ऋषिकेश : त्रिवेणी संगम पर ओशो प्रेमियों ने धूमधाम से मनाया आचार्य रजनीश (OSHO) का जन्मदिन
ऋषिकेश : राविवार को त्रिवेणी संगम पर ओशो प्रेमियों ने धूमधाम से मनाया आचार्य रजनीश (OSHO) का जन्मदिन। इस मौके पर नगर निगम ऋषिकेश की मेयर अनीता मान गई भी पहुंची उन्होंने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
आज विश्व विख्यात आध्यात्मिक गुरु एवम चिंतक आचार्य रजनीश ओशो का जन्मदिवस है। ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर ओशो प्रेमियों ने बड़ी धूमधाम के साथ अपने गुरु का जन्मदिन मनाया। कार्यक्रम का शुभारंभ ऋषिकेश की मेयर अनिता ममगाई ने किया।
इस अवसर पर उन्होंने संबोधन में कहा आचार्य रजनीश एक ऐसे महापुरुष और आध्यात्मिक गुरु हैं जिनको पूरा विश्व समझता और पढ़ता है। खासकर युवा अब तेजी से ओशो के प्रयोग से जुड़ता जा रहा है। उन्होंने ऐसे महापुरुषों के जन्मदिवस को व्यापक स्तर पर मनाए जाने पर जोर दिया।
ओशो संत स्वामी बोधि वर्तमान ने कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ओशो के मेडिटेशन और योग ने तनाव से मुक्ति के द्वार खोले हैं। हम यहां पर इतना बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं कर पाए लेकिन मध्य प्रदेश में जबलपुर में काफी बड़ा कार्यक्रम आज हो रहा है। हमारा सौभाग्य है कि मेयर अनिता ममगाईं आज के इस छोटे से कार्यक्रम में गंगा तट पर पहुंची हैं। हम उम्मीद करते हैं कि अगले वर्ष हम यहां पर बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
ओशो संत प्रेम चैतन्य ने कहा कि यह सब स्वामी जी के आशीर्वाद से और उनके बताए गए रास्ते से ही हो रहा है।हम यहां पर आज उनको याद कर रहे हैं उनके विचारों उनके बताए गए मार्ग पर चलकर। वे हिंदी भाषी क्षेत्र के ऐसे संत रहे हैं जो विश्व पटल पर आज उनको करोड़ों लोग याद करते हैं।मैं खुद ग्रामीण क्षेत्र से आता हूं इसलिए मुझे यह समझ है।वे सीधी और साफ बात करते थे। उनकी कहीं गयी बातें और उनके बताए गए मार्ग पर आज हम चल रहे हैं। कार्यक्रम में इस दौरान महंत रवि प्रपन्नाचार्य जी महाराज अध्यक्ष तुलसी मानस मंदिर ऋषिकेश और कई ऋषि कुमार व अन्य भक्त मौजूद रहे।
कौन थे ओशो ? ओशो का संक्षिप्त जीवन परिचय (Biography Of Osho)
आचार्य ओशो रजनीश का जन्म भारत के मध्यप्रदेश राज्य के कुचवाड़ा गांव में 11 दिसम्बर, 1931 को हुआ था. उनका बचपन का नाम रजनीश चन्द्रमोहन जैन था. ओशो के पिता का नाम बाबुलाल जैन उर्फ़ स्वर्गीय देवतार्थ भारती था. जो कपडें के एक व्यापारी थे. आपकी माता का नाम सरस्वती बाई जैन उर्फ़ माँ अमृत सरस्वती था. उनके माता-पिता तारनापंथी जैन समुदाय से संबंधित थे. रजनीशजी (आचार्य ओशो) का परिवार जैन धर्मावलम्बी था. बचपन से ही रजनीश निर्भीक तथा स्वतन्त्र विचारों के धनी थे. ओशो को तैराकी बहुत पसंद थी, वे 100 फीट ऊंचे पुल से नदी में छलांग लगाना और उसे तैरकर आसानी से पार करना उन्हें बहुत प्रिय था।
ओशो का जीवन दर्शन माहत्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, भगवान श्री कृष्ण, भगवान शिव, जीजस (Jesus Christ) आदि धार्मिक प्रवर्तकों, सूफी सन्तों व महान् दार्शनिकों से समन्वित रहा है. प्रेम की चेतना से ईश्वर को पाना यह उनके जीवन दर्शन का सार रहा है। ओशो का जन्म 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा में हुआ था. जन्म के वक्त इनका नाम चंद्रमोहन जैन था. बचपन से ही उन्हें दर्शन में रुचि पैदा हो गई. ऐसा उन्होंने अपनी किताब ‘ग्लिप्सेंस ऑफड माई गोल्डन चाइल्डहुड’ में लिखा है।
आचार्य ओशो विद्यालय तथा महाविद्यालयों में वे वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपने ओजस्वी प्रवक्ता होने का परिचय देते रहे. साथ ही साथ उन्होंने कई धार्मिक रूढ़ियों और मुड़ता पर अपने दबंग विचार दिये. मुल्ला, पण्डितों, पादरियों को भी उन्होंने सच्चे जीवन दर्शन का ज्ञान कराया था. सन् 1957 में सागर विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में प्रथम श्रेणी में प्रथम गोल्ड मेडल लेकर दर्शनशास्त्र की परीक्षा उत्तीर्ण की और वहीं पर वे दर्शनशास्त्र के प्राध्यापक नियुक्त हुए।