शत्रुघ्न घाट पर द्वाराचार्य श्रीमद् जगद्गुरु योगानन्दाचार्य स्वामी दयाराम देवाचार्य महाराज का परंपरागत ढोल दमाऊ के साथ हुआ भव्य स्वागत
मां गंगा की कृपा से हमारा सौभाग्य है ऐसे संत का हम स्वागत कर रहे हैं जो महान हैं -मनोज शास्त्री


- महाराजश्री दो महीने के प्रवास के बाद लौटे हैं अपने आश्रम श्री राम तपस्थली, ब्रह्मपुरी
- उन्हें (द्वाराचार्य पूज्य श्रीमद् जगद्गुरु श्री स्वामी योगानन्दाचार्य स्वामी दयाराम देवाचार्य जी महाराज) की पदवी से नवाजा गया है महाकुम्भ में
- उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली,मध्य प्रदेश का दौरा कर लौटे हैं महाराजश्री
- शत्रुघ्न मंदिर के महंत मनोज शास्त्री ने उनको पुष्पाहार, अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत अभिनन्दन किया
मुनि की रेती :शुक्रवार को द्वाराचार्य पूज्य श्रीमद् जगद्गुरु श्री स्वामी योगानन्दाचार्य स्वामी दयाराम देवाचार्य जी महाराज का ढोल दमाऊ के साथ परंपरागत स्वागत क्यिया गया रामझूला के पास शत्रुघ्न मंदिर में. मंदिर के महंत मनोज शास्त्री ने उनको पुष्पाहार, अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत अभिनन्दन किया. महाराज श्री ने रामझुला पुल से ढोल दमाऊ के साथ सबसे पहले शत्रुघ्न मंदिर गए. उन्हूने वहां पर दर्शन किये. फिर उनका स्वागत, सत्कार किया गया मंदिर के महंत मनोज शास्त्री ने. उसके बाद उन्होंने मां गंगा का पूजन किया और भव्य गंगा आरती में शामिल हुए. इस दौरान भक्तजनों द्वारा जगद्गुरु महाराज का देवभूमि उत्तराखंड की जनता जनार्दन, धार्मिक संगठनों द्वारा भव्य एवं दिव्य स्वागत किया गया.

आपको बता दें, देवभूमि उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध संत पूज्य जगद्गुरु श्री स्वामी योगानन्दाचार्य श्री स्वामी दयाराम देवाचार्य जी के प्रयागराज महाकुम्भ में जगद्गुरु की उपाधि से अलंकृत होने पर स्वागत कार्यक्रम के पावन शुभ अवसर पर सभी वैदिक सनातनी भक्तजन उपस्थित रहे. इस दौरान महंत मनोज शास्त्री ने कहा गुरु जी का अमन हमारे लिए सौभाग्य की बात है. वे जितने सरल हैं उतने ही महान ब्यक्तित्व के स्वामी हैं. वे मन से संत हैं. आज हमें उनका स्वागत करने का अवसर मिला है इसके लिए मां गंगा का धन्यवाद. उन्ही कृपा से यह सब हो रहा है. महाराजश्री ने अपने संबोधन में कहा, सनातन धर्म की महानता है, शक्ति है जो आज हम हैं उसी की बदौलत हैं. हम जब तक ज़िंदा हैं सनातन धर्म की सेवा करते रहेंगे. सनातन के लिए काम करते रहेंगे. उन्हूने कहा जो महाकुम्भ प्रयागराज में हमें उपाधि मिली है वह सनातन धर्म की जीत है. उत्तराखंड के लोगों का सम्मान है. सनातन है तो सब कुछ है. महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा, जब भी हम महाराजश्री से मिलते हैं हमें अपार हर्ष होता है. उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. उन्हूने सनातन धर्म के लिए अपने आप को खपाया है. आपने आप को समर्पित किया है. ऐसे सच्चे संतों का आशीर्वाद मिलना सौभाग्य की बात है. इस अवसर पर अखिल भारतीय सीता राम परिवार की प्रदेश अध्यक्ष सुशीला सेमवाल ने महाराजश्री को शाल और पुष्पहार पहनाकर उनका स्वागत, अभिनंदन किया. सेमवाल ने कहा, गुरु देव हमारे प्रेरणा हैं. उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. उनका आशीर्वाद बना रहे. सनातन धर्म के लिए काम करते रहें यही हमारी कामना है. वे महान संत हैं. इस दौरान, ऋषिकेश स्तुथित लसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज, आचार्य बिजल्वान, (मां सुरकंडा देवी उपासक) जगदीश भट्ट, शुभम नौटियाल, पूर्व मेयर ऋषिकेश अनिता ममगाईं, पवन शर्मा,अजय बिष्ट, भानुमित्र मिश्र,रीना उनियाल, मनोज मलासी, उर्मिला ममगाई,कमल सिंह राणा, भारत भूषण कुकरेती, प्रमोद दास महाराज, महावीर दास महाराज और सैकड़ों देश विदेश से आये हुए गंगा भक्त मौजूद रहे.