत जरूरी है। प्रतिदिन स्वयं को चेक करें, चेंज करें और रिचार्ज करें। स्वयं को चेक करने से तात्पर्य हम अपनी अलमारियों के शेल्फ को भरते रहते हैं, हम कई बार पूरा जीवन अलमारियाँ ही भरते रहते हैं काश हम यह भी चेक करें कि सेल्फ में; स्वंय में क्या-क्या भर रहे हैं। हम शेल्फ में जो भी भरते हैं उसका हिसाब रखते हैं, कई बार बेहिसाब भी शेल्फ भरते हैं लेकिन जो सेल्फ में अर्थात अपने भीतर भरते हैं उसका हिसाब रखना बहुत जरूरी है। स्वयं को चेंज करंे; स्वयं को बदलें से तात्पर्य यह नहीं है कि आप ग्लोरियस लाइफ न जियें या अपनी अलमारियों के शेल्फ न भरे बल्कि चेंजिग का मतलब है कि किस चीज से भरे अर्थात स्वयं को प्रेम से भरे या नफरत से भरे। अगर हम अपने जीवन में प्रसन्नता व शान्ति चाहते हंै तो ‘‘फॉरगेट से पहले फॉरगिव’’ करना होगा। जीवन को रिचार्ज करना है तो वह है संगीत! प्रभु की भक्ति और भक्ति की शक्ति जरूरी है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि पद्मश्री कैलाश खेर  की संगीत साधना, संगीत के प्रति समर्पण और संगीत में डूबा दिल अद्भुत है। जब भी  कैलाश खेर आते हैं परमार्थ गंगा तट भी बम लहरी की धूम में मस्त हो जाता है। गंगा माँ के तट पर जब-जब भी वे गाते हैं गंगा माँ उन्हें और अधिक शक्ति प्रदान करती हैं क्योंकि संगीत है शक्ति ईश्वर की और संगीत का अन्तिम लक्ष्य ही है प्रभु की शरण।पद्म श्री कैलाश खेर  ने कहा कि मैं पूज्य स्वामी  महाराज के श्रीचरणों मंे ही पला-बढ़ा यहां आकर लगता है मैं अपने ही घर में आ गया। यह हमारा अनंत सौभाग्य है कि आज पूरे विश्व में भारत का बहुत बड़े स्तर पर नाम है; भारत को पूरे विश्व में सम्मान मिल रहा है, भारत की ओर पूरा विश्व देख रहा है और उन्मूख हो रहा है। वर्तमान समय में ऐसा लग रहा है मानों सभी भारतीय जाग गये हैं; उनकी प्रज्ञा जाग गयी हैं। वर्तमान समय में भारत में चारों ओर जो कार्य हो रहे हैं वह केवल कार्य नहीं बल्कि अनुष्ठान हो रहा है। जिस दिशा में भी हम अपनी दृष्टि डाले भारत बदलता हुआ दिखायी दे रहा है। यह भारत का समय है जो पूज्य संतों के बिना सम्भव नहीं हो सकता।
स्वामी  ने  कैलाश खेर  को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

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