मंत्री धन सिंह रावत और गढ़वाल संसद अनिल बलूनी पहुंचे परमार्थ निकेतन, लिया मां गंगा का आशीर्वाद


- गढ़वाल सांसद, अनील बलूनी और विद्यालयी शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, सहकारिता, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य शिक्षामंत्री, उत्तराखंड़, डा. धनसिंह रावत का परमार्थ निकेतन में आगमन
- अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में 75 से अधिक देशों से आये 1200 से अधिक योग जिज्ञासुओं और योगाचार्यों का उत्तराखंड की धरती पर किया अभिनन्दन
- स्वामी चिदानंद सरस्वती के पावन सान्निध्य में माँ गंगा जी का किया पूजन-अर्चन
- भगवान श्री राम की प्रतिमा और रूदाक्ष का पौधा भेंट कर किया अभिनन्दन
ऋषिकेश : अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवे दिन विश्व के 75 देशों से आये योग जिज्ञासुओं और योगाचार्यों के बीच सांसद, अनिल बलूनी और विद्यालयी शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, सहकारिता, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं शिक्षामंत्री, उत्तराखंड़, डा. धनसिंह रावत का आगमन हुआ। सांसद अनील बलूनी और धन सिंह रावत ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में माँ गंगा का पूजन अर्चन किया। स्वामी ने भगवान श्री राम की प्रतिमा और रूदाक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि होली का पर्व रंगों से भरा हुआ एक उत्सव है, यह एक सांस्कृतिक परंपरा है जो समाज में बदलाव, समावेशिता और करुणा का प्रतीक है। इस होली पर हम सब मिलकर समाज में प्रेम, करुणा और समावेशिता के रंग भरें। इस पर्व का उद्देश्य न केवल बाहरी रंगों का आनंद लेना है, बल्कि हमें अपने विचारों और कर्मों में भी इन रंगों को समाहित करना है। हम एक ऐसा वातावरण तैयार करें, जहां हर व्यक्ति की अनूठी पहचान का सम्मान हो और हम सभी एकजुट होकर इस दुनिया को एक सुंदर, समृद्ध और संतुलित स्थान बनाने का संकल्प लें।धनसिंह रावत ने कहा कि परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव ने इस बात को सिद्ध किया कि योग न केवल शारीरिक व्यायाम है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक विकास का एक सशक्त माध्यम भी है। इस वर्ष इस उत्सव में विश्व के 75 देशों से आये योग जिज्ञासुओं और योगाचार्यों का उत्तराखंड की दिव्य धरती पर स्वागत है।उन्होंने कहा कि स्वामी ने योग ने इस पर्व को एक और आध्यात्मिक आयाम प्रदान किया, यहां आकर लोगों एक-दूसरे के साथ शांति और एकता से जुड़ते हैं, वास्तव में यह अद्भुत है।
अनील बलूनी ने कहा कि योग और ध्यान के अभ्यास के साथ, होली का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ हमें एकता और प्रेम के रंगों से भी रंगना चाहिए। जब हम योग के माध्यम से अपने भीतर की शांति को महसूस करते हैं, तो हम अपने समाज में प्रेम और करुणा का प्रसार कर सकते हैं।साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हमारा व्यक्तिगत रंग एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण अंग है, जब हम सभी मिलकर पर्व मनाते हैं, तो हम एक समृद्ध और सशक्त समाज का निर्माण करते हैं। होली पर्व का संदेश यही है कि विविधता में ही असली सुंदरता है। यह पर्व हमें अपनी विविधता को स्वीकार करने और उसे एकता के रंगों में समाहित करने की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने यह सिद्ध किया कि दुनिया भर के लोग, चाहे उनकी जाति, धर्म या भाषा को बोलने वाले हो परन्तु प्रेम, भाईचारे और समृद्धि के साथ एकजुट होकर एक सुन्दर विश्व का निर्माण कर सकते हैं।