मुनि की रेती :  ढालवाला 14 बीघा से कई कीर्तन मंडली पहुंची श्री बद्री विशाल के दर्शन के लिए सुशीला सेमवाल के नेतृत्व में

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  • ढालवाला, 14 बीघा से कई कीर्तन मंडली पहुंची श्री बद्री विशाल के दर्शन के लिए सुशीला सेमवाल के नेतृत्व में
  • आध्यात्मिक शांति मिलती है श्री बद्रीनाथ धाम जाकर, हर कोई खुश रहे यही प्रार्थना की  बद्री विशाल से: सुशीला सेमवाल

श्री बद्रीनाथ : ढालवाला व 14 बीघा इलाके के कई कीर्तन मंडली से जुड़ी महिलाएं पहुंची श्री बद्री नाथ धाम। वहां पहुंच बद्री विशाल के किए दर्शन, साथ ही माणा और मां सरस्वती नदी के भी दर्शन किये। सभी कीर्तन मंडली से जुड़ी महिलाएं अखिल भारतीय सीताराम परिवार की प्रदेश अध्यक्ष सुशीला सेमवाल के नेतृत्व में श्री बद्रीनाथ धाम पहुंची थी। सभी ने पूजा अर्चना कर दर्शन किए। उसके बाद माणा गांव और मां सरस्वती नदी के भी दर्शन किये। पवित्र धाम और प्राचीन धर्म स्थलों के दर्शन के बाद हर कोई खुश था।लगभग 30 लोगों का दल पहुंच था श्री बद्रीनाथ धाम। इस दौरान सुशीला सेमवाल ने कहा यहां आकर काफी संतुष्टि मिली।भगवान बद्री विशाल के शानदार दर्शन हुए। 17 नवंबर को कपाट बंद हो रहे हैं। उससे पहले हमारी इच्छा थी कि भगवान बद्री विशाल के दर्शन करें। उन्होंने हमें बुलाया। बद्री विशाल के दर्शन के बाद सभी महिलाएं काफी खुश है। पवित्र धाम की दर्शन करके। वहां जा कर लगता है आप आध्यत्मिक तौर पर काफी संतुष्ट पाते हैं आपने आप को।

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यात्रा के बाद, अखिल भारतीय सीता राम परिवार उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष सुशीला सेमवाल ने कहा, सुरकांडा कीर्तन मण्डली उर्मिला कैंतुरा मीना भट्ट मंजू  सोनम सेमवाल सुषमा दुर्गेश बिमला, कविता, रानी, आरती, अभिषेक, आदित्य,बिमला। सभी भक्तगण भगवान बद्रीनाथ के दिव्या दर्शन करते हुए बद्रीनाथ धाम। यह एक ऐसी जगह है।जो केवल आध्यात्मिक लोगों के लिए नहीं, बल्कि हर यात्री और प्रकृति प्रेमी के लिए भी अद्भुत है। जब हम बद्रीनाथ के और करीब पहुँचे।रास्ते में हर जगह पर मनमोहक नज़ारे मिले पहाड़, घाटियाँ और नदी हमारा साथ ऐसा लगता है, जैसे हर मोड़ पर एक नई दुनिया है। बद्रीनाथ धाम के पास आते ही एक अलग ऊर्जा महसूस होती है। एक सुकून भरी फीलिंग। मंदिर की तरफ जाने के रास्ते में छोटी-छोटी दुकानें हैं। जहाँ लोकल स्मृति चिन्ह और प्रसाद मिलता है।बद्रीनाथ का प्राचीन मंदिर, जिसे लगभग 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य जी ने  स्थापित किया था। आप देख सकते हैं कि मंदिर की वास्तुकला कितनी अनोखी और सुंदर है ।शिखर पर रंग-बिरंगे झंडे, और पूरी इमारत में बारीक नक्काशी। यह मंदिर भगवान विष्णु का एक पवित्र स्थल है और उनके नारायण रूप की यहाँ पूजा की जाती है।मंदिर के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता के बारे में बताते हुए:मंदिर के आस-पास की खूबसूरती भी कमाल की है! मंदिर के पीछे बर्फ से ढके पहाड़ हैं, और अलग-अलग स्थानों से अलकनंदा नदी भी दिखाई दे रही है। यह पूरा दृश्य एक दिव्य एहसास दे रहा है। गौरी  कुंड पर जाएँ या डुबकी लगाएँ।यहाँ एक खास चीज़ और है – तप्त कुंड। यह एक प्राकृतिक का  जिसमें यात्रा से पहले लोग स्नान करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ का पानी भगवान अग्नि का वरदान है और यह शुद्धता और शांति का प्रतीक है।यह सफर एक जीवन बदलने वाला अनुभव रहा। बद्रीनाथ की आध्यात्मिकता, यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और स्थानीय लोगों की सरलता – सब कुछ ऐसा है जो हमेशा याद रहेगा।

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