ऋषिकेश : 7 फ़ीट का डंडा ले कर घर में घुसे गुलदार को खदेड़ने चले थे रेंजर नेगी, लगा पंजा मुंह और हाथ पर…उपचार जारी

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ऋषिकेश : मंगलवार को मीरा नगर लोअर में दिनदहाड़े एक घर के अंदर गुलदार घुस गया लगभग सुबह 10 बजे के आसपास की घटना है. ऋषिकेश रेंज के रेंजर ललित मोहन सिंह नेगी पर गुलदार ने कर दिया हमला कर दिया वे हमले में घायल हो गए उन्हें एम्स ले जाया गया.

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दरअसल, गली नंबर 14 में नन्द किशोर त्यागी का घर है. जैसे ही उनके घर में गुलदार घुसा तुरंत उन्होंने शोर किया तब तक गुलदार उनके निर्माधीन घर के अंदर घुश चुका था. आस पड़ोस के लोग एकत्रित हुए उन्होंने तुरंत मीरा नगर पार्षद सुंदरी कंडवाल को सूचना दी.

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कंडवाल ने ऋषिकेश रेंज के रेंजर ललित मोहन सिंह नेगी को इसकी सूचना दी. वन विभाग की तरफ से दो लोग मौके पर पहुंचे. एक हेलमेट और दो मोटर साइकिल के साथ. उन्होंने चारों तरफ देखा लगभग 2 घंटे इन्तजार किया. लेकिन ये कहा पंजे देखे हैं लेकिन अंदर जितना जा सके उतना गए संभावना लग रही है लेकिन कह नहीं सकते अभी कुछ. घर के लोग कह रहे थे हमने देखा है अब कहीं जाते हुए भी नहीं देखा है ऐसे में कैसे मान जाए नहीं है करके ? मौके पर पार्षद सुंदरी कंडवाल भी पहुँच चुकी थी. लगभग दो घंटे बाद रेंजर ललित मोहन सिंह नेगी आये. उन्होंने भी मौक़ा मुआयना किया. बाहर आस पड़ोस से काफी लोगों की भीड़ लग चुकी थी.छतों में गली में. नेगी ने आते ही अंदर गए जितना जा सकते थे. बाहर आये और बोले नहीं है गुलदार अंदर. मैं देख के आ गया.उस घर की महिला ने आप यह कैसे कह सकते हैं ? हमने देखा है अगर वह कहीं नहीं गया तो गया कहाँ ? इस पर रेंजर साहब बोले मैं गारंटी लेता हूँ…और डंडे को ऐसे पकड़ते हैं करके बताने लगे और महिला के साथ चल दिए अंदर.जैसे ही अंदर घुसे थे गुलदार प्रकट……गुलदार ने रेंजर नेगी पर हमला कर दिया. उनके हाथ और मुंह पर पंजा मार घर की दायी तरफ खाली पड़े प्लाट में केले पेड़ थे उनके बीच जा कार छुप गया. घर से वहां की लोकेशन लगभग 100 मीटर की दूरी होगी. इस दौरान गली के कुत्ते भी अलर्ट हो चुके थे. वे भी भौंके लगे और बेचैन होने लगे. शायद लेपर्ड की बदबू उनको महसूस होने लग गयी थी. रेंजर साहब को ले गए एम्स और घेरे बंदी की गयी केले के पेड़ों की. उसी के साथ नाला भी था पीछे गेहू के खेत था.

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फिर बुलाई गयी ट्रेंकुलाइज टीम यानी बेहोस करने वाली टीम बन्दूक के साथ, दो, तीन जाल और कुछ स्टाफ और आया. बलेरो जीप में गुलदार के आस पास भी गए लगभग 5 मीटर की दूरी पर लेकिन फिर भी ट्रांसकुलाइज नहीं किया गया. लगभग इस प्रक्रिया को करते हुए 45 मिनट हुए. फिर घायल रेंजर ललित मोहन सिंह नेगी एम्स से वापस आ गए मैदान में टीम को लीड करने.मुंह पर पट्टी बांधे हाथ पर पट्टी बांधे, मुंह पर पट्टी के बाहर से मास्क लगाए. पत्रकारों ने पूछा कैसी है तबियत ? बोले ठीक है कुछ नहीं हुआ मुझे. कानि बताने लग गए ऐसे होता वैसे होता है …वगैरह ….लेकिन उनकी हिम्मत की दात देनी पड़ेगी ऐसी जगह अकेले घुश गए बिन हेलमेट के और बिन सुरक्षा के सिर्फ हाथ में एक डंडा वो भी 7 फ़ीट का. लेकिन दर्द तो था ही उनको. रैबीज का इंजेक्शन लगवाकर हॉस्पिटल से आ गए वापस घटना स्थल पर फिर से. बोले इंजेक्शन नहीं था वहां पर देहरादून से मंगाया गया है. पट्टी बाँध कर बिन टांके लगवाये वापस फील्ड पर आ गए. जैसे ही वे केले के पेड़ों के पास गए उनको देख कर गुलदार बाहर निकल आया और भगदड़ मच गयी और गुलदार पीछे की तरफ गेहू के खेत में जा कर छुप गया. लेकिन रेंजर थोड़ी देर रुकने के बाद वे वहां से चले गए. अब डॉक्टर व् विभाग की टीम का काम था.इस केस में दो तीन दिन से जब गुलदार की आमद इलाके में थी तो वन विभाग को समय से ऐक्टिव हो जाना चाहिए था, उचित फैसला लेना चाहिए था.हलके में नहीं लेना चाहिए था. अगर ऐसा ही रहा तो, वन्य जीव और मानव के बीच संघर्ष उत्तराखंड में जारी रहेगा.

