ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन गंगा तट पर चुनरी महोत्सव…माँ गंगा को चुनरी अर्पित कर गंगा संरक्षण का लिया संकल्प

‘जल आंदोलन बने जन आंदोलन:स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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  • नदियों को स्वच्छता और धरा को हरियाली की चुनर चढ़ायें:स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन गंगा तट पर दिव्य आरती के दौरान माँ गंगा को चुनरी चढ़ाकर गंगा संरक्षण का संकल्प लिया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और कथा व्यास राधाकृष्ण के पावन सान्निध्य में हैदराबाद से आये बंग परिवार ने माँ गंगा को चुनरी अर्पित कर चुनरी महोत्सव मनाया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि माँ गंगा एक नदी नहीं बल्कि हम भारतीयों की ‘माँ’ है। माँ गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जो तीनों लोकों स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और पातल लोक से होकर बहती है। तीनों लोकों की यात्रा करने वालों को त्रिपथगा से संबोधित किया जाता है।राजा भगीरथ जो कि इक्ष्वाकु वंश के एक महान राजा थे उन्होंने कठोर तपस्या कर माँ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर अपने पूर्वजों को निर्वाण प्रदान कराने हेतु घोर तप किया था। राजा भगीरथ की वर्षों की तपस्या के बाद, माँ गंगा भगवान शिव की जटाओं से होती हुईं पृथ्वी पर अवतरित हुईं। पृथ्वी पर जिस स्थान पर माँ गंगा अवतरित हुई वह पवित्र उद्गम स्थान गंगोत्री है। माँ गंगा ने न केवल राजा भागीरथ के पूर्वजों के उद्धार किया बल्कि तब से लेकर आज तक वह लाखों-लाखों लोगों को ‘जीवन और जीविका’ प्रदान कर रही हैं तथा भारत की लगभग 40 प्रतिशत आबादी गंगा जल पर आश्रित हैं। अभी तक माँ गंगा मनुष्यों का कायाकल्प और उन्हें जीवन प्रदान करती आ रही हैं परन्तु अब गंगा के कायाकल्प की जरूरत है क्योंकि धार्मिक और सामाजिक परम्परायें, धार्मिक आस्था और सामाजिक मान्यताओं के कारण माँ गंगा में प्रदूषण बढ़ाने लगा है.

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गंगोत्री, ऋषिकेश, हरिद्वार, इलाहाबाद और वाराणसी जैसे प्रमुख स्थल हैं जिनका माँ गंगा के कारण ही अत्यधिक धार्मिक महत्व है। हरिद्वार को तो स्वर्ग का प्रवेश द्वार कहा जाता है ये सब महिमा और पर्यटन गंगा के कारण है इसलिये सिकुड़ती और प्रदूषित होती गंगा को जीवंत बनाये रखने के लिये ‘जल चेतना को जन चेतना’ एवं ‘जल आंदोलन को जन आंदोलन’ बनाना होगा ताकि पवित्र नदी माँ गंगा की दिव्यता चिरस्थायी रह सके। आईये हम सभी मिलकर माँ गंगा को स्वच्छता की और अपनी धरा को हरित चुनरी चढ़ायें।
सभी भक्तों और श्रद्धालुओं ने मिलकर माँ गंगा की पूजा अर्चना व चुनरी अर्पित कर माँ गंगा के संरक्षण का संकल्प लिया।

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