एक ऐसा नर्सिंग अधिकारी जो कविताओं के माध्यम से अपनी बात रखता है…जानिए

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कवि – नवल पुंडीर
  नर्सिंग अधिकारी उत्तराखंड
  नर्सिंग ट्यूटर देव भूमि यूनिवर्सिटी    
 पदाधिकारी नर्सिंग सेवा संघ उत्तराखंड –
**कविता का शीर्षक*” * नर्सेज की चिंता * 
जब पहला कदम पड़ा कॉलेज मे 
मै भी कोरा पन्ना था ।
मुझे भी शिक्षा ग्रहण करके 
नर्सिंग ऑफिसर बनना था ।।
देख स्थिति वर्तमान में 
दया बहुत ही आती है
15 हजार प्राइवेट संस्थानों मे कमा कर,
घर अपना चलाती है ।
मौत से लड़कर जीवन देने का 
सकल्प यह निभाती है ।
यह कोई और नही मेडिकल की रीड की हड्डी नर्सेज कहलाती है 
सरकारी भर्ती आती शीटें बिकती 
बाहरी राज्य के लोग शीटें लेती ।
सिस्टम से लड़ते घर गृहस्थी मे पड़ते
यह दुविधा नर्सेज को सताती है 
यही सोच सोच कर अपना जीवन 
नर्सिंग ऑफिसर बिताती है ।।
मरीजों के लिए कभी डॉक्टर से लड़ती
कभी दुर्गा काली बन जाती है ।
आजीवन भर सेवा भाव को ऊपर रखकर ,
माँ का फर्ज निभाती है ।।
सच कहू तो नर्सेज की चिंता मुझको बहुत सताती है ।।

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