टीम पथ्हर मारती रही खेत के चारों तरफ से लेकिन गुलदार थोड़ा हिला…गेहू के पौधे थोड़े हिलते दिखे एक दो मीटर फिर शांत. ऐसा करके गुलदार लगभग पूरा खेत घूम लिया. शाम तक यही खेल जारी था खबर लिखे जाने तक. शायद इन्तजार कर रहे हों की अन्धेरा हो और तेंदुवा सुरक्षित IDPL जंगल की तरफ निकल जाए.

कैबिनेट मंत्री भी पहुंचे-
कैबिनेट मंत्री व् (स्थानीय विधायक) प्रेम चंद अग्रवाल लाव लश्कर के साथ खेत के किनारे तक आये. हाल जाना वन विभाग को निर्देश दिए फिर मीडिया से बात की लगभग 15 मिनट रुके और चल दिए.

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क्या बोली पार्षद सुन्दरी कंडवाल ?
मीरा नगर इलाके में दो दिन पहले रात को एक घर से कुत्ता उठा के ले गया था, घटना भी अजीब हुई. पहले कुत्ते पर हमला किया लोगों ने हल्ला किया और गुलदार कुत्ते को छोड़ कर भाग गया. फिर थोड़ी देर में उसी कुत्ते को लेने के लिए फिर उसी घर के आँगन में आ धमका. फिर भगाया. फिर रात 12 बजे लगभग तीसरी बार फिर आया और फिर कुत्ते ले गया और अपना शिकार बना गया. ऐसे में सुंदरी कंडवाल का कहना था हम लगातार गश्त की मांग कर रहे हैं पिंजरे की मांग कर रहे हैं. अब रेंजर पर हमला हो गया अब तो विभाग पकड़ेगा ही..लेकिन तेंदुवे ने तीन लोकेशन बदल ली, दो लेकेशन में शानदार मौका था निर्माधीन घर के अंदर फिर केले के पेड़ों के पीछे….और अब गेहू के खेत में लेकिन अभी तक तेंदुवा पकड़ से बाहर था.

बड़ा सवाल ?
वन विभाग के पास प्रॉपर सामान न होना, ऐसे रेस्क्यू के लिए स्टाफ खाली हाथ रहना बड़ा सवाल है. इसके अलावा जो मौके पर अधिकारी होता है उसको अधिकार है नहीं, आला अधिकारी आएंगे वो बताएँगे या फैसला लेंगे. ऐसे में वन्य जीव इतने लम्बे प्रक्रिया के लिए इन्तजार नहीं करेगा. घटना हो चुकी होगी हाथ मलते रहिये. नियम कानून का हवाला देते रहें. सरकार को भी इस पर गौर करना चाहिए. रेंजर फैसला ले नहीं सकता जबकि वह सक्षम होता है कई फैसले लेने के लिए. अधिकारी रेंज में है या नहीं या फिर देहरादून से हेड क्वार्टर से अनुमति लो तब तक मामला हो चुका होगा. ऐसे में वन्य जीव और मानव के बीच संघर्ष उत्तराखंड में जारी रहेगा.

अभी भी गेहू के खेत में गुलदार-

खबर लिखे जाने तक…अभी भी गेहू के खेत में गुलदार छुपा हुआ है. वन विभाग की टीम मौके पर डटी हुई है. अँधेरे में सुरक्षित रास्ता देने की कोशिश जारी.

वही वन विभाग की तरफ से, रेंजर ललित मोहन सिंह नेगी, डॉक्टर नौटियाल वन बीट अधिकारी दीपक सिंह कैंतुरा, कमल सिंह राजपूत, राज बहादुर, राजेश बहुगण वन बीट अधिकारी, वन दरोगा स्वयंवर दत्त कंडवाल, सुनील कर्णवाल, अनुराग, वन दरोगा रामपाल,राज बहादुर, सागर ठाकुर, शिवा, मनसा राम गौड़, मनोज भोला रहे शामिल.

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