अयोध्या में स्थापित होगा 3500 किलो वजन का राम जी का धनुष, राजस्थान से पहुंचा अयोध्या…देखिये VIDEO

हनुमान जी की गदा भी हुई अयोध्या रवाना हुई राजस्थान के अजमेर से

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  • ट्रेलर (लंबा ट्रक) निकला धनुष बाण, ख़ास तरह का स्टैंड बनाया गया है इसको ले जाने के लिए
  • श्री राम मंदिर की सजावट जारी है, उसी क्रम में यह धनुष बाण स्थापित होगा
  • 18 कारीगरों ने पंचधातु से धनुष बाण तैयार किया है.  कारीगरों ने मंदिर के निर्माण कार्य में भी सहयोग दिया है

अयोध्या/अजमेर  : श्री राम नगरी अयोध्या में स्थापित होगा 35 टन वजनी राम जी का धनुषा, इसके साथ ही हनुमान जी की गदा भी हुई रवाना राजस्थान के अजमेर से. पहुंची अयोध्या. इस दौरान रास्ते में जहाँ से भी यह गुजरा लोग हाथ जोड़ कर खड़े हो गए.आपको बता दें,  श्रीजी सनातन सेवा संस्थान शिवगंज सुमेरपुर की ओर से अयोध्या राम मंदिर के लिए भगवान श्रीराम के शिव धनुष बाण को रवाना किया गया है.  अर्पण किए जाने वाले धनुष बाण का वजन 3500 किलो है.  शुक्रवार को धनुष बाण का आदर्श नगर परबतपुरा इलाके से गुजरते वक्त पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया. आपो बता दें,  अयोध्या में भगवान रामलला का मंदिर बनने के बाद उसकी सजावट और चढ़ावे का काम जारी है.  इसके तहत सनातन सेवा संस्थान शिवगंज सुमेरपुर की ओर से शिव धनुष बाण चढ़ाया जाएगा.इसके साथ ही हनुमान जी की विशाल गदा को भी रवाना किया गया है. इसका निर्माण की बात करें तो अयोध्या में 500 साल बाद रामलला का मंदिर बनने के बाद शिव धनुष चढ़ाया जाएगा. श्रीजी सनातन सेवा संस्थान ने रामनवमी पर इसका निर्माण शुरू किया था.  18 कारीगरों ने पंचधातु से धनुष बाण तैयार किया है.  कारीगरों ने मंदिर के निर्माण कार्य में भी सहयोग दिया है.

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अयोध्या पहुँचने पर इस दौरान इनकी पूजा की गई. दोनों को अभी कारसेवक पुरम में रखवाया गया है. इन्हें राम दरबार में रखा जाएगा. न्हें बनाने वाले श्री सनातन सेवा संस्थान की आचार्य सरस्वती देव कृष्णा गौर और राजस्थान से आए कारीगरों ने इन्हें रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को समर्पित किया. इसके बाद इन्हें कारसेवक पुरम में रखवा दिया गया. जल्द ही इन्हें रामलला के दरबार में जगह दी जाएगी. उन्होंने बताया कि धनुष की लंबाई 19 फीट और चौड़ाई 31 फीट है. इसका वजन 1100 किलोग्राम है. गदा की लंबाई 26 फीट है. चौड़ाई 12 फीट है और इसका वजन 1600 किलोग्राम है. श्रीरामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जिस भाव के साथ इसका निर्माण किया गया उसे राम जन्मभूमि में ही उचित स्थान पर जगह दिया जाएगा. जिससे राम मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं भी इसका दर्शन कर सकें.इससे पहले भी अलीगढ़ का ताला, खड़ाऊं, बांसुरी, तलवार, स्वर्ण मुद्रित रामायण, नगाड़ा, घंटा, शंख समेत अन्य शामिल रामलला के दरबार के लिए भेंट में दिए जा चुके हैं.

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विडियो सौजन्य ; दूरदर्शन –

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