संविदा कर्मचारियों के कार्यकाल समाप्ति पर एम्स ऋषिकेश में विवाद: प्रशासनिक निर्णय पर उठे सवाल

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ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में लंबे समय से कार्यरत 56 संविदा कर्मचारियों के कार्यकाल की समाप्ति को लेकर गहरा विवाद उत्पन्न हो गया है। कर्मचारियों का कार्यकाल 2 सितंबर 2025 से अचानक समाप्त कर दिया गया, जिससे उनके बीच आक्रोश और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस निर्णय को लेकर प्रशासनिक स्तर पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के सेवा विस्तार के संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए हैं।
संविदा कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2017 में चौथी वित्त समिति द्वारा स्वीकृत वेतनवृद्धि का लाभ अब तक उन्हें नहीं दिया गया है। वहीं, नए कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतन का लाभ मिल रहा है और उनका कार्यकाल नियमित रूप से बढ़ाया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि एक ही संस्थान में इस प्रकार की विसंगतियाँ भेदभावपूर्ण हैं, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।संविदा कर्मचारी संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ विभागों में समान पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को दोगुना वेतन और निरंतर सेवा विस्तार दिया जा रहा है, जबकि उनके मामले में बिना किसी ठोस कारण के कार्यकाल समाप्त कर दिया गया। कर्मचारियों के मामले फिलहाल विभिन्न न्यायालयों—CGIT, हाईकोर्ट और CAT—में विचाराधीन हैं। अदालत ने निर्देश दिया था कि अंतिम आदेश आने तक कर्मचारियों को सेवा में बनाए रखा जाए, लेकिन प्रशासन ने इस आदेश की अवहेलना करते हुए उन्हें सेवा से हटा दिया है। कर्मचारियों ने इस निर्णय को अनुचित और कानून के खिलाफ बताया है।
संविदा कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से मिला, लेकिन उन्हें केवल इतना बताया गया कि मामला सक्षम प्राधिकारी को भेजा जा चुका है और बैठक हो चुकी है। हालांकि, कर्मचारियों को अब तक कोई लिखित उत्तर नहीं दिया गया है। इसके साथ ही कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें आउटसोर्सिंग पदों पर शामिल होने का दबाव डाला जा रहा है, जो मौखिक निर्देशों पर आधारित है। यह स्थिति कर्मचारियों के लिए अन्याय और शोषण के समान है।संविदा कर्मचारियों की प्रमुख मांग है कि उनका सेवा विस्तार पूर्व की तरह किया जाए, चौथी वित्त समिति द्वारा स्वीकृत वेतन वृद्धि दी जाए और उनका बकाया वेतन शीघ्र भुगतान किया जाए। कर्मचारी यह भी चाहते हैं कि उनके मामले में जल्द से जल्द प्रशासनिक निर्णय लिया जाए।
आज के घटनाक्रम में, एम्स ऋषिकेश के सिक्योरिटी गार्ड द्वारा निकाले गए कर्मचारियों को संस्थान में प्रवेश से रोका गया। कर्मचारियों ने कहा कि जब तक उन्हें लिखित में आदेश नहीं मिलते, वे संस्थान के भीतर ही शांतिपूर्वक इंतजार करेंगे। उन्होंने प्रशासन से तत्काल निर्णय लेने की मांग की है।कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने अपनी बात केवल सक्षम प्राधिकारी से की है और उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। वे संस्थान के भीतर बैठकर सकारात्मक निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कर्मचारियों ने यह भी बताया कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने उनके खिलाफ गलत आरोप लगाए हैं और जबरदस्ती शांतिपूर्वक इंतजार कर रहे कर्मचारियों को विरोध प्रदर्शन करने के रूप में पेश किया गया।कर्मचारियों की बात सुनने और प्रशासन में उनकी बात रखने के लिए   स्थानीय पार्षद भी शामिल हुए हैं, जिन्होंने कर्मचारियों की समस्या को लेकर एम्स प्रशासन से बातचीत की। पार्षद राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट, जो लोकसभा सांसद के  स्वास्थ्य प्रतिनिधि भी हैं, कर्मचारियों की आवाज उठाने के लिए अधिकारियों से मिले थे। कर्मचारियों का कहना है कि पार्षदों ने कोई बदतमीजी नहीं की और उनका उद्देश्य सिर्फ कर्मचारियों की समस्या का समाधान था।यह मामला अभी भी जारी है और कर्मचारियों ने उम्मीद जताई है कि उन्हें उनके अधिकारों के अनुसार न्याय मिलेगा। वर्तमान में, सभी 56 कर्मचारी उपनिदेशक कार्यालय के बाहर बैठकर प्रशासनिक निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे शांतिपूर्वक अपनी बात रखना चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही उनके पक्ष में निर्णय लिया जाएगा।

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