सुल्तानपुर : घासीगंज वार्ड में वर्षों से पीने को पानी नही,चलने को सड़क नही, कौन सुने ?
सुल्तानपुर : घासीगंज वार्ड में वर्षों से पीने को पानी नही,चलने को सड़क नही, कौन सुने ?
सुल्तानपुर : सरकार लाख दावे करती हो कि हमने जनता के लिए सारी सुविधाएं मुहैया करा दी है,जनता को अब कहीं किसी प्रकार की कोई समस्या नही है,पर हम आज आपको ऐसी हकीकत से रूबरू करवाने के लिए ले चलते हैं ग्राउंड जीरो पर,जहाँ न ही चलने के लिए सड़क है और न ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था,वो भी ऐसा क्षेत्र जो नगर पालिका के क्षेत्र में आता है,क्षेत्रवासी जन प्रतिनिधियों व जिले के आलाधिकारियों के दरवाजे के एक नही,दो नही बल्कि 15 से 20 सालों से चक्कर काटते काटते हैरान व परेशान हो गए हैं,लेकिन इस योगी सरकार में भी उनकी सुनने वाला कोई नही हैं। ये कैसा राम राज्य जिसमे पीने को पानी,चलने को सड़क व बिजली के लिए तरस रहे हैं लोग।
दअसल हम बात कर रहे हैं सुल्तानपुर शहर स्थित नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नं0 15 घांसीगंज की,जहां की जनता नगर क्षेत्र में रहने के बावजूद गाँव से भी ज्यादा बदहाल स्थिति में हैं,जहां का भाजपा सभासद ऐसा है कि अगर उससे कोई समस्या क्षेत्रवासी बताते हैं तो उसका कहना होता है कि आपकी समस्या है मैं क्या करूँ,लाइट नही है तो मोमबत्ती जला कर जीवन यापन करो।
क्षेत्र की महिला नीलम से बात की गई तो उनका कहना था कि शहर से मात्र डेढ़ किलोमीटर दूर वो नगर पालिका क्षेत्र होने के बावजूद दसियों साल से यहां की दशा ऐसी ही है सरकारें आती हैं और चली जाती हैं पर यहां की रोड जस की तस है,कोई सुनवाई नही होती है,बिल बराबर आता है पर न तो पानी आता है और न ही बिजली,अगर किसी परिवार या व्यक्ति के ऊपर हैवी दैवी आ जाय तो एम्बुलेंस तक तो यहां नही आ पाती है।
जब उसी वार्ड के निवासी अब्दुल्ला से बात की गई तो इन्होंने तो चौकाने वाला खुलासा कर दिया,इनके मुताबिक घांसी गंज वार्ड के घांसीगंज गाँव मे मायावती सरकार के समय मे क्षेत्रवासियों की समस्याओं को देखते हुए नगर पालिका ने यहाँ एक पानी की टंकी का निर्माण कराया था,लगभग 15 वर्ष बीतने को हैं पर अभी तक नगर पालिका इसको चालू ही नही कर पाई है न ही अभी तक इसमें कोई कनेक्शन ही हो पाया है।
जब वार्ड की समस्याओं को और करीब से जानना चाहा तो क्षेत्र के निवासी जलील अहमद ने बताया कि गाँव की तरफ से जो रोड शहर की तरफ जा रही है उस पर आज तक पक्की सड़क नही बन पाई है,आज कल तो किसी तरह लोग कूद फाँदकर लोग चले जाते हैं पर बरसात के समय मे तो गाड़ी से क्या पैदल भी चलना बड़ा दूभर हो जाता है,जो भी आता है दिलासा देकर मुँह घुमाकर चलता बनता है पर सालों से समस्या जस की तस बनी हुई है।सड़क के किनारे बनी नालियां हमेशा गंदगी से बजबजाती रहती है पर कोई सफाई कर्मी नही आता,लगभग 12, 14 साल हो गए मायावती की सरकार में एक पानी की टंकी बनी थी जिसको आज तक क्षेत्र वासी बड़ी आस के साथ टंकी को निहारते रहते हैं पर आज तक उसमे पानी का कनेक्शन तक नही हो पाया है,क्षेत्र में रह रही बूढ़ी अम्मा कौशल्ल्या ने अपनी टूटी फूटी आवाज मे अपना दर्द बयां करते हुए कहती हैं कि इहाँ बम्बा नही न, सड़क नाही न,खड़ंजा नाही न,सब लडकय गिरत पड़त हैं पर कौनो सुनवाई नाही न।क्षेत्रीय महिलाओं की माने तो समस्या यहां इतनी बड़ी है कि अगर किसी की यहां तवियत खराब हो जाय तो वो रास्ते मे ही दम तोड़ देगा पर अस्पताल नही पहुँच पायेगा।