ऋषिकेश : नेपाली फार्म के पास चल रही निजी आईटीआई संचालकों पर पूर्व भवन स्वामी ने उनके पते पर संस्थान संचालित करने का लगाया आरोप

ऋषिकेश : नेपाली फार्म पर चल रही एक निजी आटीआई पर पूर्व भवन स्वामी ने लगाए हैं आरोप कि उनके भवन के पते का इस्तमाल कर रहे हैं आईटीआई संचालक. ऐसे में आईटीआई की प्रमाणकिता पर सवाल उठाये हैं पूर्व भवन स्वामी ने. आईटीआई (ITI) का नाम है एक्यूमैन आईटीआई, श्यामपुर ऋषिकेश. बताया जा रहा है इसमें इलेक्ट्रिशियन और फिटर का कोर्स होता है. बोर्ड में लिखा है भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त (NCVT). हालाँकि पूर्व भवन स्वामी राणा जयेन्द्र सिंह ने आईटीआई की प्रमाणकिता पर भी सवाल उठाये हैं. ऐसे में कई छात्रों का भविष्य अँधेरे में होने का उन्होंने अंदेशा जाहिर किया है.
दरअसल, मीडिया से बात करते हुए पूर्व भवन स्वामी राणा जयेन्द्र सिंह ने बताया, संपत्ति उनकी पत्नी सुनीता राणा के नाम पर है. आईटीआई का निदेशक/ चेयरमैन चंद्रशेखर है एवं उसके प्रतिनिधि अजय प्रकाश द्वारा राणा कि संपत्ति के दुरुपयोग को रोके जाने विषय पर पहले भी शासह्ण प्रशासन से पत्र ब्योहार हो चुका है लेकिन अधिकारी आये, मौका मुयायना किया लेकिन मेरा पता उनके रिकॉर्ड से हटा नहीं. उन्होंने बताया मेरी प्रॉपर्टी यानी जो भवन है जिसमें पहले आईटीआई संचालित होती थी वह ग्राम खैरी खुर्द तहसील ऋषिकेश थाना रायवाला में खाता संख्या 623 खसरा नंबर 165 में 342 वर्ग मीटर भूमि एवं उस पर बने भवन को आईटीआई औद्योगिक प्रशिक्षण के लिए उपरोक्त को किराए पर 2016 में दिया गया था. राणा द्वारा उपरोक्त किरायेदारी ही समाप्त कर आईटीआई संचालक जिसमें चंद्रशेखर और अजय प्रकाश हैं.

उपरोक्त को अपनी उपरोक्त स्थिति संपत्ति को खाली कर दिनांक 9 / 8 /2020 को उक्त संपत्ति का कब्जा उससे वापस ले लिया गया था.अब मामला यह है कि राणा की संपत्ति को खाली करने के बावजूद उक्त व्यक्ति प्रार्थी की उक्त संपत्ति का ही पता उपयोग कर रहे हैं तथा उक्त संपत्ति को बोर्ड लगाया हुआ है.रानने आरोप लगाया उक्त लोग प्रार्थी की संपत्ति का गैर कानूनी रूप से उपयोग कर रहे हैं. जिससे प्रार्थी को क्षति पहुंच सकती है. इस बाबत पहले भी एसडीएम ऋषिकेश से गुहार लगाईं थी. लेकिन मामले का निस्तारण नहीं हो पाया.इसलिए राणा ने उस समय भी एसडीएम से गुहार लगाईं थी कि आईटीआई संचालकों द्वारा प्रार्थी की संपत्ति के पते पर किए जा रहे कार्यकलापों एवं एड्रेस के उपयोग पर तत्काल रोक लगाने के आदेश सक्षम अधिकारी को करने की. लेकिन समस्या जस कि तस रही. एसडीएम से गुहार 2 /9 /2022 को लगाईं गयी थी.

