प्याज बेच रहा था 1000 करोड़ का “ठग” पियूष तिवारी, नाम बदल बदल कर रहा था, 50 हजार का था ईनाम, हैरान करने वाला मामला

दिल्ली और महाराष्ट्र के बीच चक्कर काट रहा था और फिलहाल नासिक में छिपा था. तब से पुलिस उसे ढूंढ नहीं पा रही थी

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धोखाधड़ी की ये कहानी सुनेंगे तो दांग रह जायेंगे आप….जी हाँ, नाम है आरोपी का पियूष तिवारी. नॉएडा के नामी बिल्डर में नाम था पियूष तिवारी का.तीन दर्जन मामले और कई राज्यों को पुलिस ढूंढ रही थी संदिग्ध पियूष त्रिवारी को. लगभग 1000 करोड़ की धोखाधड़ी करने का आरोप है पियूष पर. रियल एस्टेट के काम में एक फ़्लैट कई लोगों को बेच दिया, ऐसे कर कर के धोखाधड़ी करता रहा लेकिन अपराध नहीं छोड़ा. कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर रखा था. पत्नी शिखा जेल में बंद है पहले से, उसके खिलाफ भी कई धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं. 42 वर्ष के इस ब्यक्ति को कई राज्यों की पुलिस ढूंढ रही थी. आखिर में दिल्ली पुलिस की टीम ने इसे धर दबोचा. दिल्ली और नासिक के बीच भागता फिर रहा था पियूष. पुलिस उपायुक्त (दिल्‍ली नार्थ) सागर सिंह कलसी ने कहा कि तिवारी 2018 में अंडरग्राउंड हो गया था और तब से पुनीत भारद्वाज की पहचान के साथ वेश बदलकर रह रहा था. कलसी ने आगे बताया क‍ि उस पर 50,000 रुपए का इनाम था. वह दिल्ली और महाराष्ट्र के बीच चक्कर काट रहा था और फिलहाल नासिक में छिपा था. तब से पुलिस उसे ढूंढ नहीं पा रही थी.

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गुप्त सूचना मिलने पर दिल्ली पुलिस ने इसे नासिक से गिरफ्तार किया है. पियूष प्याज का कारोबार कर रहा है था. दिल्ली पुलिस कई बार मुंबई और नासिक गयी लेकिन हाथ नहीं लग पा रहा था. वह भागता रहा, लेकिन ठगी का काम नहीं छोड़ा. इसी महीने 20 मार्च को उसके ठिकाने के बारे में सही जानकारी मिली. एसीपी जयपाल सिंह के नेतृत्व में एक टीम जिसमें सब-इंस्पेक्टर नरेश कुमार और संदीप शामिल थे, टीम ने नासिक में एक लोकप्रिय फूड चेन आउटलेट पर छापा मारा वहां से पियूष तिवारी को पकड़ लिया. गरीबों के पैसे डकार गया फ़्लैट के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करता रहा. आजकल प्याज के धंधे में था, प्याज बेच रहा था महाराष्ट्र के नासिक में.

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पियूष ने पूछताछ में ये बताया-
पियूष ने फर्जीवाड़ा करना नहीं छोड़ा, पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान तिवारी ने खुलासा किया 2016 में उसके घर पर आयकर छापेमारी की गई और लगभग 120 करोड़ रुपए जब्त किए गए थे. वह वाणिज्य से स्नातक है और उसने कई वर्षों तक विज्ञापन क्षेत्र में भी काम किया था. उसने 2011 में एक बिल्डर के रूप में अपना व्यवसाय शुरू किया. 2018 तक 15-20 शेल कंपनियों के साथ आठ कंपनियां बनाईं. इसके बाद उनका धंधा चौपट हो गया और उसने एक फ्लैट कई खरीदारों को बेचकर लोगों को ठगना शुरू कर दिया. उसके खिलाफ कई मामले दर्ज होने के बाद भी वह न्यायिक कार्यवाही से बच गया और उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया गया. इसके बाद वह दिल्ली से भाग गया और फर्जी नाम से अपना अड्डा पश्चिमी भारत में बनाया और उसने कई व्‍यापार में हाथ आजमाया, लेकिन फर्जीवाड़ा फिर भी नहीं छोड़ा.

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