ऋषिकेश: लन्दन से लौटने के बाद महंत महेंद्र दास का हुआ स्वागत राम झूला हनुमान मंदिर में
एक महीने के महापर्वास पर थे महंत महेंद्र दास ब्रिटेन में

- श्री राम के आदर्शों को महंत महेंद्र दास महाराज ने जन-जन तक पहुंचा
- घर-घर रामायण हर घर रामायण का संदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिया गया
- रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है. : महंत महेंद्र दास
ऋषिकेश : सोमवार को प्राचीन हनुमान मंदिर राम झूला के महंत महेंद्र दास महाराज के एक महापर्वास के बाद लंदन से लौटने पर ऋषिकेश रामायण प्रचार समिति तुलसी मानस मंदिर और श्री दर्शन महाविद्यालय ने मिलकर प्राचीन हनुमान मंदिर में महंत का भव्य और दिव्य स्वागत किया गया .
तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने प्राचीन हनुमान मंदिर राम झूला पहुंचकर श्री दर्शन महाविद्यालय के ऋषि कुमारों ने महाराज श्री का पुष्प वर्षा वेद मंत्रों की ध्वनि से स्वागत अभिनंदन किया गया.पर्यावरण संरक्षण संवर्धन जन चेतना अभियान गोमुख संकल्प यात्रा के संस्थापक अध्यक्ष महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने शॉल एवं पुष्प हार पहनकर महाराज श्री का भव्य स्वागत किया. इस अवसर पर महंत महेंद्र दास महाराज ने बताया कि “मेरी एक माह की आध्यात्मिक यात्रा घर-घर रामायण हर घर रामायण का प्रचार प्रसार एवं अपने सनातन की ध्वजा को विश्व में घर-घर रामायण हर घर रामायण का प्रचार प्रसार करते हुए मुझे बहुत प्यार स्नेह मिला भगवान श्री राम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचया. उन्होंने भक्ति को केवल पूजा नहीं जीवन जीने की एक संजीव विद्या के रूप में प्रस्तुत किया…आज भी धर्म नीति और भक्ति की अमित स्त्रोत है.
रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है. इसी के माध्यम से हम अपने जीवन को सनातन धर्म की ओर लगते हैं. जीवन और काव्य सृजन एक ऐसे आलोक स्तंभ के समान है जो युगों युगों तक मानवता को धर्म करुणा सेवा संयम और कर्तव्य का पाठ दिखाते रहेंगे. जिस भाव भाषा मैं श्री राम की गाथा को प्रस्तुत किया. वह अवधी भाषा उसे कल में लोक की भाषा थी. श्री रामचरितमानस केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि भारतीय जीवन मूल्यों की जीवन पाठशाला है.महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि “भारत के लिए यह शुभ संकेत है कि युवा संत समाज आगे आकर पूरे विश्व में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रहा है. अपने बड़ों से सीख कर उसे संस्कृति को आगे बढ़ा रहा है. इस अवसर पर महंत महेंद्र दास महाराज, महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज, महंत मनोज प्रपन्नाचार्य, महंत जगदीश प्रपन्नाचार्य, महाराज सुनील नौटियाल,अनूप रावत आदि उपस्थित रहे.