अब राणा का कहना है हम कई बार उनसे मौखिक तौर पर भी कह चुके हैं लेकिन मेरी प्रॉपर्टी का पता अब तक प्रयोग में लाया जा रहा है. राणा का कहना है उनके कहने पर हमें बीच में पार्टनरशिप भी बनाया गया था. संसथान में प्रजापति और चंद्रशेखर पार्टनर हैं और अजय कॉर्डिनेटर/प्रिंसिपल.इस बीच संचालकों ने राणा से भवन में निर्माण भी करवा दिया. लेकिन अचानक बीच में छोड़ कर दूसरी जगह चले गए. जो नेपाली फार्म के पास पशु हॉस्पिटल के सामने वर्तमान में आईटीआई संचालित हो रही है. लेकिन पते का प्रयोग राणा का हो रहा है. ऐसे में राणा का कहना है वे मानसिक तौर पर तनाव में हैं कल को कुछ हो गया तो मेरे पते पर सब कुछ आएगा. आईटीआई संचालकों कि गतिबिधि पर भी उन्होंने सवाल खड़े किये हैं. साथ ही आईटीआई कि प्रमाणिकता पर सवाल उठाये हैं. ऐसे में छात्रों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है. अभी वर्तमान में लगभग 40 -50 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं आईटीआई में. किरायानामा विलेख में किरायेदारी 01 /06 /2016 से प्रारम्भ हो कर 31 /05 /2017 तक सम्पात मानी जायेगी करके लिखा हुआ था. जो शुरू में करार हुआ था भवन स्वामी और संचालक के बीच. लेकिन बाद में भवन स्वामी को पार्टनर बना दिया और निर्माण करवा दिया बह्वन में जितना पहले था उससे ज्यादा. फिर अचानक छोड़ कर चले गए. राणा का कहना है नियम यह कहता है आईटीआई को शिफ्ट नहीं कर सकते हैं जिस भवन में हैं वही पर रहेगी अगर करते हैं तो आईटीआई का संचालन नहीं किया जा सकता है दूसरी जगह. राणा का कहना है आठवें महीने 2020 से अब तक किराया भी बनता है जो लगभग 21 ,60 ,000 + बनता है लेकिन वो भी नहीं दिया उन्हें उन्होंने.

राणा का कहना है हम आईटीआई में भी गए वहां पर एक महिला शिक्षक गजाला बैठी मिलती है प्रिंसिपल कि कुर्सी पर उससे पूछा गया तो उसने लिख के दे दिया मेरी जिम्मेदारी नहीं है मैं अधिकृत नहीं हूँ कुछ बताने या करने को. तो सवाल उठता है आपने प्रिंसिपल कि कुर्सी पर उन्हें क्योँ बैठा रखा है ? दूसरा अजय प्रकाश पुत्र मंगतराम निवासी 73 ए न्याय खंड 3 इंदिरपुरम गाजियाबाद निवासी है जो वर्तमान में खदरी खड़क मांफ में रहता है वह ब्यक्ति यहाँ का जिम्मा संभाले हुए था जो बताया जा रहा है दिल्ली में चंद्रशेखर और राममहाबल प्रजापति पुत्र रामलाल निवासी निहाल विहार, नांगलोई, दिल्ली के साथ काम करता था. अजय नाम का ब्यक्ति जो कोर्डिनेटर के तौर पर बताया जा रहा है उसे राणा ने बताया कि हटा दिया है. जबकि उसी के साथ किराएनामा का समझौता हुआ था. चेयरमैन चन्द्रसेखर पुत्र राजकिशोर नाम का ब्यक्ति क्रॉसिंग रिपब्लिक गाजियाबाद निवासी बताया गया है. राणा का कहना है एक और ब्यक्ति है थापा नाम का जो पहले उनके भवन में गार्ड का काम करता था अब वह वहां पर किसी पद पर है. पूर्व भवन और नए भवन कि लोकेशन लगभग कुछ मीटर की दूरी पर हैं. एक सड़क के आमने सामने.

जब आईटीआई संचालकों का पक्ष जानने उनके संस्थान में गए तो वहां पर महिला शिक्षक गजाला मिली उन्होंने बताया वे अधिकृत नहीं है कोई बात बताने को लेकर. पूर्व भवन स्वामी राणा अब कानूनी कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं आईटीआई संचालकों के खिलाफ अगर मेरी प्रॉपर्टी का पता आईटीआई से नहीं हटाया जाता है तो. उन्होंने कहा अब कम से कम आईटीआई पांच बीघा में संचालित होनी चाहिए जबकि नयी जगह ऐसा नहीं है. खंड शिक्षा अधिकारी डोईवाला की तरफ से जवाब आया है माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत आच्छादित नहीं है. 01 /05 /2023 को क्षेत्रीय निदेशक आएएसडीई उत्तराखंड की तरफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है आईटीआई प्रबंधन को.नोटिस जारी होने के 20 दिन के अंदर जवाबा दाखिल करने को कहा गया है. यानी 22 /05 /2023 तक. जिसमें साफ़ कहा गया है क्योँ न आपके संस्थान को डेफिलियेट किया जाए ?
- बड़ा सवाल-
इस तरह से बहार से लोग आ कर शैक्षिक संस्थान खोल कर क्या यहाँ के छात्रों /युवाओं का भविष्य ख़राब नहीं कर रहे हैं ? - क्या प्रमाणिकता है आईटीआई की ? कोई जानकारी देते को तैयार नहीं है तो ऐसे में सवाल उठने लाजमी हैं. इस तरह कई सवाल उठ रहे हैं.
- क्या विभाग ने इन लोगों का रिकॉर्ड चेक किया ? क्या क्वालिफिकेशन है उनकी ? बड़ा सवाल है.
- सम्बंधित विभाग क्या इनकी नियमानुसार संस्थान के रेसोर्ट चेक करता है ?