ऋषिकेश : गीता जयंती महोत्सव पर विद्या मंदिर गीता के उपदेश, श्लोक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मंत्रमुग्ध हो उठा

ऋषिकेश : गीता जयंती महोत्सव पर विद्या मंदिर गीता के उपदेश ,श्लोक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मंत्रमुग्ध हो उठा. गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन कार्यक्रम का शुभारंभ श्री कृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजक योगेश्वर प्रसाद ध्यानी, मुख्य अतिथि महिला आयोग अध्यक्षा कुसुम कंडवाल , विद्यालय के प्रधानाचार्य उमाकांत पंत ने श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम में कुसुम कंडवाल ने कहा कि गीता हमे जीवन जीने का संदेश देती है।श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में बताया है कि धर्म और कर्म: भगवान कृष्ण ने धर्म की महत्वपूर्णता को बताया और यह सिखाया कि मनुष्य को अपने कर्मों का पालन करते हुए धर्मपरायण रहना चाहिए।
महोत्सव कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधानाचार्य उमाकांत पंत ने कहा कि गीता का संदेश जग जग तक पहुंचे इसके लिए सभी को गीता के श्लोक ,उपदेश को एक संकल्प के रूप में रूप में इसे अपनाना होगा ।गीता जयंती महोत्सव पर योगेश्वर प्रसाद ध्यानी ने बताया कि श्री कृष्ण की महिमा के द्वारा यह सब कार्य हो रहे हैं यह हमारे परिवार का सौभाग्य है कि हम श्री कृष्ण जयंती महोत्सव माना पा रहे हैं ,जिससे सारा समाज जगमय हो सके।इस महान पुनीत अवसर पर उत्कृष्ट कार्यों के लिए कुसुम कंडवाल उमाकांत पंत, नरेन्द्र खुराना,मधुसूदन उमा पाठनी,रजनी गर्ग, सुंदरी कंडवाल को अंग वस्त्र पहनकर और श्रीमद्भागवत गीता देकर सम्मानित भी किया।मधुसूदन के चले कार्यक्रम संचालन में डॉ.संजय, कविता, पुष्पा,गीता, सतीश चौहान ,रामगोपाल रतूड़ी,मंजू बडोला,वीना जोशी,निर्णायक विकास कोठारी, वीरेंद्र कंसवाल,हर्षपति धस्माना,राजकरण आदि मौजूद रहे।