ऋषिकेश : सरकारी हॉस्पिटल में नवजात बच्चे की मौत, चल रहा था NHM डायरेक्टर का निरीक्षण, उधर लेबर रूम में नवजात के प्राण चले गए, जांच के आदेश
सरकारी हॉस्पिटल में नवजात बच्चे की मौत से मचा हॉस्पिटल प्रशासन में हड़कंप,परिजनों का आरोप हॉस्पिटल की लापरवाही, खुद NHM निदेशक डॉक्टर सरोज नैथानी थी हॉस्पिटल में मौजूद
ऋषिकेश: राजकीय चिकित्सालय यानी सरकारी हॉस्पिटल (एसपीएस में आज एक हैरान करने वाली और दुखद घटना हुई है. आज NHM (नेशल हेल्थ मिशन) की राज्य निदेशक डॉक्टर सरोज नैथानी का विजिट था हॉस्पिटल का. एक तरफ हॉस्पिटल में उनका निरिक्षण चल रहा था दूसरी तरफ लेबर रूम में एक नवजात ने दम तोड़ दिया. घटना लगभग 12 बजे दोपहर की है.
वीडियो में देखिये, नवजात के परिजन, राजेश कपसूरी क्या बोले, NHM राज्य निदेशक क्या बोली ?
दोगी पट्टी क्षेत्र के रहने वाले अनिल सिंह की पत्नी की डिलीवरी होनी थी. सरकार हॉस्पिटल में उन्होंने पत्नी को भर्ती कराया था. डिलीवरी के समय डॉक्टर्स ने उनको बताया की बच्चे का साइज बड़ा है सर भी बढ़ा है. बच्चा बताया जा रहा है साढ़े तीन किलो का था. ऐसे में वे नार्मल डिलीवरी के बजाय ऑपरेशन से कराएं. अनिल सिंह की यह पांचवी संतान थी. उनकी तीन लड़कियां हैं. एक लड़का नौ दस साल का पहले ही ख़त्म हो चुका था. ऐसे में यह उनकी चौथी संतान थी यह भी नहीं रहा. उन्होंने आग्रह किया डॉक्टर्स से नार्मल डिलीवरी हो जाए अच्छा है. उसी प्रयास में स्टाफ ने नार्मल डिलीवरी करवाने के प्रयास में बच्चा की मौत हो गयी है. डॉक्टर्स का कहना है बच्चा मृत हालत में था. परिजनों का आरोप है तो फिर पैदा होने के बाद एम्स या जौलीग्रांट क्योँ ले जाओ बोला. पहले ही बोल देते केस लेते ही नहीं. ऐसे में वे पैदा होने के बाद बच्चे को गाड़ी में रखा कर एम्स ले गए तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बच्चे ने दम तोड़ दिया. उसे ऑक्सीजन की जरुरत थी. आरोप है वेंटिलेशन भी नहीं दिया गया हॉस्पिटल ने. जब हेल्थ निदेशक से बात की तो उन्होंने कहा यहाँ पर पैडरियाटिक वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है. अगर सुविधा नहीं है तो क्योँ ऐसे केस को लिया गया. जबकि डॉक्टर को पता था ऐसी संभावना हो सकती है.
