अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव [IYF] का आगाज़…परमार्थ निकेतन में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारम्भ

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  • विश्व ग्लोब के 50 से अधिक देशों और 1000 से अधिक देशों से योग जिज्ञासुओं का प्रतिभागी
  • विश्व के 48 देशों 65 विश्व विख्यात प्रतिष्ठत योगाचार्यों ने किया सहभाग
  • परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, पूज्य संतों, विशेषज्ञों और विभूतियों का पावन सान्निध्य और उद्बोधन
ऋषिकेश, 9 मार्च।  अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के प्रथम दिन प्रातःकाल 04ः30 बजे ब्रह्ममूहुर्त से योग की विधाओं की शुरूआत हुई। अमेरिका से आये विख्यात योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा जी ने कुण्डलिनी साधना का अभ्यास कराया। परमार्थ निकेतन, के दिव्य, आध्यात्मिक वातावरण में विश्व के 50 से अधिक देशों से 1000 से अधिक योग जिज्ञासुओं योग, ध्यान, प्राणायाम, आयुर्वेद, की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कर रहे हैं। परमार्थ निकेेतन के पवित्र शांतिपूर्ण वातावरण में ध्यान सत्र, आत्मिक सूर्योदय गायन, और पवित्र संकीर्तन का आनंद ले रहे हैं और 48 देशों से 65 प्रतिष्ठित योगाचार्य, योगियों को विभिन्न विधाओं का अभ्यास करा रहे हैं। स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि योग, शिव और शक्ति का मिलन है, जिससे शान्ति व प्रेम का मार्ग प्रशस्त होता है। योग की जन्मभूमि में आकर योग केवल शरीर का नहीं बल्कि आत्मा का भी होता है। उत्तराखंड तो पूरे विश्व ग्लोब को एकत्र करने व जोड़ने के लिये योग करता है।स्वामी जी ने कहा कि योग का अभ्यास व्यक्ति को न केवल शारीरिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि आत्मिक जागरूकता और मानसिक शांति भी देता है। जब उत्तराखंड की धरती पर योग करते हैं, तो यह शरीर से अधिक, आत्मा को जोड़ने का एक प्रयास होता है। यह भूमि विश्व को एकत्रित करने का कार्य करती है, उन्होंने कहा कि योग का उद्देश्य केवल शरीर के आसनों तक सीमित नहीं है, बल्कि एकता, शांति और प्रेम की भावना को भी बढ़ावा देता है। उत्तराखंड, जो योग का जन्म स्थल है और सम्पूर्ण विश्व को जोड़ने का एक अद्वितीय साधन बन चुका है। यहाँ योग केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की ओर नहीं, बल्कि आत्मिक समृद्धि की ओर भी मार्गदर्शन करता है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने वैदिक संस्कृति और भीतर से दिव्यता को पहचानने के महत्व को समझाते हुए कहा, वैदिक परंपरा में हम मूल पाप में नहीं, बल्कि मूल दिव्यता में विश्वास करते हैं।योग हमें हमारे सत्य से जोड़ता है, क्योंकि यह शरीर, मन और आत्मा के बीच गहरा संतुलन स्थापित करता है। जब हम योग का अभ्यास करते हैं, तो हम अपनी आंतरिक वास्तविकता को समझने लगते हैं। यह केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति का मार्ग है। योग के माध्यम से हम अपनी असल पहचान और दिव्यता को महसूस करते हैं, और यह हमें यह सिखाता है कि हम सिर्फ शरीर या मन नहीं हैं, बल्कि हम परमात्मा का अंश हैं। योग हमें अपने भीतर के सत्य की खोज करने और उसे जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है।अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के पहले दिन कैलिफोर्निया, से आये योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा द्वारा कुंडलिनी साधना सत्र से दिन की शुरूआत हुई। इसके बाद प्रतिभागियों ने योगाचार्य आकाश जैन और योगाचार्य राधिका गुप्ता द्वारा सूर्यनमस्कार के 5 तत्व, डॉ. योगऋषि विश्वकेतु द्वारा हिमालयन श्वास प्राणायाम, और सियाना शरमेन द्वारा रसा योग, जिसमें करुणा के चक्र पर ध्यान केंद्रित किया गया।विश्व प्रसिद्ध प्रशिक्षकों ने गहरे और परिवर्तनकारी सत्रों का संचालन किया। इनमें योगासन विन्यास क्रम – सीक्वेंसिंग की भूली हुई भाषा द्वारा स्टुअर्ट गिलक्रिस्ट, कुंडलिनी एक्सप्रेस द्वारा टॉमी रोजेन, और आध्यात्मिक आहार के प्राचीन रहस्य द्वारा डॉ. कृष्णा नरम शामिल थे। आनंद मेहरोत्रा द्वारा शक्ति का जागरण ने प्रतिभागियों को योग और प्राणायाम के शारीरिक और आध्यात्मिक लाभों की ओर प्रेरित किया।टॉमी रोजेन, जो योग के माध्यम से नशा मुक्ति करने के विशेषज्ञ हैं, ने कहा, नशा वह स्थान है जहाँ कुछ भी जुड़ा हुआ नहीं होता, लेकिन योग वह स्थान है जहाँ सब कुछ जुड़ा हुआ है। योग ही नशा मुक्ति है। नशा मुक्ति ही योग है। दोनों एक दूसरे के बिना नहीं हो सकते।
ज्ञानवर्धक सत्र और विचारशील चर्चाएँ-
दोपहर में योग क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है पर एक ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें डॉ. एन गणेश राव, साध्वी भगवती सरस्वती जी, आनंद मेहरोत्रा और गंगा नंदिनी जी जैसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेताओं ने भाग लिया। इन सत्रों ने योग की परिवर्तनकारी शक्ति और इसके हमारे जीवन पर प्रभाव को समझने का अवसर प्रदान किया।अन्य सत्रों में आयुर्वेद- आधुनिक कल्याण के लिए योग का सहायक विज्ञान और अपनी दोषा का पता कैसे लगाएं, अमीषा शाह द्वारा और योग से परे अभ्यास में दर्शन को एकीकृत करना द्वारा डॉ. गणेश राव जी द्वारा संचालित किया गया। इन सत्रों ने योग की समग्रता और इसके मानसिक, शारीरिक और आत्मिक संतुलन की महत्ता पर विचार किया।संगीत और ध्वनि की एक अद्भुत यात्रा दिन के अंत में संजी हॉल और जोसेफ शमिडलिन द्वारा गोंग बाथ-रिकवरी साउंड बाथ का अभ्यास कराया गया, जो प्रतिभागियों को आत्म-खोज और आंतरिक शांति की यात्रा पर ले गया।सांस्कृतिक संकीर्तन- आनंद और भक्ति का उत्सव शाम को गंगा घाट पर पवित्र गंगा आरती और संकीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें कनाडा के तीसरी पीढ़ी के कीर्तन गायक गुरु निमत सिंह और भारत के प्रसिद्ध संगीतज्ञ सत्यानंद ने संकीर्तन किया। इस संकीर्तन में प्रतिभागियों ने अद्भु आनंददायक नृत्य किया।

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