ऋषिकेश : “कल्यो” हुआ लांच, अब ऑनलाइन या ऑफलाइन आप खरीद सकते हैं….जानिये
कल्यो आप अपनी बेटी,बहन और बुआ को देते थे परंपरा के तहत



- रावत हॉस्पिटैलिटी धीरे…..कल्यो….को छोटे छोटे स्टाल के माध्यम से अन्य जगहों पर भी खोलने जा रहा है : सुरेन्द्र रावत
- जल्द सुरेन्द्र रावत अपने गाँव जो प्रताप नगर में वहां लांच करेंगे कल्यो फिर टिहरी, उत्तरकाशी व अन्य जगहों पर भी खोलेंगे.
- अभी जो कल्यो का बैग है उसमें 4 आइटम है, उचित मूल्य पर
- देश विदेश से बुकिंग आ रही है….जो अपनी बेटी, बहन, बुआ को आर्डर कर रहे हैं वहीँ बैठे बैठे : सुरेन्द्र रावत
- स्थानीय महिलाओं का समूह जुड़ेगा ग्रुप से, उनको रोजगार भी मिलेगा : सुरेन्द्र रावत
ऋषिकेश : गणेश चतुर्थी का दिन बड़ा अहम रहा उत्तराखंड के लिए. खासकर खानपान की बात करें तो, संस्कृति की बात करें तो. बुधवार को, वीरभद्र रोड स्थित बिन्द्रम होटल में क्रायक्रम आयोजित हुआ था. जिसमें कल्यो की लौन्चिंग हुई. यानी पहाड़ की संस्कृति, विरासत को आधुनिक युग में युवाओं के सामने रखने के लिए बेड़ा उठाया टिहरी के रहने वाले सुरेन्द्र रावत ने. जो गुजरात में अपना बिजनेस करते हैं. उन्आहूने चुनौतियों को स्कवीकार करते हुए उनसे पार पा कर आज वे सात संस्थानों के मालिक हैं. अब ऋषिकेश में उन्हूने बिन्द्रम पैलेस होटल में अपना काम शुरू किया है. जो कल्यो से जुड़ा हुआ है. कल्यो जिसे आप अपनी बेटी, बहन, बुआ को देते थे.एक परंपरा के तहत….वह धीरे धेरे खो चुकी है. उसको समाज के सामने रावत बंधुओं ने रखा है. अभी ऑनलाइन आर्डर और ऑफ लाइन आर्डर हो रहे हैं. आगे जाकर यह AMAZON में भी आने वाला है. बुधवार को भी देश विदेशों से आर्डर आये हुए थे.

दिनेश सेमवाल प्रांत कार्यवाह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, मुख्य अतिथि रहे. इस दौरान उन्होंने …अपने संबोधन में कई बातें कही.उन्हूने संस्कृति से लेकर पर्यावरण के विषय को बड़ी ही कुशलता से रखा अपने संबोधन में. उन्होंने कुछ सूत्र बताए पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन के लिए के लिए. जिसमें प्रमुख जल सरंक्षण, ऊर्जा संरक्षण, कूड़ा प्रबंधन, पशु पक्षी संरक्षण इत्यादि हैं. कल्यो,ध्याणी जो अब लोग नहीं जानते हैं. पुराने लोग जानते हैं. उन्हें अपनी युवा पीढ़ी को आज बताने की जरुरत है. संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन और हस्तांतरण हो तो अच्छा है. कल्यो एक शसक्त धरोहर जो हमें जोड़ती है. एकात्मकता का सूत्र है कल्यो..सुरेन्द्र रावत ने गुजरात में झंडा गाढ़ कर अब ऋषिकेश, टिहरी व् अन्य जनपदों में कम शुरू किया है. यह सबको करना होगा. जब रावत जी कर सकते हैं तो आप क्योँ नहीं कर सकते हैं ?बस एक दृढ इच्छा की जरुरत है.

कार्यक्रम में जो मंचासीन थे उनको श्री फल देकर सम्मानित किया गया. पर्यावरणविद विनोद प्रसाद जुगलान ने कहा कि हमारी पौराणिक परंपराएं ही हमारी संस्कृति की संवाहक हैं।हमारे पारंपरिक पकवानों के संरक्षण के लिए कल्यो जैसे आयोजन होते रहने चाहिएं।ये हमारी मातृ शक्ति बहिन,पुफु बुआओं को याद करने का अच्छा तरीका है। कार्यक्रम के सूत्रधार सुरेन्द्र ऊषा रावत ने कहा कि हम कल्यो के आयोजन से संस्कृति के प्रति पुनर्जागरण का कार्य करेंगे। महिला समूहों के द्वारा पहाड़ी पकवान तैयार कर हम देश विदेश में उत्तराखंड की संस्कृति को प्रसारित करना चाहते हैं।

दिनेश सेमवाल मुख्य अतिथि प्रांत कार्यवाह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, प्रदीप रमोला,पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रताप नगर ,जय सिंह रावत,अंतराष्ट्रीय सैफ जसपाल राणा, होटल व्यवसाई देवेन्द्र रावत, लक्ष्मी प्रसाद भट्ट,पुष्प भल्ला,प्रमिला राणा,शालू जैन, सच्चिदानन्द गैरोला, उपाध्यक्ष रिलायंस इंडस्ट्री, सूरत आदि लोग मौजूद रहे. कार्यक्रम का शानदार संचालन पार्यावरणविद डॉ विनोद जुगलान ने किया.

कल्यो क्या है?
- यह एक पारंपरक उराखंडी उपहार है, जो मैतियों द्वारा अपनी ध्याणी (विवाहित बेटी, बहन और बुआ) को पर्व पर भेजा जाता था। यह उपहार सिर्फ ब्यंजनों का समुच्चय नहीं बल्कि माँ की ममता, आशीवाद, संस्कार और आत्मसम्मान की परतों को संगृहत करता था।
इस परंपरा के मायम से…… - ध्याणी को ससुराल में आत्मबल मिलता था
- विवाह जगत की चुनौतियों का सामना कर पाती थी
- पूरे गाँव में यह सांझी संस्कृति का सुर हो जाता था…..परतु, युवा पलायन और आधुनकता के भाव के कारण यह परंपरा धीरे-धीरे धूमल हो रही है।रावत हॉस्पिटैलिटी ने इस अंतर को भरने के लिए “कल्यो” को पुनः समाननीय जीवनदान देने का प्रण लिया है.
- प्रत्येक ध्याणी के लए शुता, सांकृतक आमीयता, और पारवारक संरा क जीवंत भावना फिर मैतियों की तरफ से फिर से भेजने का निर्णय लिया है.
माता-पता और संतान के बीच भावनामक संबंध को पुनः जीवंत करगे