ऋषिकेश : मोटे अनाज को अपनी थाली में स्थान देकर उत्तराखंड से हो रहे पलायन को रोक सकते हैं, साथ ही बढ़ते मधुमेह को भी कम किया जा सकता है : स्वामी चिदानंद सरस्वती

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ऋषिकेश : विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस ( वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे) के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने मिलेट्स को अपने भोजन में स्थान देने का आह्वान किया। बाजरा, रागी, कंगनी, सावा, कुटकी, कोदो, ज्वार जैसे श्री अन्न न केवल इन्डिया को हैल्दी बना सकते हैं बल्कि हैल्दी वर्ल्ड हैल्दी प्लानेट का निर्माण किया जा सकता है।सुरक्षित भोजन तक सभी की पर्याप्त मात्रा में पहुंच होना आवश्यक है। अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की कुंजी पौष्टिक भोजन में निहित हैं। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि, कृषि, बाजार तक पहुंच, पर्यटन और सतत विकास में योगदान, खाद्य जनित जोखिमों को रोकने, पता लगाने और प्रबंधित करने में मदद करने के लिए ध्यान आकर्षित करना और कारवाई को प्रेरित करता है।

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स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि खाद्य सुरक्षा और पोषण में पोषक अनाज, मोटे अनाज का महत्वपूर्ण योगदान है। पोषक अनाज के टिकाऊ उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिये सभी को मिलकर प्रयास करना होगा तथा इसके लिये अन्य लोेगों को भी प्रेरित करना होगा। देश में प्राचीन और पौष्टिक अनाज के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं भागीदारी की भावना को जगाने के लिये मिलेट्स को बढ़ावा देना आवश्यक है।उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, लौह तत्व जैसे खनिजों के कारण बाजरा और अन्य मिलट्स अत्यंत पौष्टिक है। मोटे अनाज कैल्श्यिम और मैग्नीशियम से भरपूर है और यह पोषण सुरक्षा प्रदान करते हैं। मोटे अनाज बच्चों और महिलाओं के लिये सबसे उत्तम है।मोटे अनाज ग्लूटेन फ्री लो ग्लाइसेमिक इंटेक्स वाले होते है।

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अतः जीवनशैली की समस्यायें, मोटापा, मधुमेह जैसी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में भी मददगार हो सकते हैं। साथ ही मोटे अनाज कम पानी की खपत वाले होते हैं, ये बहुत कम वर्षा और सूखे की स्थिति में भी उत्पादन में सक्षम है साथ ही कार्बन और वाटर फुटप्रिंट कम होता है।स्वामी ने कहा कि हम अपने स्तर पर प्रयास कर मोटे अनाज को अपनी थाली में स्थान देकर उत्तराखंड से हो रहे पलायन को रोक सकते हैं। साथ ही बढ़ते मधुमेह को भी कम किया जा सकता है।

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