उत्तराखंड में दूसरे राज्यों के निवासियों को आरक्षण नहीं मिलेगा


देहरादून : उत्तराखंड वासियों के लिए अच्छी खबर है…..खास तौर पर युवाओं के लिए. अक्सर अधिकतर नौकरियां दूसरे राज्यों के युवाओं को देने का आरोप लगता रहा है. अभी हाल ही में हरियाणा के काफी युवा उत्तराखंण्ड में डाक विभाग (केंद्र सरकार से नियुक्ति) में नियुक्त हुए हैं जिसका विरोध किया जा रहा है. कई बताये जा रहे हैं फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी पाए हैं राज्य में. राज्य सरकार ने जाँच के आदेश देने के बाद कई युवा वापस हरियाणा चले गए, उन्हूने ज्वाइन नहीं किया. ख़ास तौर पर कुमाऊं इलाके में. लेकिन अब एक अच्छी खबर आ रही है. कार्मिक व् समाज कल्याण के बाद न्याय विभाग ने बेसिक शिक्षक भर्ती पर अपनी राय दे दी है. जिसमें कहा गया है, उत्तराखंड की नौकरियों में दूसरे राज्यों के ब्यक्ति को सामान श्रेणी में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. राज्य के बेसिक शिक्षा भर्ती में शामिल दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों की वजह से उठे विवाद को लेकर कार्मिक विभाग ने आरक्षण पर अब साफ़ तरीके से अपनी राय दे दी है. पुनर्गठन अधिनियम की पांचवी-छठी अनुसूचि में उत्तराखंड को अनुसूचित व अनुसूचित जनजाति अलग से चिन्हित हो चुकी है. ऐसे में राज्य के अलावा किसी दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थी को राज्याधीन सेवाओं में एस-एसटी के लिए मान्य आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता. शासन में सूत्रों की मानें तो, मामले में कार्मिक व समाज कल्याण विभाग के बाद शिक्षा सचिव रविनाथ रनमन ने न्याय विभाग से भी परामर्श मांगा था. न्याय विभाग की राय भी कार्मिक के अनुसार ही दी गयी है. ऐसे में युवाओं के लिए इसको अच्छी खबर कहा जा सकता है. प्रदेश के युवाओं को उचित तरीके से रोजगार मिल सकेगा.