आज 3 बजे के लगभग जब निदेशक जाने लगी हॉस्पिटल स्टाफ विदाई दे रहा था निदेशक को एंट्री गेट पर, उसी दौरान बच्चे के परिजनों निदेशक के आगे रोते बिलखते दिखे. हमारा बच्चा गया हम क्या करें ? वहीँ निदेशक और सीएमएस डॉक्टर रमेश सिंह राणा ने कहा इसकी जांच होगी. ऐसा क्योँ हुआ. डॉक्टर राणा ने कहा हम इसकी जांच करेंगे और यह गंभीर मामला है. यह स्वीकार करने लायक नहीं है. ऐसे में हॉस्पिटल प्रशासन की कमी साफ़ नजर आयी. जबकि खुद हॉस्पिटल की कमियों को लेकर NHM की राज्य निदेशक डॉक्टर सरोज नैथानी निरिक्षण करने हॉस्पिटल पहुंची थी. सुबह से आज उनके निरिक्षण की तैयारी की जा रही थी. वहीँ UKD युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजेश कपसूरी ने कहा यह बहुत दुखद है. हमारा बच्चा चला गया कौन जिम्मेदार होगा. हॉस्पिटल स्टाफ इधर उधर की बातें करने में लगे हैं. उन्होंने आरोप लगाया सरकारी हॉस्पिटल में जब भी आओ यही जवाब मिलता है. यहाँ हमेशा कमियां दिखाई देती हैं. आम जन परेशान रहता है. उन्होंने जांच की मांग साथ ही दोषियों की विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की है. नवजात के पिता अनिल सिंह टिहरी जिले के दोगी पट्टी लोयल गांव के रहने वाले हैं उनका कहना था कि जैसे ही बच्चा पैदा हुआ उसके बाद हमें बोला गया कि जौलीग्रांट या एम्स ले जाइए जबकि उसे वेंटिलेटर की जरूरत थी. जाते वक्त भी वेंटिलेटरलेटर नहीं दिया गया हमें. हम ऐसे ही बच्चे को लेकर गए. इससे पहले उन्होंने कहा कि मुझे सीज़रीन करने के लिए कहा गया था लेकिन मैंने उनसे आग्रह किया कि अगर नार्मल डिलीवरी हो जाती है तो अच्छी बात है. उसी में बताया गया डॉक्टर ने की बच्चे का वेट काफी था हेड काफी बड़ा था ऐसे में सिजेरियन होगी. लेकिन अगर ऐसा केस था तो डॉक्टर ने लिया क्यों ? इस पर हॉस्पिटल प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. वहीं एनएचएम की डायरेक्टर के सामने बच्चे के पिता व परिजन बिलखते हुए दिखाई दिए. उनका कहना था कि हमारा बच्चा है और अगर डिलीवरी हो गई उसके बाद वेंटीलेटर की सुविधा ना होने से ऐसा हादसा हो गया. वहीं इस घटना से खुद एनएचएम डायरेक्टर डॉ सरोज नैथानी भी हैरान थी. उन्होंने माना हॉस्पिटल में पैडरियाटिक वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है.
नवजात की मौत के बाद राजेश कपसूरी के आरोप—–
राजेश कपसूरी ने पूछा अब हम क्या जवाब दें ? अगर केस इतना सीरियस था तो लेना नहीं चाहिए था. आपको आप पहले बता देते हम पहले कहीं और ले जाते लेकिन बच्चा जब पैदा हो गया उसके बाद कह रहे हैं कि आप इसको जौलीग्रांट या एम्स ले जाइए. क्योंकि हमारे यहां पेट्रियोटिक वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है. ऐसे में इतना बड़ा हॉस्पिटल और इस तरह की सुविधा ना होने से यह एक बहुत बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है .ब और वह भी तब जब खुद उत्तराखंड राज्य की नेशनल हेल्थ मिशन की निदेशक डॉक्टर सरोज डिमरी हॉस्पिटल के अंदर ही निरीक्षण कर रही है. वहीँ परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. जाते वक्त खुद निदेशक के आँखों में आंसू थे. उन्होंने कहा कि हम हर डेथ केस की ऑडिट जांच करते हैं और इसकी भी जांच की जाएगी.कहाँ कमी रही. वही सीएमएस रमेश सिंह राणा ने कहा कि हम इसकी जांच करेंगे और यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है यह गंभीर घटना है.
10 मार्च को आयेगी NQAS की टीम-(National Quality Assurance Standards – NHSRC)
आपको बता दें NQAS की टीम 10 मार्च को हॉस्पिटल का निरिक्षण करने पहुंची रही है. ऐसे में एसपीएस हॉस्पिटल ऋषिकेश को चुना गया है ऐसे में उसके लिए तैयारी चल रही है. एक टीम दो डॉक्टर्स की पिछले तीन दिन से देहरादून से आयी हुई है. लगातार निरिक्षण कर रही है हॉस्पिटल की. अब ऐसी घटना होंगी सुविधा नहीं होंगी, उचित उपचार नहीं मिलेगा और मौतें होती रहेंगी तो सवालिए निशान खड़े होना लाजमी है. ऐसे में NQAS की कसौटी में कितना उतर पायेगा ऋषिकेश का सरकारी हॉस्पिटल बड़ा सवाल है.