ऋषिकेश : चला गया एक यमुना भक्त..पर्यावरण वैज्ञानिक पंचतत्व में हुआ विलीन, दी गयी भावभीनी श्रद्धाजंलि
पूर्व भारतीय वन सेवा अधिकारी मनोज मिश्रा के निधन पर भावभीनी श्रद्धाजंलि

- परमार्थ गंगा तट पर मनोज मिश्रा की आत्मा की शान्ति हेतु विशेष शान्ति पूजा का आयोजन
- मनोज मिश्रा ने यमुना जी के प्रदूषण के साथ ही बाढ़ के मैदानों की सुरक्षा के लिए अद्भुत कार्य किया
- यमुना प्रदूषण के विरूद्ध एक योद्धा के रूप में निभायी भूमिका :स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने यमुना जी को प्रदूषण मुक्त करने हेतु योद्धा की भूमिका निभाने वाले मनोज मिश्रा के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुये भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।आज प्रातःकाल परमार्थ गंगा तट पर मनोज मिश्रा की आत्मा की शान्ति हेतु विशेष शान्ति पूजा का आयोजन किया गया। जिसमें मिश्रा परिवार के सदस्यों, संबंधियों और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने सहभाग कर दिवंगत आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना की।परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने मिश्रा परिवार के प्रति संवेदनायें व्यक्त करते हुये कहा कि मनोज मिश्रा अपने अद्भुत कार्यो के लिये सदैव याद किये जायेगे। उनका जीवन सदैव ही युवा पीढ़ी के लिये प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
स्वामी ने मनोज मिश्रा की दुःखी परन्तु विदुषी माता जिन्होंने अपने पुत्र को संस्कृति संस्कारों से पोषित किया, गंगा जी और यमुना जी की सेवा के लिये समर्पित करने वाली माता को ढाढस, सांत्वना और धैर्य प्रदान करते हुये कहा कि आप अकेले नहीं है हम सब आपके साथ है। वे ऐसे यमुना पुत्र थे जिन्होंने सदैव यमुना जी की स्वच्छता की अलख जगाये रखी। उनकी बेटी अंजनी और उनके साथ 25 वर्षो से यमुना जी की सेवा हेतु कार्य करने वाली सुधा मोहन व पूरे परिवार को स्वामी ने सांत्वना प्रदान की।स्वामी ने परिवार के सदस्यों को सांत्वना देते हुये कहा कि मिश्रा जी का सांसारिक दायरे से प्रस्थान से न केवल पारिवारिक स्तर पर क्षति हुई है बल्कि पर्यावरण व नदियों के संरक्षण के स्तर पर अपूरणीय क्षति हुई है जिसे कभी नहीं भरा जा सकता है। हम सभी के बीच उनकी भौतिक उपस्थिति की कमी बहुत खलेगी, लेकिन उनके असाधारण कार्यो की विरासत हमेशा प्रकाश और प्रेरणा की किरण बनेगी।मिश्रा केवल अपने कार्यों से ही नहीं बल्कि अपने कर्तव्य का पालन, दूसरों की सेवा करना और पर्यावरण के प्रति समर्पित जीवन जीने के लिये भी सदैव याद किये जायेंगे।
उन्होंने यमुना जी को प्रदूषण मुक्त करने के अभियान में संभावनाओं की कल्पना की जहां दूसरों ने चुनौतियों को देखा। वे दूरदर्शी व्यक्तित्व के धनी थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि प्रत्येक चुनौती हमें एक अवसर देती है ताकि हम प्रकृति के करीब आयें और प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने जियें। मिश्रा ने अपने जीवन में अनेकों को छुआ है, वह अपने कार्यो के माध्मय से अभी भी हमारे साथ है। उनका भौतिक रूप भले ही विदा हो गया हो, लेकिन आत्मा शाश्वत है जो अपनी अनंत यात्रा जारी रखती है। आत्मा चिरस्थायी है जो उनके सांसारिक जीवन को अनुप्राणित करती है।परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और परिवार के सदस्यों ने शान्ति पूजन के साथ दिवंगत आत्मा को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।