ऋषिकेश :परमार्थ में अनेक यादगार पलों के साथ अन्तराष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन


- अनेक यादगार पलों के साथ अन्तराष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन
- मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्पक सिंह धामी ने दीप प्रज्वलित कर किया था शुभारम्भ और माननीय राज्यपाल उत्तराखंड गुरमीत सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ समापन
- विश्व की विभिन्न संस्कृतियों, संगीत की विधाओं, मंत्रों का विलक्षण नाद, वाद्ययंत्रों की अद्भुत ध्वनि, विभिन्न भाषाओं के स्वरों, विभिन्न संस्कृतियों को मानने वाले अनुयायियों और विभिन्न विभूतियों का महासंगम
- अनेकता में एकता और विविधता की दिव्यता का अद्भुत संवाहक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव
- 9 मार्च से लेकर 15 मार्च तक प्रतिदिन पूज्य संतों का दिव्य दर्शन, आशीर्वाद व उद्बोधन, संगीतकारों के संगीत का नाद, योगाचार्यों के योग की विभिन्न विधायें और योग जिज्ञासाओं की कल्पनाओं का साकार स्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव
- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती का दिव्य नेतृत्व, मार्गदर्शन व आशीर्वाद और डा साध्वी भगवती सरस्वती की साधना के अद्भुत फल अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव
- विश्व के 75 देशों के 1500 से अधिक योग साधक व योगाचार्यों का महासंगम
- गद्गद मन से विदाई के क्षण
- देश के प्रथम सीडीएस, उतराखण्ड के गौरव, पद्म विभूषण से अलंकृत जनरल बिपिन रावत की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धाजंलि
- अमेरिकी रैपर, गायक व योगी, एम सी योगी, लंदन से आये भक्ति योगी व कीर्तन विशेषज्ञ, राधिका दास, पद्मश्री कैलाश खेर, पद्मश्री शिवमणि, प्रसिद्ध गायिका रूणा रिज़वी, शिवमणि, अमेरिका की रैपर, गायिका व गीतकार, राजा कुमारी, इजरायल के प्रसिद्ध एन्सेम्बल शेवा के सह-संस्थापक, गिल रॉन शामा, अमेरिका की विन्यास फ्लो योग और योग ट्रांस डांस की शिक्षिका, शिवा रिया, जया किशोरी और वैश्विक विभूतियों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी
- विख्यात योगगुरू स्वामी रामदेव , आध्यात्मिक गुरू गौरंाग दास प्रभु, माता मंगला , भोले महाराज, ब्राजील के प्रेम बाबा और अन्य पूज्य संतों व दिव्य विभूतियों का पावन सान्निध्य, दर्शन व आशीर्वाद
ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन हुआ, जो विश्व के 75 से अधिक देशों से 1500 से अधिक योग जिज्ञासुओं के लिये अपने आप में एक अद्भुत अनुभव और यादगार पल लेकर आया। इस अद्भुत आयोजन ने भारत की प्राचीन विधा योग के महत्व के साथ विश्व की संस्कृतियों, संगीत, मंत्रों का नाद और एकता की शक्ति से सभी का साक्षात्कार भी कराया।
इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड, पुष्पक सिंह धामी द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ था।
इस अवसर पर उन्होंने योग के महत्व और उत्तराखंड की योग परंपरा पर प्रकाश डालने के साथ उत्तराखंड में तीर्थाटन हेतु सभी को आमंत्रित किया।
माननीय राज्यपाल उत्तराखंड गुरमीत सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में समापन हुआ। इस दौरान उन्होंने योग के सार्वभौमिक महत्व को रेखांकित किया।
अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का उद्देश्य न केवल योग को प्रचारित करना है बल्कि विविधता और अनेकता में एकता का संदेश भी देना है। इस महोत्सव ने विभिन्न संस्कृतियों, संगीत की विधाओं, मंत्रों का विलक्षण नाद, वाद्ययंत्रों की अद्भुत ध्वनि और विभिन्न भाषाओं के स्वरों का संगम प्रस्तुत किया। इस महोत्सव के माध्यम से यह दिखाया गया कि योग केवल भारत की धरोहर नहीं है बल्कि यह विश्वभर के लोगों का साझा आशीर्वाद है।
9 मार्च से 15 मार्च तक चले इस महोत्सव में प्रतिदिन पूज्य संतों का दिव्य दर्शन, आशीर्वाद और उद्बोधन प्राप्त हुआ। योगाचार्यों ने योग की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कराया, जिसमें हठ योग, राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, नादयोग, अष्टांग योग और ज्ञान योग जैसी विधाओं को विस्तृत रूप से साधकों ने आत्मसात किया। संगीतकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए संगीत का नाद, योगाभ्यास के बीच शांति और ध्यान की अवस्था को और भी सशक्त बनाता था।
इस महोत्सव की सफलता का एक महत्वपूर्ण अंग हैं परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती का दिव्य नेतृत्व और मार्गदर्शन। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने योग महोत्सव के माध्यम से विश्वभर में योग के प्रभाव को महसूस कराया और लोगों को आत्मिक शांति, ताजगी और संतुलन के महत्व से अवगत कराया। उनका मानना है कि योग हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनकर हमें सकारात्मकता की ओर मार्गदर्शन करता है इसलिये योग करें, रोज करें और मौज करें।
स्वामी ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि योग के माध्यम से हर व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति का अनुभव कराना है। साथ ही योग के माध्यम से पूरे विश्व में विविधता में एकता का संदेश देना है।
डा साध्वी भगवती सरस्वती की साधना और मार्गदर्शन ने इस महोत्सव को और भी अद्भुत बना दिया। साध्वी के द्वारा किए गए प्रबोधन और ध्यान के सत्रों ने हर व्यक्ति को आंतरिक शांति का अनुभव कराया और उन्हें आत्मविकास के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया।
इस महोत्सव में 75 देशों के 1500 से अधिक योग साधक और योगाचार्य उपस्थित थे, जिन्होंने एक साथ मिलकर इस महोत्सव को सफल और यादगार बनाया। विभिन्न देशों से आए योग साधकों ने अपने.अपने देशों की योग विधाओं और संस्कृतियों को साझा किया, जिससे हर बार की तरह पुनः यह महोत्सव एक वैश्विक अनुभव बन गया।
आज की दिव्य गंगा आरती में देश के प्रथम सीडीएस, उत्तराखंड के गौरव, पद्म विभूषण से अलंकृत जनरल बिपिन रावत की जयंती भी मनाई गई। उन्हें इस अवसर पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। जनरल रावत का योगदान भारतीय सेना के विकास और सुरक्षा में अतुलनीय रहा है। उनकी जयंती के मौके पर उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए और आज की गंगा की आरती उन्हें समर्पित की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डा साध्वी भगवती सरस्वती विश्व के विभिन्न देशों से आये योगाचार्यों और योग जिज्ञासुओं का रूद्राक्ष व तुलसी क माला से अभिनन्दन किया। योगाचार्यों ने एक कहा कि वैश्विक योगी परिवार को एकत्र करने में यह महोत्सव एक मील का पत्थर है।