भारतीय मूल की कनाडाई मंत्री नीना टांगरी सपरिवार परमार्थ निकेतन पहुंचीं, लिया मां गंगा का आशीर्वाद

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  • स्वामी चिदानन्द सरस्वती  से भेंट कर विश्व विख्यात गंगा आरती में किया सहभाग 
  • सेवा, संस्कृति और संस्कारों के संग करवाया ग्रीन पर्व का संकल्प 
  • कनाडा में जन्माष्टमी महोत्सव  के लिए  स्वामी  को किया आंमत्रित
ऋषिकेश :  भारत की संस्कृति, सेवा और संस्कारों की सुगंध अब सीमाओं तक सीमित नहीं रही, वह आज विश्व के कोने-कोने में अपने मूल्यों और मानवीय दृष्टिकोण से दूसरों को प्रेरित कर रही है। भारतीय मूल की कनाडाई राजनेता एवं ओंटारियो सरकार में छोटे व्यवसायों की सहायक मंत्री  नीना टांगरी अपने पति, समाजसेवी  अश्वनी टांगरी के साथ परमार्थ निकेतन पहुँचीं।उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, पर्यावरण व मानवता की सेवा के प्रेरणा स्रोत स्वामी चिदानन्द सरस्वती  से भेंट की। इस अवसर पर टांगरी दंपत्ति ने परमार्थ निकेतन की विश्वविख्यात गंगा आरती, दिव्य यज्ञ व विश्व शांति प्रार्थना में सहभाग कर भारतीय परंपरा से अपनी गहरी आस्था और जुड़ाव को अभिव्यक्त किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने उन्हें अंगवस्त्र व रूद्राक्ष का पौधा भेंट करते हुए कहा, यह अत्यंत प्रशंसनीय है कि भारतीय मूल की विभूतियाँ अपने मूल संस्कारों को संजोते हुए विश्व मंच पर सेवा व संस्कृति की पताका फहरा रहे हैं। उन्होंने  कहा कि जैसी सेवा की संस्कृति भारत की रही है, उसी भावना के साथ टांगरी परिवार कनाडा ही नहीं, भारत में भी सेवा के अद्भुत कार्य कर रहे हंै।भारत की धरती ज्ञान और साधना की धरती है जो पूरे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना से जोड़ने वाली शक्ति है। जब भारतीय मूल के लोग विदेशों में भी अपने संस्कृति के दीप जलाते हैं तो वास्तव में विश्व एक परिवार है के दिव्य मंत्र चरित्रार्थ होते हैं।नीना टांगरी कनाडा के क्रेडिट वैली अस्पताल की बोर्ड सदस्य के रूप में कार्यरत रही हैं और उन्होंने भारत में कैंसर स्क्रीनिंग शिविरों का आयोजन कर स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। साथ ही वे युवा बेरोजगारी और वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं पर भी सक्रिय मंच के माध्यम से समाधानकारी प्रयास करती रही हैं।
स्वामी  ने क्लाइमेट चेंज पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज समय की मांग है कि हम अपने पर्व, त्यौहार, जन्मदिन, विवाहदिवस और व्यक्तिगत समारोहों को ग्रीन पर्व के रूप में मनाएँ, ताकि हमारी परंपराएँ पर्यावरण-संरक्षण की संवाहक बनें। स्वामी  ने टांगरी परिवार को ग्रीन पर्व का संकल्प दिलाया, जिससे वे कनाडा और भारत, दोनों ही देशों में हरियाली और पर्यावरण जागरूकता के सशक्त वाहक बन सकें। नीना टांगरी ने स्वामी  द्वारा किये जा रहे वैश्विक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, पूज्य स्वामी जी न केवल भारत में, बल्कि विश्व के अनेक देशों में जाकर भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों को सशक्त रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं। वे वर्तमान पीढ़ी को हमारी सनातन संस्कृति से जोड़ने का अनुपम कार्य कर रहे हैं।उन्होंने पूज्य स्वामी  को कनाडा में आगामी जन्माष्टमी महोत्सव हेतु आमंत्रित करते हुए कहा कि कनाडा के भारतीय मूल के नागरिक स्वामी  के दिव्य सान्निध्य में भारतीयता की अनुभूति प्राप्त करना चाहते हैं। हमारी युवा पीढ़ी को यह जानना आवश्यक है कि भारतीय संस्कृति केवल पूजा पद्धति नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, सेवा, शांति और सद्भावना की दिव्य संस्कृति है। उन्होंने परमार्थ निकेतन की दिव्यता को आत्मसात कर इसे अपने जीवन के अविस्मरणीय पलों में से एक बताते हुये कहा कि इस दिव्यता का अनुभव सभी को जीवन में एक बात तो अवश्य करना चाहिये।

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