(अपडेट) ऋषिकेश : आईडीपीएल के गोदाम में भीषण आग लगी…एसडीआरएफ ने देर रात मोर्चा संभाला

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  • जहाँ पर आग लगी है वहां पर केमिकल रैपर हैं, उसमें भीषण आग लगी है, अब SDRF भी आ गयी है, जेसीबी से मिटटी डाली जा रही है उस जगह : कविन्द्र सजवाण, SDRF इंस्पेक्टर
  • पिछले 9 घंटे से आग लगी है, देर रात तक आग जारी थी, सवाल बड़ा आंखिर कैसे लगी आग ? 
ऋषिकेश :  वीरभद्र स्थित आईडीपीएल प्लांट के वर्षों से बंद पड़े गोदाम में मंगलवार दोपहर भीषण आग लग गई। गोदाम के भीतर रखे केमिकल के ड्रम फट गए। देर रात तक यहां आग के बीच धमाकों की आवाज सुनाई दे रही थी। अग्निशमन विभाग के लगभग दर्जनभर गाड़ियां आग बुझाने  में लगी हैं। आठ घंटे बीतने के बाद भी आग काबू में नहीं हो पाई है। ऋषिकेश के अतिरिक्त डोईवाला और नरेंद्र नगर की फायर ब्रिगेड की गाड़ियां आग बुझाने में लगी हुई हैं।
आईडीपीएल संस्थान का जहां प्रशासनिक भवन है उससे करीब 500 मीटर की दूरी पर प्लांट और उसके समीप गोदाम स्थित है। जब फैक्ट्री बंदहुई थी तो इसके गोदाम में रखे सामान को निस्तारित नहीं किया गया था। बड़ी संख्या में यहां केमिकल के ड्रम रखे गए. हैं। इसके साथ ही यहां उत्पादित होने वाली दवा टेट्रासाइक्लिन की हजारों की संख्या में कांच की शिशियां रखी गई है।एक्सपायरी दवाइयां और कागज के पैकेट पेटियों में भरकर रख गए हैं।आग धीरे-धीरे पूरे गोदाम में फैल गई। टीनसेड के भीतर बने गोदाम तक जाने के लिए जो रास्ते अहइ उसमें बड़ी बड़ी झाड़ियां खड़ी है। प्रशासन की ओर से जेसीबी मंगाकर वहां तक ​​पहुंचाने के लिए रास्ता बनाया गया और आईडीपीएल डिपेंडेंट के सदस्य संस्थान की पुरानी फायर ब्रिगेड की गाड़ी को किसी तरह से तैयार कर मौके  पर लेकर आया गया है। पुलिस क्षेत्राधिकार संदीप नेगी, रेंज अधिकारी ऋषिकेश डीएस धामांदा, थाना प्रभारी निरीक्षक शंकर सिंह बिष्ट, चौकी प्रभारी ज्योति प्रसाद उनियाल देर रात खबर लिखें जाने तक मौके पर डटे हुए थे। आठ घंटे से भी अधिक समय बीतने के बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। रेंज अधिकारी ने बताया कि आग लगने कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। एक्सपायरी दवाइयों के रैपर के भंडार में सबसे ज्यादा आग लगी है। जो बुझने का नाम नहीं ले रही है, उसमें जेसीबी से अब मिटटी डाली जा रही है. जिला प्रशासन और विभाग को सूचित कर दिया गया है।

IDPL फैक्ट्री के बारे में एक नजर में –बंद होने से पहले की जानकारी निम्न है–

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ऋषिकेश संयंत्र उत्तराखंड राज्य में ऋषिकेश नगर पालिका/नगर निगम  की परिधि में हरिद्वार-जोशीमठ राजमार्ग पर पवित्र गंगा नदी के तट पर पहाड़ी परिदृश्य की शांति में स्थित है। प्लांट और कॉलोनी से युक्त ऋषिकेश टाउनशिप 834 एकड़ भूमि (3.38 मिलियन वर्ग मीटर) में फैली हुई है और सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है।

परिदृश्य हरियाली, जलवायु और गैर-प्रदूषित हवा प्रदान करता है। संयंत्र 1967 में चालू किया गया था और इसमें पेनिसिलिन-जी, टेट्रासाइक्लिन, ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन और स्ट्रेप्टोमाइसिन आदि के लिए 44 किण्वकों (प्रत्येक की क्षमता 50m3) और उनकी शुद्धिकरण सुविधाओं के साथ सबसे बड़ी एंटीबायोटिक किण्वन सुविधा थी। वर्तमान में केवल फॉर्मूलेशन निर्माण सुविधाएं ही चालू हैं, तथा व्यापक चिकित्सीय रेंज के लगभग 50 फॉर्मूलेशन का उत्पादन किया जा रहा है। इकाई संशोधित अनुसूची एम के अनुरूप है, 4 में से 2 खंड अर्थात सामान्य टैबलेट खंड तथा गैर बी लैक्टम कैप्सूल खंड को “डब्ल्यूएचओ: जीएमपी अनुपालक” घोषित किया गया है। 4 उत्पादों के लिए सीओपीपी प्राप्त किए गए हैं तथा अन्य 5 सीओपीपी प्रक्रियाधीन हैं।

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इसमें टैबलेट (765 मिलियन संख्या/प्रति वर्ष) और बीटा एवं नॉन बीटा लेक्टम दोनों कैप्सूल (390 मिलियन संख्या/प्रति वर्ष) जैसे फॉर्मूलेशन के विनिर्माण के लिए बड़ी उत्पादन क्षमता है।यह मौखिक गर्भनिरोधक और आपातकालीन गोलियां (ओसीपी और ईसीपी) बनाने की क्षमता से संपन्न है और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार को इन गोलियों के पांच नियमित आपूर्तिकर्ताओं में से एक है।उत्पादन सुविधाएं, फार्मूलेशन डेवलपमेंट रिसर्च लेबोरेटरी (एफडीआरएल) के अलावा, अच्छी प्रयोगशाला प्रथाओं के साथ सुसज्जित गुणवत्ता नियंत्रण विभाग द्वारा पूरी तरह से समर्थित हैं।

संयंत्र में 14000 घनमीटर/दिन की उपचार क्षमता वाला एक आधुनिक जैविक उपचार संयंत्र (बीटीपी) है, जो पर्यावरण संबंधी समस्याओं के लिए स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और नवीन समाधानों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण और मापनीय योगदान है। ऋषिकेश संयंत्र को 6 अगस्त, 1994 को भारत के राष्ट्रपति से प्रदूषण निवारण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार-1992 प्राप्त हुआ है।आईडीपीएल ऋषिकेश में 2700 क्वार्टरों वाली एक विशाल टाउनशिप है। इसके अलावा, यहाँ अच्छी संख्या में दुकानें / शॉपिंग सेंटर, एक इंटरमीडिएट कॉलेज, एक केंद्रीय विद्यालय, एक डाकघर / पुलिस स्टेशन, खेल के मैदान

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